राजगढ़ जिले के पेट्रोल पंप संचालकों ने बुधवार को कलेक्टर गिरिश कुमार मिश्रा को ज्ञापन सौंपा। इसमें मांग की गई कि पेट्रोल पंपों की जांच केवल संदेह के आधार पर नहीं, बल्कि तकनीकी तथ्यों और वैज्ञानिक मापदंडों के अनुसार की जाए।
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हाल ही में रतलाम में उजागर हुई पेट्रोल पंप अनियमितताओं के बाद जिलेभर में जांच का सिलसिला शुरू हुआ है। इस पर डीलरों ने कहा कि वे प्रशासन की जांच का स्वागत करते हैं और पूरा सहयोग देने को तैयार हैं, लेकिन जांच में तकनीकी पहलुओं की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
डीलरों ने बताया कि टैंक में पानी की जांच नोजल डिलीवरी से होनी चाहिए। तेल कंपनियों के अनुसार, वर्षभर में टैंक में थोड़ी मात्रा में पानी आना सामान्य प्रक्रिया है। भूमिगत टैंक की डिस्पेंसिंग यूनिट टैंक के तल से करीब 350 मिमी ऊपर होती है, जिससे नीचे जमा करीब 2700 लीटर ईंधन बाहर नहीं निकलता।
इसके अलावा केंद्र सरकार ने टैंक की सफाई पर रोक लगा रखी है, जिससे टैंक की तह में 100 मिमी तक पानी रह सकता है, लेकिन यह उपभोक्ता तक नहीं पहुंचता और किसी तरह का नुकसान नहीं करता।
संचालकों ने कहा कि यदि जांच में तकनीकी पहलुओं को नजरअंदाज किया गया तो ईमानदार डीलर मानसिक तनाव का शिकार हो सकते हैं। उन्होंने मांग की कि जांच प्रणाली पारदर्शी, वैज्ञानिक और भयमुक्त बनाई जाए ताकि निष्पक्षता बनी रहे।