नैना और अंजली दोनों छठवीं कक्षा में पढ़ती हैं। उनके स्कूल की सीबीएसई बोर्ड से संबद्धता है। दोनों के पास एनसीईआरटी की गणित की किताब है, मगर किताबों में जमीन आसमान का अंतर है। नैना के पास जो किताब है उसके पन्ने चमकदार हैं, कवर पर सामने और पीछे सुंदर सा
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दूसरी तरफ अंजली की किताब के पन्ने बेहद पतले हैं, प्रिंटिंग भी खराब है। पीछे के कवर का कंटेंट पूरी तरह से गायब है। खास बात ये है कि दोनों किताबों की कीमत एक ही है। आखिर उसी कीमत में एक किताब की क्वालिटी अच्छी और दूसरी की घटिया कैसे? दरअसल, नैना की किताब असली है, यानी एनसीईआरटी ने इसे छापा है।
अंजली की किताब नकली है। ये ओरिजिनल किताब के कंटेंट को कॉपी कर घटिया पन्नों पर छापी गई है। आखिर ये किताबें कहां से आ रही है? कौन इन्हें छाप रहा है? इससे दुकानदारों को क्या फायदा और पेरेंट्स और बच्चों को क्या नुकसान हो रहा है? ये समझने के लिए भास्कर ने एक्सपर्ट और दुकानदारों से बात की। पढ़िए रिपोर्ट
हर दूसरी दुकान में मिल रही नकली किताबें
1.गुडलक बुक स्टोर: सरकारी किताबों की क्वालिटी ऐसी ही होती है भास्कर ने राजधानी में अलग-अलग किताबों की दुकानों पर जाकर एनसीईआरटी की किताबों की जांच की। अशोका गार्डन एरिया में स्थित इस दुकान पर जब भास्कर रिपोर्टर ने कक्षा छठवीं की एनसीईआरटी की किताबें मांगी तो उसने किताबों का एक सेट निकालकर दे दिया। रिपोर्टर ने जब किताबों की जांच की तो पाया कि पहली ही नजर में ये पायरेटेड किताबें थीं।
इनमें न तो वाटरमार्क था और न ही प्रिंटिंग क्वालिटी अच्छी थी। रिपोर्टर ने दुकानदार से पूछा कि इनकी हालत इतनी खराब क्यों है? दुकानदार बोला-सरकारी किताबें ऐसी ही आती हैं। दुकानदार से जब किताबों पर डिस्काउंट देने को कहा तो उसने कहा कि हम होलसेल से लाते हैं, इसमें ज्यादा मार्जिन नहीं है तो डिस्काउंट भी नहीं देते।
उनकी दुकान पर किताब लेने आए कन्हैयालाल केवट बोले कि एनसीईआरटी ने प्राइज तो बढ़ा दिया, लेकिन क्वालिटी घटिया हो गई है। उन्हें बताया कि ये डुप्लीकेट किताब है, तो बोले हमें तो ये समझ नहीं आता।

2.मामा बुक स्टॉल: जो डिस्काउंट दे रहा है वहीं से खरीद लो जब हम इसी एरिया में स्थित दूसरे बुक स्टॉल पर पहुंचे तो यहां बुक खरीदने के लिए पेरेंट्स की भीड़ थी। दुकानदार से छठवीं कक्षा की एनसीईआरटी की किताबें मांगी। उसने जो किताबें दिखाईं वो असली थीं। हर किताब पर एनसीईआरटी का वाटरमार्क था। पेपर की क्वालिटी भी उम्दा थी। दुकानदार से डिस्काउंट देने को कहा तो बोला- थोड़ा बहुत दे देंगे, मगर एनसीईआरटी में ज्यादा मार्जिन नहीं होता है।
उससे कहा कि दूसरी दुकान पर तो भारी डिस्काउंट मिल रहा है तो दुकानदार ने कहा, तो फिर वहीं से ले लो। आपको भी पता है कि वो क्यों इतना डिस्काउंट दे रहा है। उससे पूछा कि क्या वो पायरेटेड किताबें हैं, तो बोला अब आपको समझ आ गया होगा कि इतने सस्ते में असली किताब नहीं मिल सकती।

3. स्वाति बुक डिपो: मैं किताब नहीं बनाता ओल्ड सुभाष नगर एरिया में स्थित बुक डिपो संचालक ने जब भास्कर रिपोर्टर के सामने एनसीईआरटी की किताब रखी, तो ये डुप्लीकेट थी। उससे पूछा कि किताब की क्वालिटी इतनी घटिया क्यों है, तो चिढ़कर बोला- सरकारी किताबें ऐसी ही होती हैं और मैं किताब नहीं बनाता। डिस्काउंट की बात की तो कहा कि इसमें कोई डिस्काउंट नहीं मिलता।
जब बताया कि दूसरे दुकानदार तो दे रहे हैं तो बोला कि उन्हीं से ले लो और जो बच जाए फिर हमसे ले लेना। वहीं अप्सरा टॉकीज में बुक स्टोर चलाने वाले जीएस श्रोत्री कहते हैं कि ओरिजिनल किताबों पर डिस्काउंट कम होता है। डुप्लीकेट पर ज्यादा मिलता है।

