बुजुर्ग महिला सावित्री विश्वकर्मा।
सीहोर की दीक्षित कॉलोनी में रहने वाली सावित्री विश्वकर्मा को उनके बेटे घनश्याम ने घर से बाहर कर दिया था। पति की मृत्यु के बाद वह अकेली रह गई थीं और बेटे पर ही निर्भर थीं। लेकिन बेटे ने न सिर्फ उन्हें घर से निकाला बल्कि मकान में ताला लगाकर चाबी भी अपन
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सावित्री ने इस अन्याय के खिलाफ एसडीएम कोर्ट में आवेदन दिया। एसडीएम तन्मय वर्मा ने मामले की सुनवाई माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम 2007 के तहत की। बेटे को नोटिस जारी कर बुलाया गया।
कोर्ट ने भरण-पोषण देने का आदेश दिया सुनवाई के बाद कोर्ट ने बेटे को आदेश दिया कि वह मकान की चाबी मां को वापस करे। साथ ही उसे एकमुश्त 20 हजार रुपए और हर महीने 1000 रुपए भरण-पोषण के रूप में देने को कहा गया।
जीविकोपार्जन के लिए दिलवाई सिलाई मशीन कोर्ट के निर्देश पर सावित्री को सिलाई मशीन भी दिलवाई गई ताकि वह स्वयं का जीविकोपार्जन कर सकें। यह फैसला बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा का उदाहरण बन गया है।