MP का ये गांव तंत्र साधना का बड़ा गढ़, आज की रात सबसे अहम, जानें क्यों?

MP का ये गांव तंत्र साधना का बड़ा गढ़, आज की रात सबसे अहम, जानें क्यों?


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Choli Village MP: गुप्त नवरात्रि की रातों में चोली गांव के बाहर, श्मशान और जंगल की ओर से अजीब-अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, जैसे कोई मंतर (मंत्र) पढ़ रहा हो, डमरू या घंटी की आवाज आ रही हो लेकिन जब वहां जाकर देखते…और पढ़ें

खरगोन. जब भी तंत्र साधना की बात होती है, तो जेहन में सबसे पहले बंगाल या असम जैसे राज्यों का नाम आता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि मध्य प्रदेश में भी एक ऐसा गांव है, जो तंत्र विद्या का गढ़ माना जाता है. खरगोन जिले का चोली गांव जिसे देवों की नगरी देवगढ़ और मिनी बंगाल भी कहा जाता है, गुप्त नवरात्रि के समय साधकों और तांत्रिकों से भर जाता है. यहां अब भी रात के अंधेरे में सिद्धियां प्राप्त करने की रहस्यमयी साधनाएं होती हैं. बंगाल की तांत्रिक परंपरा की ही तरह चोली गांव में भी 64 योगिनी, 52 भैरव, 12 शिवलिंग और साढ़े ग्यारह हनुमान की उपस्थिति है, जो इसे अद्भुत और शक्तिशाली बनाती है.

स्थानीय मान्यता है कि यह गांव देश के 108 शक्तिपीठों में से एक है. उज्जैन के काल भैरव के बाद यदि तंत्र साधना के लिए कोई अगला बड़ा केंद्र है, तो वह निमाड़ का चोली गांव है. गुप्त नवरात्रि का आज (शुक्रवार) आखिरी दिन (नवमी तिथि) है. आज के दिन विशेष साधनाएं होती हैं. गांव में हर साल गुप्त नवरात्रि के दौरान देशभर से तांत्रिक पहुंचते हैं. देवी और भैरवनाथ की उपासना रात को गुप्त रूप से होती है. गांव के बुजुर्गों का कहना है कि पहले यहां बड़े स्तर पर साधनाएं होती थीं. साधकों को लोग ‘जादूगर’ कहते हैं. अब यह परंपरा सीमित जरूर हुई है लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हुई.

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सुनाई देती हैं अजीब आवाजें
स्थानीय लोग बताते हैं कि कई बार गुप्त नवरात्रि की रातों में गांव के बाहर, श्मशान और जंगल की ओर से अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, जैसे कोई मंतर (मंत्र) पढ़ रहा हो, डमरू या घंटी की आवाज आ रही हो लेकिन जब जाकर देखते हैं, तो कोई नजर नहीं आता. कुछ ग्रामीणों का दावा है कि रात को कई बार मंदिरों के पास खुद जलती हुई अग्नि या घना धुआं दिखाई देता है, पर न तो कोई दीपक होता है और न ही कोई साधक वहां मौजूद होता है.

गांव की मिट्टी में पॉजिटिव एनर्जी
हरिद्वार के श्री पंचायती महानिर्वाण अखाड़े के द्वारकापुरी महाराज यहां पिछले 19 साल से चौसठ योगिनी माता मंदिर में देवी की उपासना कर रहे हैं. उनका मानना है कि इस गांव की मिट्टी में पॉजिटिव एनर्जी है, जो साधकों को सिद्धि तक पहुंचाने की शक्ति रखती है. खासकर नवरात्रि के समय यहां शक्तियों की उपस्थिति ज्यादा महसूस होती है.

इसलिए कहते हैं ‘मिनी बंगाल’
चोली गांव के नवीन कुमार, किशोर सिंह ठाकुर और गौरव सिंह ठाकुर लोकल 18 को बताते हैं कि चोली गांव का निर्माण छह महीने की रात में हुआ था. यहां की धार्मिक संरचना, विशेषकर तंत्र आधारित मंदिरों की संख्या, इसे एक विशिष्ट पहचान देती है. शायद यही कारण है कि मालवा के उज्जैन के बाद निमाड़ में चोली गांव को तंत्र क्रियाओं का सबसे प्रभावशाली गढ़ माना जाता है.

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Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.



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