भले ही जान चली जाए, जमीन नहीं छोड़ेंगे: खिवनी के आदिवासी बोले- 40 साल से खेती कर रहे; वन अमला बोला- सभी को मुआवजा मिला – Madhya Pradesh News

भले ही जान चली जाए, जमीन नहीं छोड़ेंगे:  खिवनी के आदिवासी बोले- 40 साल से खेती कर रहे; वन अमला बोला- सभी को मुआवजा मिला – Madhya Pradesh News


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ये कहना है खिवनी खुर्द गांव की रहने वाली टुकली बाई का। दरअसल, पिछले दिनों वन विभाग ने खिवनी अभयारण्य वन परिक्षेत्र में बने आदिवासियों के 29 परिवारों के घरों पर बुलडोजर चलाया था। वन विभाग के मुताबिक आदिवासियों ने जंगल की जमीन पर अतिक्रमण किया है। उन्हें इसे हटाने के लिए कई बार नोटिस दिए गए थे।

वन विभाग की इस कार्रवाई से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान इतने नाराज हुए कि मंच से ही उन्होंने वन अमले को फटकार लगाई। आदिवासियों के प्रतिनिधि मंडल के साथ वे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिले और इसके बाद सीहोर में भी इसी तरह से अतिक्रमण हटाने वाले डीएफओ को हटा दिया गया। सरकार ने सरदार वल्लभ भाई पटेल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का प्रस्ताव भी होल्ड कर दिया।

इस पूरे घटनाक्रम के बाद दैनिक भास्कर की टीम पड़ताल करने देवास के खिवनी खुर्द गांव पहुंची। यहां आदिवासियों के साथ साथ वन विभाग के अफसरों से भी बात की। पढ़िए रिपोर्ट…

अभयारण्य से सटे वनक्षेत्र पर कब्जा देवास-सीहोर के बीच आष्टा से करीब 50 किमी तक कन्नौद रोड पर खिवनी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी है। यहीं पटरानी गांव से करीब 4 किमी अंदर खिवनी अभयारण्य से सटे वन क्षेत्र में भील-बारेला आदिवासी समुदाय रहते हैं। पटरानी से अभयारण्य की ओर जाते समय हमें रास्ते में ही चमन सिंह मिल गए। गांव के दो अन्य लोगों के साथ बाजार से तिरपाल (पॉलिथीन) खरीदकर ले जा रहे थे।

हमने चमन सिंह से बुलडोजर से गिराए आदिवासियों के घरों का रास्ता पूछा तो वो आक्रोशित हो गए। चमन सिंह भी बारेला आदिवासी समाज से ही आते हैं। उन्होंने बताया, बारिश के मौसम में हम लोगों का घर गिरा दिया गया। हमारे लोग बारिश के नीचे रहने को मजबूर हैं। उन्हीं को देने के लिए ये पन्नियां ले जा रहा हूं।

चमन सिंह के साथ पैदल आदिवासियों के घरों तक पहुंचे। यहां जंगल के किनारे की जमीन को समतल कर खेत तैयार किए गए हैं। पथरीले खेतों में मक्का बोया है। उन्हीं खेतों के जंगल वाले किनारे की तरफ आदिवासियों ने लकड़ी और तिरपाल का उपयोग कर झोपड़ी बना रखी थी, जिन्हें गिराया गया है।

23 जून को वन अमले ने आदिवासियों के घरों पर बुलडोजर चलाए थे।

23 जून को वन अमले ने आदिवासियों के घरों पर बुलडोजर चलाए थे।

सालों हो गए पट्टा नहीं मिला

तेल सिंह अतिक्रमण वाली जमीन पर गिराई गई झोपड़ी की लकड़ी समेट रहे थे। खाने के बर्तन, अनाज, कपड़े, घर का सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था। टूटा छप्पर दिखाते हुए तेल सिंह ने कहा, मेरे 3 लड़के हैं, तीनों का घर तोड़ दिया। 4 दिन से पानी में बैठे हैं, अब तक कुछ नहीं दिया।

पुराने नाकेदार (वन विभाग के कर्मचारी) ने तीतर, बकरे लेकर जमीन तुड़वा दी थी, ये अभी का कब्जा नहीं है, पुराना है। डोकरा (पिता) थे तब से जमीन पर रह रहे हैं, सालों हो गए अभी तक पट्टा भी नहीं दिया। वहीं सड़े अनाज और मुर्गियों के फूटे अंडे दिखाते हुए सुनीता बाई ने कहा, तीन दिन से रोटी नहीं बनाई है।

जो अनाज रखा था वो पानी में खराब हो गया। मैं खूब रोई- चिल्लाई उसके बाद भी हमारा मकान तोड़ दिया। बारिश का सीजन है। शाम को नाकेदार नोटिस देकर गया, सुबह घर तोड़ दिया, इतनी जल्दी हम कैसे घर हटा लेते। हम कहां जाए, सरकारी जमीन का पट्टा तो है नहीं। हमारे ससुर के हाथ की जमीन है।

हमें हम चाहिए, इसके लिए कोर्ट तक लड़ेंगे चमन सिंह ने कहा कि वन विभाग ने हमारे घर तोड़ दिए अब चद्दर, पैसे, राशन दे रहे हैं। हमें ये कुछ नहीं चाहिए। हमें अपनी जमीन का हक चाहिए। हम जमीन नहीं छोड़ेंगे, भले ही हमारी जान चली जाए, केस लगा दिया, कोर्ट जाएंगे, लड़ेंगे भी। जमीन छोड़ देंगे तो हमारा बचेगा क्या?

