कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, क्या है इनका महत्व? उज्जैन के आचार्य से जानें इसका इतिहास

कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, क्या है इनका महत्व? उज्जैन के आचार्य से जानें इसका इतिहास


Last Updated:

Kanwar yatra 2025: सावन के महीने में पवित्र कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है. सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से हो रही है. ऐसे में कांवड़ यात्रा कितने प्रकार की होती है. आइए जानते हैं.

हाइलाइट्स

  • सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई 2025 से होगी.
  • कांवड़ यात्रा में शिवभक्त नंगे पांव ज्योतिर्लिंग जाते हैं.
  • कांवड़ यात्रा के कई प्रकार होते हैं, जैसे साधारण, डाक, खड़ी, झूला कांवड़.
शुभम मरमट / उज्जैन. भगवान शंकर के प्रिय माह सावन की शुरुआत होने वाली है. 11 जुलाई से सावन का पवित्र महीना शुरू हो जाएगा. सावन की शुरुआत के साथ ही कांवड़ यात्रा का आगाज भी हो जाएगा. कांवड़ यात्रा में शिवभक्त नंगे पांव हाथ में कांवड़ लेकर ज्योतिर्लिंग जाते हैं और गंगा, यमुना जैसी पवित्र नदी से उनका जलाभिषेक करते हैं. पूरे सावन महीने में ये काम चलता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा के कई प्रकार होते हैं. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने हमें बताया कि कांवड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालु विभिन्न प्रकार की कांवड़ का उपयोग करते हैं, जिनके अपने-अपने नियम और परंपराएं होती हैं. प्रमुख प्रकार की कांवड़ और उनके नियम निम्न हैं.

मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान समुद्र से विष निकला था, जिसे जगत कल्याण के लिए भगवान शंकर ने पी लिया था, जिसके बाद भगवान शिव का गला नीला पड़ गया और तभी से भगवान शिव नीलकंठ कहलाने लगें. भगवान शिव के विष का सेवन करने से दुनिया तो बच गई, लेकिन भगवान शिव का शरीर जलने लगा. ऐसे में देवताओं ने उन पर जल अर्पित करना शुरू कर दिया. इसी मान्यता के तहत कांवड़ यात्रा शुरू हुई.

कितनी प्रकार की होती है कावड़? 
साधारण कांवड़ – कावड़ कई प्रकार की होती है. जिसमे सबसें सामान्य प्रकार की कांवड़, जिसमें दो बर्तनों में गंगाजल भरकर एक बांस की छड़ी पर लटकाया जाता है. इसे कांवड़िए अपने कंधे पर रखते हैं और पैदल चलते हैं. यात्रा के दौरान जल को संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है.

डाक कांवड़ – यह तेजी से पूरी की जाने वाली कांवड़ यात्रा है. इसमें कांवड़िए बिना रुके तेजी से चलते हैं और निर्धारित समय में अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. डाक कांवड़ में विश्राम और गंगाजल का जमीन पर गिरना वर्जित होता है.

खड़ी कांवड़ – इस प्रकार की कांवड़ में बांस की छड़ी सीधी खड़ी होती है और जल के बर्तन छड़ी के ऊपरी सिरे पर लगे होते हैं. इसे स्थिर स्थान पर रखते समय खड़ा रखा जाता है और कांवड़िए इसे उठाकर पैदल चलते हैं.

झूला कांवड़ – इसमें बांस की छड़ी पर झूलते हुए बर्तन होते हैं. यह यात्रा विशेष रूप से बच्चों के लिए होती है, जो इस तरह की कांवड़ को झूलते हुए ले जाते हैं.

homedharm

कितने तरह की होती है कांवड़ यात्रा, क्या है इनका महत्व? जानें इसका इतिहास



Source link