ओबीसी कार्ड पर गरमाई एमपी की राजनीति, सीएम मोहन यादव की कांग्रेस को चुनौती

ओबीसी कार्ड पर गरमाई एमपी की राजनीति, सीएम मोहन यादव की कांग्रेस को चुनौती


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OBC Reservation Politics : मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी तापमान तेजी से बढ़ता जा रहा है. कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तीखा पलटवार करते हुए कहा है कि बीजेपी क…और पढ़ें

OBC आरक्षण को लेकर एमपी में सियासत तेज हो गई है.

हाइलाइट्स

  • ओबीसी कार्ड पर राजनीति शुरू, कांग्रेस ने उछाला मुद्दा
  • सीएम मोहन यादव का पलटवार, कांग्रेस को दे दी चुनौती
  • कांग्रेस भी पीछे नहीं, सड़क पर उतरकर करेगी संघर्ष
भोपाल. मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण एक बार फिर से राजनीतिक विवाद की चपेट में है. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर ओबीसी वर्ग के संवैधानिक हक में कटौती की और स्थानीय निकाय चुनावों में उन्हें पर्याप्त प्रतिनिधित्व से वंचित किया. इसके जवाब में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने खुलकर कांग्रेस पर निशाना साधा और तथ्यों के आधार पर सरकार की स्थिति स्पष्ट की. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ग्वालियर में एक कार्यक्रम में दिए गए बयान में कहा, “ओबीसी वर्ग के आरक्षण को लेकर भाजपा सरकार पूरी तरह प्रतिबद्ध है. हम आरक्षण बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़े और तीन स्तरीय रिपोर्ट के आधार पर 27% आरक्षण सुनिश्चित किया.” सीएम ने आगे यह भी जोड़ा कि “कांग्रेस के शासनकाल में ओबीसी आरक्षण केवल कागजों में था, उसे हमने जमीन पर उतारा.”

दूसरी तरफ कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और पूर्व सीएम कमलनाथ ने हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया गया कि भाजपा सरकार ने ओबीसी समुदाय को केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया. उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2021 में निकाय चुनावों के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पक्ष नहीं रख सकी, जिसके कारण ओबीसी वर्ग को नुकसान उठाना पड़ा. कांग्रेस नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि 2018-2022 तक की भाजपा सरकार ने ओबीसी वर्ग के लिए न तो अलग से बजट आवंटन किया, न ही रोजगार और शिक्षा के क्षेत्र में ठोस योजनाएं बनाई. उनका कहना है कि ओबीसी आरक्षण केवल चुनावी हथियार बनकर रह गया है.

कांग्रेस ने कोशिश तक नहीं की थी, सीएम यादव का हमला 
हालांकि तथ्य यह बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद ओबीसी आरक्षण को पुनः बहाल करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने तीन स्तरों पर डाटा कलेक्शन, सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण और स्थानीय प्रतिनिधित्व पर रिपोर्ट तैयार की थी. यह रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की गई और उसी आधार पर आरक्षण को 14% से बढ़ाकर 27% किया गया. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस पूरी प्रक्रिया को “संवैधानिक लड़ाई” बताते हुए कहा कि कांग्रेस ने अपने कार्यकाल में इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया, बल्कि न्यायालय में ओबीसी आरक्षण को लेकर कोई ठोस पक्ष ही नहीं रखा था.

भाजपा की रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति
मध्य प्रदेश में ओबीसी वर्ग लगभग 48% आबादी का प्रतिनिधित्व करता है और यह वर्ग दोनों प्रमुख दलों-भाजपा और कांग्रेस-के लिए निर्णायक भूमिका निभाता है. आगामी नगरीय और पंचायत चुनावों से पहले यह मुद्दा एक बार फिर गर्माया हुआ है. भाजपा जहां ओबीसी आरक्षण को अपनी उपलब्धि बता रही है, वहीं कांग्रेस इसके कार्यान्वयन और नियत पर सवाल उठा रही है. मोहन यादव की ओर से आए पलटवार ने साफ कर दिया है कि भाजपा इस मुद्दे को लेकर रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक रणनीति पर चल रही है. इस पूरे घटनाक्रम में यह साफ झलकता है कि ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सिर्फ सामाजिक न्याय का नहीं, बल्कि अब यह मध्य प्रदेश की राजनीतिक ध्रुवीकरण की धुरी बन चुका है, जिसका सीधा असर 2025 के स्थानीय चुनाव और 2029 की दिशा तय कर सकता है.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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