सावन में सिर्फ भक्त नहीं, उज्जैन के राजा महाकाल भी रखते हैं व्रत, जानें खास परंपरा का राज

सावन में सिर्फ भक्त नहीं, उज्जैन के राजा महाकाल भी रखते हैं व्रत, जानें खास परंपरा का राज


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Sawan 2025 Date : सावन का माह भगवान शिव शंकर का प्रिय माह में से एक माह माना जाता है. ऐसे में कई भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए व्रत पूजन करते हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं, उज्जैन के राजा भगवान महाकाल भी व…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • सावन सोमवार पर महाकाल का उपवास
  • उज्जैन के राजा अपना व्रत
  • फलाहार और नगर भ्रमण की परंपरा
उज्जैन. हिंदू धर्म में सावन का महीना बहुत ही खास महत्व रखता है. इस महीने को भगवान शिव की आराधना का महीना माना जाता है. खासकर शिव भक्तों के लिए यह समय बेहद शुभ होता है. मान्यता है कि सावन में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है. बहुत से भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार से जतन करते हैं. कुछ भक्त भगवान की भक्ति मे व्रत रख भगवान की आरधना करते हैं. ऐसे में उज्जैन के राजा भगवान महाकाल भी भक्तों की तरह सावन सोमवार व्रत रखते हैं. आइए जानते हैं यह परम्परा कैसे निभाई जाती है.

कितने दिन रखेंगे भगवान उपवास
श्रावण-भाद्रपद मास में छह सवारियां निकलेंगी. पहली सवारी 14 जुलाई को होगी. इसके बाद 21 जुलाई, 28 जुलाई, 4 अगस्त, 11 अगस्त और अंतिम राजसी सवारी 18 अगस्त को निकलेगी. इन दिनों सुबह से शाम तक भगवान उपवास ( व्रत ) रखेंगे. नगर भर्मण पर अपने भक्तों को दर्शन देने के बाद मंदिर परिसर आकर व्रत खोलेंगे.

भक्त कैसे लगा सकते हैं महाकाल को भोग 
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा बताते हैं कि सुबह भस्म आरती व देर रात शयन आरती के दौरान जो 56 भोग भगवान को लगता है. वह भक्तों और पुजारियों के समन्वय से लगता है. उसको भक्तों में ही बांटा जाता है. सुबह 7 बजे और 10 बजे जो भोग लगता है, वह परंपरा अनुसार संत परिवारों में बांटा जाता है. इसके अलावा उसको गौशाला में भी पहुंचाया जाता है. कोई भी भक्त पुजारी के समन्वय से महाकाल को 56 भोग अर्पित कर सकता है.

कब-कब रखते हैं उज्जैन के राजा व्रत?
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर श्रावण और भादो महीने में नगर भ्रमण पर निकलते हैं. श्रावण के प्रत्येक सोमवार और प्रदोष पर भगवान फलाहार ही करते हैं. देर शाम नगर भ्रमण से मंदिर लौटने पर ही संपूर्ण भोग अर्पित किया जाता है. ये दिन-त्याग तपस्या के भी होते हैं, इसलिए बाबा महाकाल अपने भक्तों का दु:ख देख खुद भी उन्हीं की तरह हो जाते हैं.

जानिए कैसे निभाई जाती है परम्परा?
पुजारी महेश शर्मा नें बताया कि भगवान महाकाल उज्जैन के राजा है. बाबा की सेवा मे पुजारी परिवार दुवारा कई परम्परा निभाई जाती है. ऐसे मे भगवान का भोग रोजाना लगता है. लेकिन श्रावण और भादो महीने भगवान एक समय ही भोजन करते है. सुबह से लेकर शाम तक फलाहार और शकर के पानी का भोग लगाकर यह परम्परा निभाई जाती है.

भगवान महाकाल का क्या है प्रिय भोग?
बता दे कि भगवान को सबसे प्रिय मेवा और भांग तो है ही, लेकिन बेलपत्र, धतूरा, भांग औषधि युक्त भोग भी अति प्रिय होता है. वे बड़े मन से इसे स्वीकार करते हैं. भगवान शिव त्यागी हैं और उन्होंने अपना जीवन ही बेल पत्र के सेवन से निकाला है. इसलिए तो उन्हें भोले नाथ कहा गया है. वैसे तो शुद्ध भाव से भक्त जो भी भोग महाकाल को अर्पित करता है महाकालेश्वर उसको स्वीकार कर लेते हैं.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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सावन में सिर्फ भक्त नहीं, उज्जैन के राजा महाकाल भी रखते हैं व्रत, जानें राज

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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