चमन ने कहा कि बरसों पहले हमारे बाप-दादा बड़वानी से यहां आकर बसे। हम जंगल के लोग हैं, तो जंगल में ही रहेंगे। वन विभाग वालों ने हमसे मुर्गा, बकरा और अंडा सब मांगा। हमने सबकुछ दिया। पेड़ कटवाए, जमीन भी तुड़वाई। उनका पूरा सहयोग किया। पैसे की लालच में पहले हमने अपनी जमीन दे दी। अब हमें हटाया जा रहा है।

गांववालों का कहना है कि वन विभाग ने ही उन्हें अतिक्रमण करने के लिए कहा।

गांववालों का कहना है कि वन विभाग ने ही उन्हें अतिक्रमण करने के लिए कहा।

वन विभाग की कार्रवाई के बाद भड़के शिवराज 23 जून को हुई इस कार्रवाई के बाद बारिश के सीजन में आदिवासियों को बेदखल करने के मामले ने तूल पकड़ा। खातेगांव विधायक आशीष शर्मा ने 26 जून को सीएम डॉ. मोहन यादव को एक पत्र लिखकर आदिवासियों के घर गिराए जाने की शिकायत की। उन्होंने कार्रवाई करने वाले एसडीओ विकास माहोरे और रेंजर ओमकार सिंह को हटाने की मांग की।

इसके बाद जब केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान सीहोर में बैठक लेने पहुंचे तो सीहोर और देवास के आदिवासियों ने उनसे मुलाकात की। शिवराज ने मंच से ही वन विभाग, वन विकास निगम के अफसरों को फटकारते हुए कहा कि 30-35 साल पुरानी जमीन आदिवासी भाइयों की ही रहेगी, वहां से कोई नहीं हटेगा। बहुत रह लिए शेर-बाघ अब इंसानों को भी रहने दो। अब यहां कोई अभयारण्य नहीं बनेगा।

शिवराज ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री गरीब हितैषी हैं। सारी गड़बड़ अफसर करते हैं। सरकार आपकी सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। मामा तो हर हालत में तुम्हारे साथ रहेगा। मैं फॉरेस्ट विभाग और वन विकास निगम वालों से कहता हूं कि दोबारा ऐसी गलती मत करना।

सरदार वल्लभ भाई पटेल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का प्रस्ताव होल्ड इसके बाद शिवराज ने सीएम हाउस में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ बैठक की। इस बैठक के बाद सीहोर के डीएफओ मगन सिंह डाबर का तबादला कर दिया गया। साथ ही केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के विरोध के बाद सीहोर में प्रस्तावित सरदार वल्लभ भाई पटेल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को होल्ड कर दिया है।

मुख्यमंत्री ने अफसरों को निर्देश दिए कि अभी बारिश का समय है। किसी भी आदिवासी को कष्ट हो तो, मेरे लिए इससे बड़े दुख की बात नहीं है। अधिकारी इस तरह काम करें कि सरकार की योजनाएं भी पूरी हों और संवेदनशीलता भी बरकरार रहे। वहीं मंत्री विजय शाह को खिवनी खुर्द जाने के निर्देश भी दिए।

सीएम के निर्देश के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक शुभरंजन सेन ने एक जुलाई को एक ऑर्डर जारी कर सरदार वल्लभ भाई पटेल वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को लेकर कोई कार्रवाई न करने के निर्देश दिए।

आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह खिवनी अभयारण्य में पीड़ित आदिवासियों से मिलने पहुंचे।

आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह खिवनी अभयारण्य में पीड़ित आदिवासियों से मिलने पहुंचे।

प्रशासन ने कहा- 9 करोड़ मुआवजा दिया जा चुका अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के बाद जब बवाल मचा तो देवास कलेक्टर की तरफ से बताया गया कि वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत 13 दिसम्बर 2005 के पहले बसे परंपरागत आदिवासियों को अभयारण्य में वन भूमि पर नियमानुसार पट्टे दिए जा चुके हैं। साल 2016 से 2017 तक कुल 96 हितग्राहियों को 10 लाख मुआवजा यानी कुल 9.6 करोड़ देकर विस्थापित किया गया था।

एसडीओ बोले- नियमानुसार नोटिस दिया गया एसडीओए विकास माहोरे से जब भास्कर ने बात की तो उन्होंने बताया कि जिन लोगों ने अतिक्रमण किया था उन्हें कार्रवाई से एक महीने पहले ही नोटिस दिया गया था। उन्हें अपना पक्ष और दस्तावेज पेश करने का समय भी दिया गया था। जब किसी तरह के वैध दस्तावेज पेश नहीं किए गए तो 14 जून को बेदखली के आदेश दिए गए।

कुल 29 परिवारों के 51 लोग प्रभावित हुए हैं जिनमें से 49 के प्रधानमंत्री आवास पहले से स्वीकृत है और उनका पक्का मकान खिवनी खुर्द के राजस्व ग्राम में बना हुआ है। दो परिवार तो वहां रह भी रहे हैं।

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देवास जिले के खातेगांव विधानसभा क्षेत् के खिवनी में 23 जून को वन विभाग ने आदिवासियों के 50 से ज्यादा घरों पर बुलडोजर चला दिया था। घटना के बाद सीहोर में पीड़ित आदिवासी परिवारों ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की थी। रविवार को शिवराज, क्षेत्र के पीड़ितों को साथ लेकर सीएम हाउस पहुंचे। सीएम डॉ. मोहन यादव से मुलाकात के दौरान खातेगांव और इछावर क्षेत्र के आदिवासी समाज के लोगों के साथ बुधनी विधायक रमाकांत भार्गव भी मौजूद थे। पढ़िए पूरी खब



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