बारिश के स्ट्रॉन्ग सिस्टम की वजह से मध्यप्रदेश में बाढ़ के हालात है। पूर्वी हिस्से जैसे- जबलपुर, सागर, शहडोल और रीवा संभाग में सबसे ज्यादा खतरा है। शनिवार को भी शिवपुरी, शहडोल, नरसिंहपुर, श्योपुर, में हालात बिगड़ गए थे। कई गांव और शहर जलमग्न हो गए। नर्
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मौसम विभाग के अनुसार, जबलपुर, सागर, दमोह, सिवनी, मंडला, डिंडौरी और बालाघाट में अति भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट है। अगले 24 घंटे में 8 इंच तक पानी गिर सकता है। शिवपुरी, अशोकनगर, विदिशा, रायसेन, नर्मदापुरम, बैतूल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, कटनी, मैहर, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर में भारी बारिश हो सकती है। भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर में भी बारिश का दौर बना रहेगा।
3 सिस्टम की वजह से ऐसे हाल सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन ने बताया कि प्रदेश में बारिश के 3 स्ट्रॉन्ग सिस्टम एक्टिव है। इनमें दो ट्रफ और एक साइक्लोनिक सकुर्लेशन सिस्टम शामिल हैं। इस वजह से अति भारी या भारी बारिश हो रही है। अगले चार दिन तक ऐसा ही मौसम रहेगा। यह सीजन का सबसे स्ट्रॉन्ग सिस्टम है।
एमपी के 34 से ज्यादा जिलों में बारिश, हालात बिगड़े मध्यप्रदेश में शनिवार को तेज बारिश का दौर जारी रहा। भोपाल, सीधी, उमरिया, जबलपुर, सागर, नरसिंहपुर, शिवपुरी, शहडोल, इंदौर, मैहर, शाजापुर, धार, श्योपुर, रायसेन, छिंदवाड़ा, डिंडौरी, उज्जैन, देवास, सीहोर, आगर-मालवा, राजगढ़, विदिशा, मऊगंज, रीवा, सतना, मंडला, रतलाम, दमोह, छतरपुर, सिवनी, बालाघाट, बैतूल, गुना, खरगोन में तेज बारिश हुई।
मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को सीधी में 2 इंच, सागर में पौने 2 इंच, रीवा-सतना में 1 इंच, मंडला में पौन इंच, भोपाल, उज्जैन, शाजापुर, रायसेन, रतलाम, छिंदवाड़ा-नरसिंहपुर में आधा इंच हुई। वहीं, अन्य जिलों में हल्की बारिश हुई।
इस वजह से कई जिलों में हालात बिगड़ गए। उमरिया में संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के जोहिला डैम के दो गेट खोले गए। दोनों गेट को एक-एक मीटर खोलकर पानी छोड़ा गया। सागर से बेगमगंज और ग्यारसपुर जाने वाला मार्ग नदियों में बाढ़ के कारण बंद हो गया। नरसिंहपुर में स्टेट हाईवे-22 पर पुलिया धंस गई। जिससे रास्ता बंद हो गया। लोग रस्सी के सहारे शक्कर नदी पार करते रहे। वहीं, डिंडौरी में जबलपुर-अमरकंटक नेशनल हाईवे पर खेत की मिट्टी बहकर आ गई। यहां वाहन कीचड़ में फंसते रहे।
शिवपुरी में बैराड़ के कई गांवों में बाढ़ आ गई। घरों में पानी भर गया है। जोराई गांव में सड़क पर खड़ी गाड़ियां पानी में डूब गई हैं। श्योपुर जिले के बेनीपुरा गांव में क्वारी नदी का पानी गांवों में घुस गया है। यहां करीब 20 घरों में पानी भर गया, जिससे गृहस्थी का सामान खराब हो गया। ग्रामीणों को काफी नुकसान हुआ है।
शहडोल के केशवाही के मझौली क्षेत्र में तेज बारिश से मकान की कच्ची दीवार गिर गई। हादसे में बुजुर्ग दंपती की मौत हो गई। नरसिंहपुर में बरमान घाट पर नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है। प्रशासन ने यहां किनारे पर बसे लोगों को घर खाली करने के लिए कहा है।
शनिवार को हुई बारिश की तस्वीरें…

उमरिया में शनिवार को संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र के जोहिला डैम के दो गेट खोले गए हैं। दोनों गेट को एक-एक मीटर खोलकर पानी छोड़ा जा रहा। निचले इलाकों में अलर्ट जारी किया है।

मंडला में नर्मदा नदी उफान पर है। महिष्मति घाट के पास रपटा पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। ये दूसरे पुल को छूकर बह रहा। बाढ़ को लेकर प्रशासन अलर्ट पर है।

नरसिंहपुर में गोटेगांव के श्रीनगर दतला नाला और ऊमर नदी उफान पर हैं, जिससे श्रीनगर से उमरिया मार्ग बाधित हो गया।

शिवपुरी में करई नदी के बीचोंबीच से रास्ता है। पुल नहीं होने के चलते ग्रामीण पानी में से निकलकर ही नदी पार करते हैं। शनिवार को एक ट्रैक्टर नदी पार करने के दौरान बहते-बहते बचा।

