इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार: कडप्पा स्टोन और ग्रेनाइट से संवारेंगे, होलकरकालीन तर्ज पर बनेंगे मुख्य गेट, इसी मंदिर के नाम से इंदूर बना था इंदौर – Indore News

इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का होगा जीर्णोद्धार:  कडप्पा स्टोन और ग्रेनाइट से संवारेंगे, होलकरकालीन तर्ज पर बनेंगे मुख्य गेट, इसी मंदिर के नाम से इंदूर बना था इंदौर – Indore News



राजबाड़ा, गोपाल मंदिर, दुर्गा माता मंदिर के बाद अब शहर के बीच स्थित पंढरीनाथ मंदिर (हरसिद्धि क्षेत्र) में करीब चार हजार साल पुराने इंद्रेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। करीब तीन करोड़ की लागत से इस मंदिर की ऐतिहासिक तस्वीर को अब पुरानी शै

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मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इंद्र द्वारा इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की स्थापना की गई थी और इसी के नाम पर इंदूर, इंदौर के नाम से प्रचलित हुआ। संभागायुक्त दीपक सिंह ने इसके जीर्णोद्धार का जिम्मा इंदौर विकास प्राधिकरण को दिया है। हालांकि यहां कुछ बाधाएं भी हैं।

अभी मंदिर की स्थिति काफी जर्जर है। मुख्य शिखर का ढांचा कमजोर हो चुका है। आसपास अतिक्रमण और कब्जे के साथ गंदगी भी है। रिनोवेशन के लिए राशि धर्मस्व विभाग से जिला प्रशासन मुहैया करवाएगा, वहीं निर्माण के लिए नोडल एजेंसी आईडीए को बनाया गया है।

  • 03 करोड़ से बनेगा
  • 01 साल का समय लगेगा

पुराने पत्थरों पर होगा केमिकल ट्रीटमेंट प्रोजेक्ट देख रहे इंजीनियरों के मुताबिक जो प्लानिंग है, उसमें दो मुख्य गेट होलकरकालीन तर्ज पर बनाए जाएंगे, वहीं तीन गेट बाहर के लोहे के होंगे। मंदिर के शिखर की रिपेयरिंग, स्टोन रेलिंग सहित काम होंगे। इसमें डेकोरेटिव स्टोन कॉलम लगाए जाएंगे, वहीं केमिकल ट्रीटमेंट होगा, ताकि वास्तविक पत्थर की कला सामने आ सके। पाथवे कडप्पा स्टोन से बनेंगे। इसके अलावा पैवर, कोबले सेंड स्टोन, ग्रेनाइट और मार्बल का भी उपयोग होगा।

यह है मंदिर का इतिहास

मंदिर के प्रमुख पुजारी का मानना है कि हिंदू धर्म के कई ग्रंथों में इस प्राचीन मंदिर का उल्लेख मिलता है। कहा जाता है कि भगवान इंद्र को एक बार सफेद दाग की बीमारी हुई तो उन्होंने यहां तपस्या की। जिस कारण इस मंदिर को इंद्रदेव से जोड़कर देखा जाता है। इस मंदिर की स्थापना स्वामी इंद्रपुरी ने की थी। किंवदंतियों के मुताबिक उन्होंने शिवलिंग को कान्ह नदी से निकलवाकर प्रतिस्थापित किया था।

बाद में तुकोजीराव प्रथम ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया था। इतिहासकारों की मानें तो जब-जब अल्पवर्षा से इंदौर के शहरवासियों को जल संकट का सामना करना पड़ता है, तब लोग भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस महादेव मंदिर का उल्लेख शिव महापुराण में भी किया है। ऐतिहासिक प्रमाणों के मुताबिक 8वीं शताब्दी में राजकोट के राजपूत राजा इंद्र तृतीय ने एक त्रिकोणीय युद्ध में जीत हासिल की थी।

इसके बाद ही उन्होंने इंद्रेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की। इसी मान्यता की वजह से तुकोजीराव प्रथम भी इस मंदिर तक खींचे चले आते थे। जब भी उनके राज्य में बारिश की कमी होती थी, वह इस मंदिर में आकर पूजा करवाया करते थे। उन्होंने ही इस मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य किया था। मंदिर को इंडो-आर्यन और द्रविड़ शैली का मिश्रण कहा जाता है। मंदिर का गर्भगृह दक्कन शैली में बनाई गई है।



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