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Mandsaur Rape Case Update: अमूमन कोर्ट से जनता को न्याय की उम्मीद होती है. लेकिन, मध्य प्रदेश के मंदसौर में जनता कोर्ट से नाराज है. एक फैसले के खिलाफ आज शहर बंद भी है. जानें पूरा माजरा…
प्रतीकात्मक.
हाइलाइट्स
- मंदसौर में 4 जुलाई को बंद का ऐलान किया गया है
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मंदसौर में विरोध प्रदर्शन
- 2018 में 7 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी का मामला फिर चर्चा में
दरअसल, 2018 में मंदसौर में एक 7 साल की स्कूली बच्ची को अगवा कर उसके साथ रेप किया गया था. इस मामले में पुलिस ने दो दरिंदों को पकड़ा था. तब कोर्ट ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी. आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी. वहां भी सुनवाई हुई, लेकिन कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा. इसके बाद आरोपी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां से आदेश आया कि मंदसौर कोर्ट केस की पुन: सुनवाई करे. सुनवाई हुई, फैसला आया और आरोपियों की फांसी माफ हो गई.
फैसले के विरोध में मंदसौर शहरवासियों, सामाजिक संगठनों और व्यापारिक संघों ने मिलकर शुक्रवार 4 जुलाई को पूरे शहर को बंद रखने का निर्णय लिया है. दोपहर 3 बजे शहरवासी एकजुट होकर मंदसौर एसपी को ज्ञापन सौंपेंगे. इसमें कोर्ट के फैसले पर आपत्ति दर्ज कर विरोध जताया जाएगा. बंद को पूरे शहर का समर्थन मिल रहा है. अपील की गई है कि बंद पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित रहेगा.
रेप ने दिल दहला दिया था
बता दें कि मंदसौर में 2018 में हुए रेप कांड ने दिल दहला दिया था. सात साल की बच्ची के साथ रेप तो किया ही गया, उसके साथ बर्बता भी हुई. घटना की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, लोगों को दिल्ली का निर्भया कांड याद आता गया था. आरोपी इरफान ने न सिर्फ बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था, बल्कि उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड या लकड़ी जैसी चीज डाल दी थी. इससे उसकी आंतें बाहर आ गई थीं. इंदौर के एमवायएच अस्पताल के डॉक्टरों ने तीन घंटे तक लंबे और जटिल ऑपरेशन के बाद बच्ची की जान बचाई थी.
मंदसौर में दोनों दरिंदों ने 26 जून 2018 को इस घिनौनी वारदात को अंजाम दिया था. पुलिस ने घटना के महज 48 घंटे में दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने पहले इस मामले में आरोपी इरफान को गिरफ्तार किया था और उसके बाद दूसरे आरोपी आसिफ को भी गिरफ्तार कर लिया था. दोनों आरोपियों को मंदसौर कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था. लोगों के गुस्से को देखते हुए दोनों को कड़ी सुरक्षा में रखा गया था. अदालत में दोनों की पेशी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराई थी. अदालत ने इस मामले में तेजी दिखाते हुए घटना के महज 55 दिन बाद यानी 21 अगस्त 2028 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई.
इंदौर हाईकोर्ट पहुंचे आरोपी
मंदसौर कोर्ट से फांसी मिलने के बाद दरिंदों के परिजन इंदौर हाईकोर्ट पहुंचे और रहम की गुहार लगाई. लेकिन, यहां बात नहीं बनी. हाईकोर्ट ने 9 सितंबर 2021 को मामले की पुन: सुनवाई के बाद दोनों दरिंदो आसिफ और इरफान की फांसी की सजा को बरकरार रखा. इसके बाद दोनों दरिंदों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. यहां सुनवाई के दौरान DNA और वैज्ञानिक साक्ष्य को लेकर सवाल उठा.
मंदसौर ट्रायल कोर्ट में बदला फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने फांसी की सजा को बरकरार रखने के बजाय मंदसौर कोर्ट को पुन: सुनवाई का आदेश दिया. इसके बाद फिर सुनवाई हुई और मंदसौर ट्रायल कोर्ट ने दरिंदों की फांसी को सजा को उम्रकैद में बदल दिया. अब इसी फैसले के खिलाफ मंदसौर की जनता सड़क पर उतरने को तैयार है. देखना होगा कि अब आगे क्या होता है? क्या फिर मुकदमा चलेगा या यथा स्थिति बरकरार रहेगी…