एमआर बोले- सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्रतिबंध हटाए: ट्रेड यूनियन की देशव्यापी हड़ताल, खंडवा में दो संगठन मैदान में उतरें – Khandwa News

एमआर बोले- सरकारी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज में प्रवेश प्रतिबंध हटाए:  ट्रेड यूनियन की देशव्यापी हड़ताल, खंडवा में दो संगठन मैदान में उतरें – Khandwa News


खंडवा में मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव से जुड़े दो संगठनों के सैकड़ों मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने काम बंद करके हड़ताल की। श्रम अधिकारी अनिल मलगाया को ज्ञापन दिया। केंद्र सरकार से मांग की कि चारों लेबर कोड को तत्काल रद्द किया जाए। सेल्स प्रमोशन एम्पलाई

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साथ ही सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की वर्किंग को ना रोका जाए।

बताया कि जीवन रक्षक दवाओं की जो कीमतें हैं, उनमें से जीएसटी हटाया जाए। ताकि मरीजों को जीवन रक्षक दवाई सस्ती कीमतों में मिल सके। न्यूनतम वेतन को 26 हजार 910 रूपए किया जाए। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज द्वारा कर्मचारियों की निगरानी करके उनकी निजता का उल्लंघन किया जा रहा है।

उस पर सरकार तत्काल कार्रवाई करें। सभी फार्मा कंपनी जो मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव है, कंपनियों में उनकी नौकरी को स्थायित्व प्रदान किया जाए।

संगठनों ने कहा कि केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए सरकार द्वारा लाई गई नीतियों के चलते कोरोना काल के बाद से मजदूरों पर हमले बढ़े हैं। सरकार द्वारा योजना बद्ध तरीकों से 29 श्रम कानून में किए गए बदलावों ने श्रमिकों पर अत्याचारों और दमन-उत्पीड़न के नए-नए स्वरूपों के लिए रास्ता खोल दिया है।

इससे मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्स भी अछूते नहीं है। केंद्र सरकार अपने उद्योगपति मित्रों को खुश करने और व्यापार करने में आसानी के नाम पर 29 श्रम कानूनों को बदलकर चार श्रम संहिताएं किसी भी समय लागू करने की तैयारी में है। यह सभी श्रमिक विरोधी संहिताएं केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों को गुलामी की तरफ धकेलने के लिए लाई जा रहीं हैं।

यूनियन ने केंद्र सरकार के सामने रखी मांगे

  • चारों श्रम संहिताओं को रद्द करें और एसपीई अधिनियम, 1976 को बहाल रखें।
  • बिक्री संवर्धन कर्मचारियों के लिए वैधानिक कार्य नियम बनाएं ।
  • सरकारी अस्पतालों व संस्थानों में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्स के प्रवेश पर प्रतिबंध हटाएं। काम करने का अधिकार सुनिश्चित करें।
  • दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की कीमतें कम करें। दवाईयों से GST हटाएं।
  • आत्मनिर्भरता के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की फार्मा कंपनियों को पुनर्जीवित करें।
  • नकली दवाईयों का उत्पादन करने वाले निर्माताओं के लिए कड़ी सजा सुनिश्चित करें।
  • सेवानिवृत्त बिक्री संवर्धन कर्मचारियों के लिए 9 हजार रुपए न्यूनतम पेंशन घोषित करें।

संगठनों ने राज्य सरकार के सामने रखी मांगे

  • बिक्री संवर्धन कर्मचारियों (दवा प्रतिनिधियों) के लिए न्यूनतम वेतन 26 हजार 910 रूपए घोषित किए जाए।
  • बिक्री संवर्धन कर्मचारियों के लिए 8 घंटे के कार्य की अधिसूचना घोषित कर लागू करें। औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 2(S) में संशोधन करते हुए SPEs को Workman की श्रेणी में परिभाषित कर शामिल करें।

संगठनों ने कंपनियों के सामने रखी मांगे

  • सेल्स के नाम पर दवा प्रतिनिधियों पर दमन और उत्पीड़न बंद करें।
  • इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स द्वारा ट्रैकिंग और निगरानी के माध्यम से गोपनीयता में घुसपैठ बंद करें।



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