हरियाणा- दिल्ली और यूपी पायरेटेड किताबों का गढ़ एनसीईआरटी की पायरेटेड किताबें हरियाणा-दिल्ली और यूपी में छापी जाती है। 19 मई को दिल्ली पुलिस ने ऐसे ही एक पायरेसी रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए 1.7 लाख से ज्यादा पायरेटेड किताबों को जब्त किया था। इनकी कीमत 2.4 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई थी। दिल्ली पुलिस ने पिता-पुत्र समेत तीन लोगों को भी गिरफ्तार किया था।
आरोपियों ने बताया कि उन्होंने नकली किताबें दिल्ली के अलीपुर के पास हिरणकी के गोदाम से लाई थीं। इसी तरह जून के महीने में यूपी के मुजफ्फरनगर के खतौली थाना क्षेत्र में पुलिस ने पायरेटेड किताबों का कारोबार करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह को पकड़ा था। गिरोह के पास से करीब 3 करोड़ रुपए मूल्य की 1.33 लाख से ज्यादा की किताबें, प्रिंटिंग मशीन, कच्चा माल और वाहन बरामद किए थे।
पुलिस के मुताबिक ये गिरोह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में स्कूलों और दुकानों तक नकली NCERT किताबें सप्लाई करता था। पुलिस ने गिरोह के आठ सदस्यों को गिरफ्तार किया था।

दुकानदारों को मिलता है 20 फीसदी ज्यादा कमीशन एनसीईआरटी की किताबों के एक होलसेलर ने नाम न बताते हुए कहा कि बाजार में इन किताबों को बेचने पर मोटा कमीशन मिलता है। सरकारी सप्लायर से मिलने वाला मार्जिन केवल 10 से 12 फीसदी होता है, जबकि नकली किताबें बेचने पर कमीशन 28 से 30 फीसदी तक पहुंच जाता है।
ज्यादा कमीशन मिलने की वजह होती है कि ये किताबें रिसाइकल्ड या सस्ते, पतले कागज पर छपती हैं, जिससे प्रिंटिंग लागत बहुत कम हो जाती है। इसमें जो इंक इस्तेमाल होती है वह घटिया होती है। प्रिटिंग क्वालिटी भी अच्छी नहीं होती।

5 पॉइंट्स से करें असली और नकली किताब की पहचान
- वाटरमार्क से जांच: एनसीईआरटी की असली किताबों में हर दूसरे पेज पर NCERT का हल्का वाटरमार्क होता है। किताब खरीदते वक्त लगातार 8 पन्ने पलटकर देखें। अगर यह वाटरमार्क नहीं है, तो ये नकली किताब है।
- कागज और प्रिंट की गुणवत्ता: असली किताबों का कागज मोटा, सफेद और उच्च गुणवत्ता का होता है। नकली किताबों में कागज पतला, धुंधला या पीला हो सकता है। साथ ही, प्रिंटिंग में अक्षर फेड रहते हैं।
- चित्र और ग्राफिक्स की स्पष्टता: एनसीईआरटी की किताबों में दिए गए चार्ट, चित्र और ग्राफिक्स बहुत स्पष्ट और रंगीन होते हैं। नकली किताबों में ये धुंधले या ब्लर हो सकते हैं।
- बाइंडिंग की स्थिति: अगर किताब की बाइंडिंग टेढ़ी है, पेज ढीले हैं, या दोबारा बाइंडिंग की गई लगती है, तो यह नकली या रि पैक्ड हो सकती है। असली किताबों की बाइंडिंग मजबूत और सटीक होती है।
- कीमत और छपाई की जानकारी: असली किताब के पीछे मूल्य, संस्करण, ISBN नंबर, प्रकाशन वर्ष और प्रकाशक (NCERT) की पूरी जानकारी होती है।

कॉपीराइट एक्ट के उल्लंघन पर 3 साल की सजा एडवोकेट प्रमोद सक्सेना ने बताया कि कॉपीराइट एक्ट 1957 के सेक्शन 51 और 63 में प्रावधान है कि जो अधिकृत या एनसीईआरटी जैसे जो प्रकाशक हैं, इनकी किताबों की नकली कॉपी बाजार में नहीं आ सकती। अगर, ऐसा होता है तो ये कॉपीराइट एक्ट का उल्लंघन है। इसमें दो लाख तक का फाइन और तीन साल की सजा हो सकती है। एडवोकेट सक्सेना ने कहा,

यदि कॉपी करने वाले ज्यादा दामों में किताब बेचते हैं, तो ऐसे लोगों पर गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया जा सकता है। जिन छात्रों को भी ये किताबें बेची जाती है वो भी इनके खिलाफ शिकायत कर सकते हैं।
एनसीईआरटी के अधिकारी बोले- जानकारी में नहीं
राजधानी के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन से जुड़े एनसीईआरटी स्कूल के प्रिंसिपल प्रकाश श्रीवास्तव कहते हैं कि पायरेटेड किताबों की उनके पास कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोई डुप्लीकेट किताबें बेच रहा है और ये हमारे संज्ञान में आता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।
हालांकि, पायरेसी रोकने के लिए एनसीईआरटी ने रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन के कैंपस में एक बुक स्टोर ओपन किया है। यहां पर कक्षा 1 से 12 तक का पूरा सिलेबस उपलब्ध है। जब एनसीईआरटी की किताबें मार्केट में नहीं मिलती है तो इस सेंटर से खरीदी जा सकती है।
