हेल्थ मिनिस्ट्री का कर्मचारी देता था खबर- कौन करेगा निरीक्षण: इंडेक्स के चेयरमैन ने घूस लेकर कई मेडिकल कॉलेजों को दिलाई मान्यता – Indore News

हेल्थ मिनिस्ट्री का कर्मचारी देता था खबर- कौन करेगा निरीक्षण:  इंडेक्स के चेयरमैन ने घूस लेकर कई मेडिकल कॉलेजों को दिलाई मान्यता – Indore News



इस मामले में 35 लोगों पर केस दर्ज किया है

.

सीबीआई ने मेडिकल कॉलेजों को घूस लेकर मनमाफिक मान्यता दिलवाने पर इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश भदौरिया सहित 35 लोगों पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया है। जांच एजेंसी के मुताबिक, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में गहरी पैठ बनाकर भदौरिया कॉलेजों को फर्जी तरीके से मान्यता और रिन्यूअल दिलवाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। इसके बदले वह मोटी रकम वसूलता था।

एफआईआर में मंत्रालय के अधिकारी चंदन कुमार को भी आरोपी बनाया गया है। वह भदौरिया को एनएमसी निरीक्षण से जुड़ी गोपनीय जानकारी देता था, जैसे-कब टीम आएगी, कौन सदस्य होंगे, निरीक्षण की तारीख आदि। 30 जून को केस दर्ज होते ही भदौरिया भूमिगत हो गया है।

यूजीसी के पूर्व चेयरमैन भी फंसे

केस दर्ज होते ही अंडरग्राउंड हुआ भदौरिया

  • मामले में यूजीसी के पूर्व चेयरमैन और डीएवीवी के पूर्व कुलपति डॉ. डीपी सिंह को भी आरोपी बनाया गया है। वे वर्तमान में टीआईएसएस मुंबई में चांसलर हैं। आरोप है कि छग़ के रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज को एनएमसी की पॉजिटिव रिपोर्ट दिलवाने में उन्होंने भूमिका निभाई।
  • सीबीआई की जांच रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज से शुरू हुई थी। यहीं से पूरे देश में फैले मेडिकल कॉलेजों के नेटवर्क का खुलासा हुआ। जांच में सामने आया कि 40 से अधिक कॉलेज ऐसे हैं जो मान्यता के इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं। इंडेक्स मेडिकल कॉलेज का नाम भी इसी दौरान सामने आया। एफआईआर में भदौरिया को 25वें नंबर का आरोपी बनाया गया है।
  • जांच में यह भी पता चला कि एनएमसी से साठगांठ के लिए एक बड़ा दलाल नेटवर्क सक्रिय है। इसमें भदौरिया और रावतपुरा सरकार उर्फ रविशंकर महाराज की साझेदारी थी। दोनों भिंड के लहार के रहने वाले हैं।
  • इंडेक्स ग्रुप के तहत मेडिकल, डेंटल, फार्मेसी, पैरामेडिकल और मैनेजमेंट कॉलेज शामिल हैं, जो मालवांचल यूनिवर्सिटी से संबद्ध हैं। भदौरिया इस यूनिवर्सिटी और मयंक वेलफेयर सोसायटी का संचालन करते हैं।
  • भदौरिया पर आरोप है कि वे कॉलेजों के चेयरमैन और डायरेक्टर से 3 से 5 करोड़ रुपए लेकर अनुकूल मान्यता दिलवाते थे, चाहे संस्थान एनएमसी के मानकों पर खरे न उतरते हों।
  • भदौरिया ने कॉलेज में अस्थायी डॉक्टरों की नियुक्ति की और एनएमसी निरीक्षण के वक्त उन्हें स्थायी फैकल्टी बताया। इसके लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम में फिंगरप्रिंट क्लोन कर फर्जी थंब इंप्रेशन बनाए गए और रेगुलर अटेंडेंस दर्शाई गई।



Source link