न ट्रैक्टर चाहिए, न उर्वरक… बस लगाओ ये पौधा और आराम से कमाओ करोड़ों

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खेती में अब सिर्फ फसल नहीं, मेड़ भी कमाई का जरिया बन सकती है. सागर जिले के प्रगतिशील किसान आकाश चौरसिया ने खेत की मेड़ पर बांस लगाकर सुरक्षित और लंबी अवधि की आय का रास्ता बताया है. वे कहते हैं, यह एक तरह की ‘एफडी’ जैसी कमाई है, जो किसान को बिना जोखिम के मिल सकती है.

बांस की खेती क्यों है सबसे उपयुक्त
आकाश चौरसिया के अनुसार, खेत की मेड़ पर पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रुकता है और वर्षा जल का संरक्षण होता है. लेकिन पेड़ ऐसा होना चाहिए जिससे फसल को नुकसान न हो. बांस इस दृष्टि से सबसे उपयुक्त है क्योंकि इसमें शाखाएं नहीं निकलतीं और यह सीधा ऊपर की ओर बढ़ता है.

तीन से चार साल में तैयार हो जाती है फसल
बांस की खेती में सबसे बड़ा फायदा यह है कि पौधे तीन से चार साल में फसल देने लगते हैं. एक बार लगाने के बाद यह कई दशकों तक लगातार उत्पादन देता है. इसकी पहली कटाई तीन साल में हो जाती है और फिर हर दो-तीन साल में नई कटाई होती रहती है.

पौधारोपण के तीन तरीके
बांस लगाने के लिए तीन तरीके प्रमुख रूप से अपनाए जाते हैं…
पहला, टिशू कल्चर से तैयार पौधे लगाना.
दूसरा, जुलाई में निकलने वाले सूट से रोपण करना.
तीसरा, पके हुए बांस को गन्ने की तरह काटकर खेत में लगाना.

कम जगह में ज्यादा पौधे, ज्यादा मुनाफा
एक एकड़ खेत के चारों ओर करीब 80 से 90 पौधे लगाए जा सकते हैं. यदि किसान के पास 5 से 10 एकड़ ज़मीन है तो 2000 से ज्यादा पौधे लगाए जा सकते हैं. इससे खेती के साथ-साथ साइड इनकम का एक स्थायी स्रोत तैयार होता है.

कौन-सी किस्में हैं फायदेमंद
भीम बंबू, टेल्डा बंबू, लटिया और कटंगा बंबू जैसी किस्में कमर्शियल दृष्टि से उपयोगी हैं. इनका उपयोग फर्नीचर, निर्माण सामग्री और हस्तशिल्प उत्पादों में किया जाता है, जिससे बाजार में इनकी मांग बनी रहती है.

खेत की रक्षा भी करता है बांस
बांस की मेड़ प्राकृतिक बॉर्डर का काम करती है. यह फसल को जानवरों, गर्मी, और तूफानों से भी बचाता है. साथ ही खेत में जैव विविधता बनाए रखने में भी मदद करता है, जैसे मधुमक्खियां, तितलियां और परागण करने वाले जीव.

एक बार निवेश, सालों तक मुनाफा
बांस की खेती एक बार लगाने के बाद कई सालों तक चलती है. इसमें न तो बार-बार बोआई की ज़रूरत है और न ही ज्यादा देखभाल की. यही वजह है कि यह किसानों के लिए एक सुरक्षित और लगातार आय देने वाला विकल्प बनकर उभरा है.



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