रुद्राक्ष से सागवान तक की हरियाली
इस बगिया में रुद्राक्ष, मोहगिनी, सागवान, सतावर, बहेरा, नीम जैसे सौ से अधिक दुर्लभ व उपयोगी पेड़ लहलहा रहे हैं. खास बात यह है कि ये सभी पौधे उन्होंने देशभर की सरकारी और निजी नर्सरियों से मंगवाकर सफलतापूर्वक उगाए हैं. लोकल 18 से बातचीत में उन्होंने बताया कि कुछ पौधे सतना की संत निकुंज नर्सरी से लिए गए जबकि अन्य प्राइवेट स्रोतों और उद्यानिकी विभाग की मदद से प्राप्त हुए.
उनकी बगिया में फलों की बात करें तो सेव, संतरा, आम, जामुन, पपीता, चीकू, अंगूर जैसे पेड़ मौजूद हैं. फूलों में गुलाब, गुड़हल, गेंदा, चंपा, चमेली, रातरानी जैसे कई प्रकार की प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं. वहीं सब्जियों में बैगन, टमाटर, आलू, लौकी भाजी जैसी कई वेरायटी उगाई जा रही है.
उद्यानिकी विभाग की सहायता और तकनीकी सहयोग
उद्यानिकी विभाग सतना ने न केवल पौधे उपलब्ध कराए बल्कि पानी की व्यवस्था के लिए स्प्रिंकलर सिस्टम के नोजल शेड भी सब्सिडी में दिया. इससे सिंचाई में आसानी हुई और पौधों की वृद्धि भी बेहतर रही.
ग्रामीण ज्ञान और विज्ञान का समन्वय
उन्होंने कहा कि यह सब कुछ उन्हें गाँव के बुजुर्गों और कृषि वैज्ञानिकों से मिली जानकारी और प्रेरणा के चलते संभव हो पाया है. उनकी बगिया न सिर्फ जैव विविधता का उदाहरण है बल्कि सतना जिले के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल भी बन चुकी है.