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Satna Fameeda Begum Story: महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं सतना की फेमिदा बेगम अब तक 2000 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिला चुकी हैं. 200 से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को सिलाई, बैग, मसाले, मोमबत्ती, अचा…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- फेमिदा बेगम महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं
- अब तक 2000 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिला चुकी
- 200 से ज्यादा स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं को काम सिखाया
फेमिदा बेगम ने लोकल 18 से बात करते हुए कहा कि साल 2016 में महिला समूहों के साथ काम करना शुरू किया था. अनुपमा एजुकेशन सोसाइटी से मिली बैग बनाने की ट्रेनिंग और ऑर्डर से शुरुआत हुई. धीरे-धीरे उन्होंने अपने आसपास की घरेलू महिलाओं को जोड़ा और उन्हें समूह बनाने के लिए प्रेरित किया. वो बताती हैं कि उन्हें शुरू से ही घर पर बैठकर सिलाई का काम करना पसंद था. इसी रुचि ने उन्हें सामाजिक बदलाव की राह पर आगे बढ़ाया.
साल 2022 में फेमिदा बेगम ने अपने रोजी बैग स्वसहायता समूह को इनक्यूबेशन सेंटर में झोला बैंक के नाम से लांच किया. आज इस झोला बैंक से 200 महिलाएं जुड़ी हैं. वहीं बाकी समूह में सतना सहित आसपास के क्षेत्रों से जुड़ी महिलाएं बैग, झोला, अचार, पापड़, मसाले, मोमबत्ती, सिलाई-कढ़ाई और ब्यूटी पार्लर जैसे काम कर रही हैं. ये सभी महिलाएं कभी हाउसवाइफ थीं, लेकिन अब आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
नगर निगम से मिली मदद, कोविड में किया सेवा कार्य
फेमिदा बेगम ने नगर निगम में भी अपने पहले समूह ‘डबका’ को रजिस्टर करवाया था, जिसके तहत उन्हें 2.50 लाख रुपये की सहायता मिली. इस राशि से उन्होंने महिलाओं को 20-20 हजार रुपए की मदद दी और सिलाई मशीनें खरीदीं. कोविड-19 के दौर में जब शहर में मास्क और तिरंगे की जरूरत थी तो इनकी ही टीम ने लाखों मास्क और झंडे तैयार किए.
वार्ड 28 की निवासी सुनीता सिंह बताती हैं कि उनके समूह का नाम कूष्मांडा है जो सिलाई से संबंधित काम करता है. उन्होंने कहा कि वो पहले सिर्फ हाउसवाइफ थीं, लेकिन फेमिदा मैडम से जुड़ने के बाद उन्हें ट्रेनिंग मिली और काम का रास्ता खुला. वहीं पिछले कई वर्षों से इस नेटवर्क का हिस्सा रही पूजा थापा बताती हैं कि घर पर ब्लाउज और ड्रेस सिलने का शौक था, लेकिन उसे पेशे में बदलने का अवसर फेमिदा मैडम ने दिया. अब यही काम उनकी रोजी-रोटी का जरिया है.
जूट और पेपर बैग का काम, रेलवे तक पहुंचा ब्रांड
प्लास्टिक पर प्रतिबंध के बाद नगर निगम ने पेपर बैग का बड़ा ऑर्डर इनकी टीम को दिया. यहीं से इनका काम और तेजी से बढ़ा. इसके बाद इन्होंने जूट बैग पर काम शुरू किया और रेलवे में भी झोला बैंक के बैग पहुंचने लगे. ये सिर्फ रोजगार का साधन नहीं बल्कि सतना की महिलाओं की पहचान बन गया. फेमिदा बेगम कहती हैं कि आज भी उन्हें और उनके समूहों को स्थाई काम की तलाश है. फिलहाल ये सभी ऑर्डर पर आधारित काम करते हैं, जिससे लागत अधिक और मुनाफा कम होता है. अगर सरकार की ओर से मदद मिले और बड़े स्तर पर मार्केटिंग या आउटलेट की सुविधा हो तो इन महिलाओं का हुनर और आगे जा सकता है.
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across …और पढ़ें
Dallu Slathia is a seasoned digital journalist with over 6 years of experience, currently leading editorial efforts across Madhya Pradesh and Chhattisgarh. She specializes in crafting compelling stories across … और पढ़ें