हर किसी की पसंद बनीं छतरपुर की ये 5 मिठाइयां, सावन से पहले बढ़ी डिमांड, जल्दी से जानें नाम और रेट

हर किसी की पसंद बनीं छतरपुर की ये 5 मिठाइयां, सावन से पहले बढ़ी डिमांड, जल्दी से जानें नाम और रेट


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Top 5 sweets of Chhatarpur: छतरपुर जिले में वैसे, तो 12 महीने मिठाइयां खाई जाती है, लेकिन बरसात के सीजन में कुछ ऐसी मिठाइयां होती है, जिनकी डिमांड तेजी से बढ़ जाती है. ये जिले की टॉप 5 मिठाइयों में से एक हैं, जिन्हें जिले में सबसे ज्यादा खाया जाता है.

छतरपुर जिले में वो टॉप 5 मिठाइयां हैं, जिनकी डिमांड बरसात के मौसम में तेजी से बढ़ जाती है, तो चलिए आपको बताते हैं इन मिठाइयों के बारे में..

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<strong>मलाई बर्फी -</strong> छतरपुर जिले में मलाई बर्फी की बहुत डिमांड रहती है. मलाई बर्फी की खासियत यह होती है कि यह खाने में बेहद ही स्वादिष्ट होती है और लोगों को खूब पसंद आती है. इसके रेट की बात करें, तो ₹500 किलो यह मिठाई मिलती है.

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मलाई बर्फी को बनाने में बहुत ही समय लगता है. शायद इसलिए इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा है. इसको बनाने में घंटो लग जाते हैं. दूध को पहले गर्म किया जाता है . गर्म करने के बाद गाढ़ी मलाई को जमा दिया जाता है.

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<strong>पेड़ा -</strong> छतरपुर जिले में मलाई बर्फी के साथ ही पेड़ा की मांग भी बहुत ज्यादा रहती है. क्योंकि लोगों को पेड़ा का स्वाद भी बहुत भाता है. खासकर, सावन के महीने में पेड़े की बड़ी मांग रहती है. रक्षाबंधन के त्योहार पर्व पर बहन की थाली में पेड़े जरूर रखे जाते हैं.

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पेड़ा को बनाने में भी बहुत मेहनत लगती है. घंटो दूध को पकाना होता है. दूध जले नहीं इसका ध्यान देना होता है. आग की कितनी आंच में पकाना है इसका भी विशेष ध्यान देना होता है. पेड़ा बनाने के लिए औंटे हुए दूध को फेंटना होता है, तभी पेड़ा बनता है. इसके रेट की बात करें, तो जिले में 350 रुपए किलो पेड़ा मिलता है.

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गुजिया – छतरपुर जिले में मलाई बर्फी और पेड़ा के बाद गुजिया की भी बहुत मांग रहती है. गुजिया जिसे 12 महीने लोग खाना पसंद करते हैं. जिले में गुजिया को रबड़ी के साथ खाया जाता है. गुजिया रबड़ी लोग बहुत ही ज्यादा पसंद करते हैं. अगर मीठा में कुछ खाना है तो गुजिया जरूर खाते हैं. 15 रुपए में 1 रबड़ी गुजिया आप खा सकते हैं.

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<strong>मोतीचूर लड्डू -</strong> मोतीचूर लड्डू भी लोगों की फेवरेट मिठाई है. छतरपुर जिले के मंदिरों में सबसे ज्यादा मोतीचूर लड्डू ही चढ़ाए जाते हैं, क्योंकि लोगों को मोतीचूर के लड्डू खाना सबसे ज्यादा पसंद होते हैं. हालांकि, महंगे भी मिलते हैं.

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<strong>जलेबी -</strong> छतरपुर में जलेबी सिर्फ बुजुर्ग ही पसंद नहीं करते हैं बल्कि युवा भी जलेबी खाना खूब पसंद करते हैं. पहले बुजुर्ग लोग अपने घरों में जलेबी जरूर बनवाया करते थे. खासकर सावन की महीने में हर घर में दादी-नानी जलेबी बनाती थीं. इस मिठाई को गांव से लेकर शहरों तक में खूब खाया जाता है. छतरपुर जिले में जलेबी को दूध के साथ सबसे ज्यादा खाना पसंद किया जाता हैं. साथ ही रबड़ी के साथ भी खाई जाती है. जलेबी जो10 रुपए में भी खाने को मिल जाती है.

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