कहां है गरीब की छत? 10 महीने से पेड़ के नीचे गुजर रही ज़िंदगी…सामने आई पीएम आवास योजना की सच्चाई

कहां है गरीब की छत? 10 महीने से पेड़ के नीचे गुजर रही ज़िंदगी…सामने आई पीएम आवास योजना की सच्चाई


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PMAY Failure: धार जिले के लोहारी गांव में एक बुजुर्ग महिला अपनी विधवा बहू और बच्चों के साथ पेड़ के नीचे रहने को मजबूर है. जॉब कार्ड में गलती के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना से वंचित. पढ़िए ज़मीनी हकीकत.

धार में पीएम आवास योजना की पोल खुली

हाइलाइट्स

  • बुजुर्ग महिला 10 महीने से पेड़ के नीचे रह रही है.
  • जॉब कार्ड में गलती के कारण PMAY का लाभ नहीं मिला.
  • प्रशासन ने अस्थायी आवास का आश्वासन दिया.

नवीन मैहर/धार: प्रधानमंत्री आवास योजना, जिसका उद्देश्य देश के हर बेघर नागरिक को छत देना है, वो जमीनी हकीकत में किस तरह चरमरा रही है, इसकी जीती-जागती तस्वीर सामने आई है धार जिले के लोहारी गांव से. यहां एक बुजुर्ग महिला अपनी विधवा बहू और मासूम बच्चों के साथ पिछले दस महीनों से खुले आसमान के नीचे एक पेड़ की छांव में जिंदगी काट रही है.

जिस योजना से उन्हें नया आशियाना मिलना था, उस योजना की दीवारें भ्रष्ट कागजी कार्यवाही और अधिकारियों की संवेदनहीनता में ढह गईं. इस महिला का कच्चा मकान लगभग एक साल पहले बारिश के दौरान ढह गया था. आश्रय के नाम पर न कोई छत, न दीवारें, सिर्फ एक पेड़ और कुछ प्लास्टिक की चादरें हैं जो इस परिवार की पूरी दुनिया बन गई है.

राधाबाई, जो बुजुर्ग महिला की विधवा बहू हैं, उनके जॉब कार्ड में तकनीकी खामियां होने के कारण प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) का लाभ नहीं मिल सका. सिस्टम की इस क्रूर चूक का नतीजा ये है कि एक गरीब परिवार दस महीने से मौसम, कीड़े, और असुरक्षा के बीच जीवन गुजार रहा है और कोई सुनने वाला नहीं.

स्थानीय लोगों द्वारा जब यह मामला उजागर किया गया, तब जाकर प्रशासन हरकत में आया. अब अधिकारी यह आश्वासन दे रहे हैं कि महिला को आवास योजना का लाभ जल्द दिलाया जाएगा और तब तक के लिए अस्थायी आवास भी उपलब्ध कराया जाएगा. लेकिन सवाल ये है कि क्या दस महीने तक एक बेसहारा परिवार की आंखों के सामने से गुज़रे अधिकारी, पंचायतकर्मी, और सरकारी योजनाएं अंधी थीं? क्या हम आज भी ऐसी व्यवस्था में जी रहे हैं जहां फॉर्म में गलती इंसान से उसकी छत छीन सकती है?

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