विशेषज्ञों के मुताबिक सफेद रंग के यह सांप किसी विशिष्ट प्रजाति के नहीं, बल्कि कोबरा या करैत प्रजाति के होते हैं. इनका रंग मेलानिन की कमी की वजह से सफेद हो जाता है, जिसे एल्बिनो या ल्यूसिस्टिक सांप कहा जाता है. हालांकि रंग बदलने से इनके जहर में कोई कमी नहीं आती. दो बार सफेद सांप का रेस्क्यू करने वाले स्नेक कैचर महादेव पटेल बताते हैं कि जिले में सफेद करैत ज्यादा देखा गया है. यह आम करैत की तुलना में ज्यादा खतरनाक लगते हैं, क्योंकि लोग इन्हें पहचान नहीं पाते और आकर्षण के कारण नजदीक चले जाते हैं.
सफेद रंग के सांप अक्सर ठंडे मौसम में ही ज्यादातर दिखाई देते है. बरसात के मौसम में जमीन में पानी भर जाने के कारण सांप बाहर निकलते हैं. यही समय होता है जब खेतों, मकानों और सड़कों के किनारे भी यह सांप देखे जाते हैं. ऐसे में सफेद सांप की चमक दूर से नजर आ जाती है और लोग उसे छेड़ने की कोशिश करते हैं, जो जानलेवा हो सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर इलाज नहीं मिले तो कोबरा और करैत के जहर से महज 30 मिनट में मौत हो सकती है.
अब तक कई बार हुए हैं रेस्क्यू
बता दे कि, खरगोन जिले के बिस्टान, महेश्वर, सनावद और झिरन्या क्षेत्र में अब तक आधा दर्जन से ज्यादा बार सफेद सांपों को रेस्क्यू किया जा चुका है. इनमें से कुछ मामले ऐसे थे जब लोग सांप को पकड़कर घर ले आए थे, लेकिन समय रहते रेस्क्यू टीम पहुंच गई. वहीं, महादेव पटेल ने कहा कि कोई भी सांप चाहे दिखने में कितना भी सुंदर या अनोखा क्यों न लगे, उसे छूने या पकड़ने की कोशिश कभी नहीं करनी चाहिए.
1. तुरंत स्नेक रेस्क्यू टीम या वन विभाग को सूचना दें.
2. सांप को भगाने या मारने की कोशिश न करें.
3. बच्चों और पालतू जानवरों को दूर रखें.
4. सांप को घेरने या वीडियो बनाने की गलती न करें.
5. खुद से सांप पकड़ने की गलती नहीं करें.
सांप काटे तो क्या करें
1. सांप के काटने पर घबराए नहीं.
2. तेज या ज्यादा चलफिर नहीं करें, इससे जहर तेजी से फैलता है.
3. सर्प दंश वाली जगह को साफ पानी से धो ले.
4. तुरंत नजदीकी चिकित्सा सहायता केंद्र ले जाएं.
5. भूलकर भी ओझा या झाड़ फूंक के चक्कर में नहीं पड़े.