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Sagar News: बुंदलेखंड के किसानों ने सोयाबीन उगाने से तौबा कर लिया है. इस वजह से उसका रकबा घट गया है. वहीं, कृषि एक्सपर्ट भी किसानों को यही करने की सलाह दे रहे हैं. जानें माजरा…
हाइलाइट्स
- बुंदेलखंड के किसानों ने सोयाबीन की जगह मक्का चुना
- मक्का का रकबा एक लाख हेक्टेयर बढ़ा
- कृषि एक्सपर्ट ने मक्का उगाने की सलाह दी
किसानों की मानें तो मक्का पर भरोसा बढ़ने की सबसे बड़ी वजह ये कि इसका उत्पादन बंपर मिलता है. इसमें कीट-व्याधियां बहुत कम लगती हैं. साथ ही मक्के की डिमांड भी तेजी से अब बढ़ रही है. सागर में कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य कृषि वैज्ञानिक डॉ. केएस यादव बताते हैं कि सोयाबीन से किसानों को लगातार नुकसान हो रहा था.
क्योंकि, कभी अति बारिश तो कभी कम पानी गिर रहा था. इससे वैज्ञानिकों ने ही फसल चक्रवात में बदलाव करने की सलाह दी.
इसकी वजह से मक्का की बुवाई इस साल ज्यादा हो रही है. मक्का की 80 फीसदी बोवनी हो चुकी है. जिले की मुख्य फसल सोयाबीन है. इसका स्थान मक्का लेता जा रहा है, जबकि उड़द, तुअर व धान का रकबा कम है. जिले में इस बार सोयाबीन 2 लाख हैक्टेयर और मक्का 1.50 लाख हैक्टेयर में बोया जा रहा है. 15 जुलाई तक बोवाई चलेगी.
ये भी एक बड़ी दिक्कत
आगे बताया, मक्का का उपयोग विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों जैसे कॉर्नमील और विभिन्न प्रकार के स्नैक्स में किया जाता है. पशु आहार, पोल्ट्री फार्म में इसका उपयोग बढ़ रहा है. विदेश तक मक्का की सप्लाई हो रही है. इसके मार्केट में अच्छे रेट मिल रहे हैं. हाइब्रिड मक्का भी लिया जा रहा है. यह सामान्य किस्मों की तुलना में अधिक उपज देते देते हैं. मक्का का पौधा एक बार उग जाने के बाद पनप जाता है, जबकि सोयाबीन की फसल को संभालना कठिन है.