खंडवा जिले में स्थित यह मंदिर मान्यता के अनुसार करीब 5000 साल पुराना है.कहा जाता है कि जब भगवान राम, सीता और लक्ष्मण वनवास के दौरान दक्षिण दिशा की ओर बढ़ रहे थे, तब उन्होंने ‘खांडववन’ में कुछ समय के लिए विश्राम किया था जो आज का खंडवा है. प्यास लगने पर राम ने अपने बाण से ज़मीन में छेद किया और वहीं से जलधारा फूट पड़ी, जिसे आज रामेश्वर कुंड के नाम से जाना जाता है. यही नहीं, आज भी वह जल कुंड सूखता नहीं न गर्मियों में, न सूखे में. इसे लोग ‘रामजी का चमत्कार’ मानते हैं.
हर साल नवरात्र, महाशिवरात्रि और रामनवमी जैसे पर्वों पर यहाँ श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. कीर्तन, कथा, रामलीला और सत्संग यहाँ की परंपरा का हिस्सा हैं. यह मंदिर ना सिर्फ भक्ति का केंद्र है, बल्कि एक सांस्कृतिक मंच भी है.
खंडवा का रामेश्वर मंदिर केवल पूजा की जगह नहीं बल्कि इतिहास से जुड़ने का मौका है. जब आप वहां खड़े होकर उस कुंड को देखते हैं, जहां कभी भगवान राम ने बाण मारा था, तो समय जैसे थम सा जाता है.