गिर कर उठने और हर कर जीतने वाले को अब लोग बाजीगर नही शुभमन गिल कहेंगे क्योंकि ऐजबेस्टन की महाभारत को जीतने के लिए जो चक्रव्यूह कप्तान ने अपने पांच सबसे खास लोगों के साथ बनाया था उसमें पूरी तरह से उलझकर रह गई अंग्रेजों की सेना. क्या बल्लेबाजी क्या गेंदबाजी हर डिपार्टमेंट में भारतीय टीम की सेना ने इंग्लिश टीम को रौंद दिया.
कप्तान शुभमन गिल इस मैच को बतौर कप्तान और बतौर बल्लेबाज शायद ही कभी भूल पाए. क्योंकि टीम की जीत के साथ ही उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से भी सबका दिल जीता. पहली पारी में गिल ने 269 रन की नाबाद पारी खेली जिसने 1979 में गावस्कर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. दूसरी पारी में गिल ने टीम के जरूरत के हिसाब से 162 गेंदों में 161 रन बनाकर रिकॉर्ड्स में कई मुकाम हासिल किए. दोहरा शतक+150+ स्कोर, सबसे तेज भारतीय कप्तान द्वारा छक्कों की संख्या सब पर गिल अपना नाम लिख गए. दोनो पारी में कुल 430 रन, जिसमें एक दोहरा शतक और एक सैकड़ा शामिल—गिल टेस्ट इतिहास के पाँचवें ऐसे बल्लेबाज बने जो एक मैच में 400+ रन बनाने में सफल रहे.गिल का ये प्रदर्शन सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि ही नहीं, बल्कि 600+ रन का विशाल लक्ष्य देने और कप्तानी में आत्मविश्वास का जीता-जागता उदाहरण था. उन्होंने न सिर्फ कप्तानी में दबाव संभाला बल्कि आक्रामकता और अनुशासन का शानदार मिश्रण दिखाया.
पहली पारी में सिराज ने 6 विकेट लेकर इंग्लिश शीर्ष क्रम को झकझोर दिया 6/70 रिकॉर्ड सिराज ने मध्य-पारी में लगातार विकेट लिए और इंग्लैंड के वापसी की उम्मीदों पर दरक डाली उनकी गेंदबाज़ी से ही मैच भारत के हाथों में चला गया. सिराज ने मैच से पहले प्रैक्टिस सेशन के दौरान ही कहा था कि इस टेस्ट में वो बड़ा किरदार निभाएंगे और वो ठीक वैसा ही करते नजर आए. पहली पारी में दूसरी नई गेंद के साथ सिराज ने गेंदो को दोनों तरफ सीम कराया और ऐसा स्पेल फेंका जिसने इंग्लिश बल्लेबाजी को तारतार करके रख दिया.
नए गेंद के साथ आकाश डीप की आक्रामक और तेज गेंदबाज़ी ने विकेट लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनकी स्पीड और सटीकता ने भारत को लगातार सफलता दिलाई. पहली पारी में 4 विकेट लेने वाले आकाशदीप ने इंग्लिश टॉप आर्डर के बल्लेबाजों को लगातार परेशान किया. ऐजबेस्टन टेस्ट में बेन डकेट के दोनों पारियों में आउट होने का रीप्ले देखेंगे तो आपको समझ आ जाएगा गेंदबाज कितना तैयार होकर इंग्लैंड में टेस्ट खेलने के लिए मैदान पर उतरा है और उसको गेंद को चलाना आता है . बेन डकेट को आकाशदीप ने पहली पारी में स्लिप में कैच कराया जो राउंड दि विकेट हवा में एंगल से अंदर और पिच पर पड़ कर थोड़ा बाहर निकली. दूसरी पारी नें डकेट ऐसे गेंद के लिए तैयार थे तो गेंद एंगल से अंदर आई और वो बोल्ड हो गए. क्राली और रूट के विकेट का विशलेषण करेंगे तो आप पाएंगे कि वो गेंद को आगे पिच करके गेंद को मूव करने का मौका दे रहे थे.
ऐजबेस्टन टेस्ट में भारतीय उप कप्तान ने दोनों पारियों में अर्धशतक लगाया और जीत में अहम योगदान दिया. पहली पारी में पंत ने 65 गेंदों में 65 रन बनाए, जिसमें तीन छक्के शामिल थे, और भारतीय पारी को तेज रफ़्तार दी. दूसरी पारी में भी पंत ने आक्रामक बल्लेबाज़ी से मध्य-पारी में रफ्तार बनाए रखी और विकेटकीपिंग में भी ऊर्जा झोंकी, जिससे भारत ने दबाव बरकरार रखा.
ऐजबेस्टन टेस्ट की पहली पारी में जब जडेजा क्रीज पर आए तो भारत को एक साझेदारी की जरूरत थी और जडेजा ने दिखाया कि वो बैट से कितना अहम योगदान दे सकते है. जडेजा ने शुभमन गिल के साथ 208 रनों की साझेदारी की और खुद ने इस पार्टनरशिप के दौरान 89 रन बनाए. दूसरी पारी में उन्होंने 69* रन बनाकर पारी खेली जो बहुत निर्णायक रही. जडेजा की सूझबूझ और बॉलिंग में संतुलन ने टीम को संतुलित स्थिति में रखा. उन्होंने बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों में योगदान दिया, जिससे मैच में टीम इंडिया इंग्लैंड पर भारी पड़ी.
ये पाँचों खिलाड़ी मिलकर भारत के लिए पहली बार एजबेस्टन में टेस्ट जीत सुनिश्चित करने की राह प्रशस्त की गिल की कप्तानी और बल्लेबाज़ी, पैसर्स की सही लाइन लेथ , तथा मध्य-पारी के संतुलन और कंट्रोल ने एक शानदार टीम प्रयास ने ऐजबेस्टन में इतिहास रचने में मदद की .