SMH में नई सुविधा से मरीजों को राहत।
“कैंसर” इसे डर का दूसरा नाम कहना गलत नहीं होगा। यह रोग बिना किसी खास लक्षण के शरीर में फैलता है। ज्यादातर मामलों में जब लक्षण नजर आते हैं तो रोग एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है। इस स्टेज में इसका इलाज मुश्किल और पीड़ादायक होने के साथ काफी महंगा भी
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दैनिक भास्कर में पढ़ा स्क्रीनिंग जरूरी, जांच कराई तो था रोग कैंसर वॉरियर रुचिका सचदेवा ने बताया कि उन्हें साल 2016 में पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। इसकी बड़ी वजह जागरूकता रही। मैने और मेरे पति ने दैनिक भास्कर में पढ़ा था कि 40 साल के बाद हर महिला और पुरुष को कैंसर स्क्रीनिंग करानी चाहिए।
हम जांच के लिए गए तो मुझे डॉक्टर ने ब्रेस्ट कैंसर बताया। इससे मुझे यह फायदा हुआ कि बीमारी की जल्द पहचान हुई और रोग ज्यादा फैलता इससे पहले ही उसे सर्जरी से कंट्रोल कर लिया गया। मुझे कोई भी समस्या नहीं थी और ना कोई इससे जुड़े लक्षण थे। सिर्फ एक चेकअप का सोच कर अस्पताल गई थी। 19 साल चली कैंसर से लड़ाई खुश रह कर जीती एक अन्य कैंसर वॉरियर वनमाला केकरे ने बताया कि साल 2000 में ब्रेस्ट में एक गांठ हुई। जांच कराई तो कैंसर निकला। करीब 19 साल तक कैंसर से मेरी लड़ाई चली। इसका इलाज कष्ट देता है, व्यक्ति को डराता है और अंदर से तोड़ देता है। लेकिन, मरीज को अपना हौसला नहीं टूटने देना चाहिए। आप खुश रहकर इस बीमारी से लड़ेंगे तो आपके जीतने की संभावना कई गुना तक बढ़ जाती है। इसका प्रेक्टिकल उदाहरण मेरा जीवन है। नई सुविधा से मिलेगी राहत SMH में एडवांस्ड कीमोथेरेपी केयर सेंटर में एक स्मार्ट नर्सिंग स्टेशन है, जो नवीनतम आधुनिक उपकरणों, हेपा फिल्टर और बायो-सेफ्टी कैबिनेट से सुसज्जित है। जिससे संक्रमण को रोका जा सके। ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. तिवारी ने कहा कि इससे मरीजों को बड़े शहरों में इलाज के भटकना नहीं पड़ेगा।
5 साल बाद इम्युनोथैरेपी से होगा इलाज, कीमो होगा गायब डॉ. तिवारी के अनुसार आने वाला समय इम्युनोथैरेपी और टारगेट थेरेपी का है। इसमें मरीज को साइड इफेक्ट्स नहीं झेलने पड़ते हैं। यह सिर्फ कैंसर सेल्स पर असर करती है। व्यक्ति की इम्यूनिटी को स्ट्रॉन्ग बनाती है। अभी यह तकनीक काफी महंगी है। लेकिन, अगले 5 साल में यह कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को रिप्लेस कर देगी।