शिवपुरी में बैराड के कई गांवों में बाढ़ आ गई। घरों में पानी भर गया। जोराई गांव में सड़क पर खड़ी गाड़ियां पानी में डूब गई। लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं।
9 जुलाई तक प्रदेश के आधे हिस्से में भारी बारिश मौसम विभाग के अनुसार, अगले चार दिन यानी, 9 जुलाई तक प्रदेश के आधे हिस्से में भारी बारिश का अलर्ट है। पूर्वी हिस्से में सिस्टम का असर ज्यादा रहेगा।
इस बार एक दिन ही लेट पहुंचा मानसून बता दें कि इस बार देश में मानसून 8 दिन पहले ही आ गया था। वहीं, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में यह तय समय से पहले पहुंच गया। ऐसे में अनुमान था कि मध्यप्रदेश में यह जून के पहले सप्ताह में ही आ जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पिछले 15 दिन से मानसून महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ में एक ही जगह पर ठहरा रहा। इस वजह से एमपी में इसकी एंट्री नहीं हो पाई। 13-14 जून को मानसून आगे बढ़ा। बावजूद यह प्रदेश में 1 दिन लेट हो गया
हालांकि, 3 दिन में ही मानसून ने प्रदेश के 53 जिलों को कवर कर लिया। वहीं, एक के ठहराव के बाद बाकी बचे 2 जिले- भिंड और मऊगंज में भी मानसून एंटर हो गया। इस तरह 5 दिन में ही मानसून ने पूरे प्रदेश को कवर कर लिया। एमपी में मानसून के प्रवेश की सामान्य तारीख 15 जून ही है। पिछले साल यह 21 जून को एंटर हुआ था। मानसून के एक्टिव होने के बाद से ही पूरे प्रदेश में तेज बारिश का दौर चल रहा है।
एमपी में इतना रहा तापमान…
10 साल में बारिश का ट्रेंड, पहले भोपाल के बारे में जानिए… भोपाल में जुलाई में खूब बारिश होती है। यहां एक ही महीने में 1031.4 मिमी यानी 41 इंच के करीब बारिश होने का रिकॉर्ड है। यह साल 1986 को हुई थी। 22 जुलाई 1973 को एक ही दिन में 11 इंच बारिश हुई थी, जो अब तक का रिकॉर्ड है। साल 2024 में पूरे जुलाई महीने में 15.70 इंच बारिश हुई थी।
भोपाल में जुलाई महीने में एवरेज 15 दिन बारिश होती है। यानी, हर दूसरे दिन पानी बरसता है। महीने की एवरेज बारिश 367.7 मिमी यानी 14.4 इंच है। बारिश के चलते दिन का तापमान 30 और रात में पारा 25 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है।

इंदौर में इस बार 40% ज्यादा बारिश इंदौर की बात करें तो 24 घंटे में 11.5 इंच बारिश होने का रिकॉर्ड है, जो 27 जुलाई 1913 को हुई थी। वर्ष 1973 में पूरे महीने 30.5 इंच पानी गिरा था। बारिश के चलते यहां भी तापमान में गिरावट देखने को मिलती है। इंदौर में महीने की एवरेज बारिश 12 इंच है। एवरेज 13 दिन यहां बारिश होती है। पिछले साल इंदौर में पूरे महीने 8.77 इंच बारिश हुई थी।

जबलपुर में जुलाई में गिर चुका 45 इंच पानी चारों बड़े शहरों में जबलपुर ऐसा है, जहां सबसे ज्यादा बारिश होती है। वर्ष 1930 में करीब 45 इंच पानी बरसा था जबकि 30 जुलाई 1915 को 24 घंटे की सर्वाधिक 13.5 इंच बारिश हुई थी। 2013 और 2016 में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई थी।
जबलपुर में जुलाई की सामान्य बारिश 17 इंच है। महीने में 15 से 16 दिन पानी बरसता है। जुलाई में अच्छी बारिश की उम्मीद है।

ग्वालियर में कम बारिश का ट्रेंड भोपाल, इंदौर और जबलपुर की तुलना में ग्वालियर में जुलाई के महीने में सबसे कम बारिश होती है। पिछले 10 साल में 6 बार ऐसा हुआ, जब 8 इंच से कम पानी गिरा हो जबकि यहां की एवरेज बारिश 9 इंच के करीब है।
ग्वालियर में वर्ष 1935 में महीने की सबसे ज्यादा बारिश हुई थी। तब 623.3 मिमी यानी 24.5 इंच बारिश दर्ज की गई थी। इस बार बारिश के अच्छे संकेत हैं। मानसून की दस्तक के साथ यहां तेज बारिश का दौर जारी है। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश की बात करें तो 12 जुलाई 2015 में 190.6 मिमी यानी साढ़े 7 इंच पानी बरसा था। ग्वालियर में जुलाई के महीने में एवरेज 11 दिन बारिश होती है।

उज्जैन में 36 इंच बारिश का रिकॉर्ड उज्जैन में पूरे जुलाई महीने में 36 इंच बारिश का ओवरऑल रिकॉर्ड है। इतनी बारिश साल 2015 में हुई थी। 2023 में 21 इंच से ज्यादा पानी गिर गया था। 24 घंटे में सबसे ज्यादा बारिश 19 जुलाई 2015 को 12.55 इंच हुई थी। उज्जैन में जुलाई की औसत बारिश 13 इंच है। महीने में 12 दिन पानी बरसता है। इससे रात के तापमान में गिरावट हो जाती है।
