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Kanwar yatra 2025: सावन के महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है. ऐसे में कांवड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है. आइए जानते हैं.
हाइलाइट्स
- सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी.
- कांवड़ यात्रा में शिवभक्त नंगे पांव ज्योतिर्लिंग जाते हैं.
- कांवड़ यात्रा के कई प्रकार होते हैं, जैसे साधारण, डाक, खड़ी, झूला कांवड़.
मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था, जिसे जगत कल्याण के लिए भगवान शंकर ने पी लिया था, जिसके बाद भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और तभी से भगवान शिव नीलकंठ कहलाने लगें. भगवान शिव के विष का सेवन करने से दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा. ऐसे में देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया. इसी मान्यता के तहत कांवड़ यात्रा शुरू हुई.
साधारण कांवड़ – कावड़ कई प्रकार की होती है. जिसमे सबसें सामान्य प्रकार की कांवड़, जिसमें दो बर्तनों में गंगाजल भरकर एक बांस की छड़ी पर लटकाया जाता है. इसे कांवड़िए अपने कंधे पर रखते हैं और पैदल चलते हैं. यात्रा के दौरान जल को संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है.
डाक कांवड़ – यह तेजी से पूरी की जाने वाली कांवड़ यात्रा है. इसमें कांवड़िए बिना रुके तेजी से चलते हैं और निर्धारित समय में अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. डाक कांवड़ में विश्राम और गंगाजल का जमीन पर गिरना वर्जित होता है.
झूला कांवड़ – इसमें बांस की छड़ी पर झूलते हुए बर्तन होते हैं. यह यात्रा विशेष रूप से बच्चों के लिए होती है, जो इस तरह की कांवड़ को झूलते हुए ले जाते हैं.