सिर्फ खेती नहीं, एक आंदोलन है ये…! MP के इस किसान ने 5 जंगलों की मिट्टी से बनाई ऐसी खाद, अब सब पुछ रहे तरीका

सिर्फ खेती नहीं, एक आंदोलन है ये…! MP के इस किसान ने 5 जंगलों की मिट्टी से बनाई ऐसी खाद, अब सब पुछ रहे तरीका


खंडवा. खंडवा जिले के नानखेड़ा (पुनासा) क्षेत्र के किसान लखन यादव ने जैविक खेती को नई दिशा दी है. उन्होंने 5 जंगलों की मिट्टी और गुड़ से आधारित एक विशेष जीवामृत तैयार करके खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ाई है. साथ ही झांसी स्थित कृषि वैज्ञानिक वी. के. सचान जी से लाये गए मदर कल्चर से किसानों में इस तकनीक के प्रति उत्साह जगाया है.

दस गुणा उर्वरा: पांच जंगलों की मिट्टी
लखन यादव बताते हैं कि उन्होंने 400 एकड़ में स्थाई जैविक खेती शुरू की है. इसमें मुख्य भूमिका “जीवामृत” की रही है—जो उन्होंने पांच जंगलों से लायी मिट्टी के मिश्रण से तैयार किया. प्रत्येक जंगल से लगभग 1 किलो मिट्टी लाकर कुल 5 किलो मिट्टी को 30 किलो गुड़ सहित 200 लीटर पानी वाले ड्रम में डाले, और इसे 60 दिनों तक रखकर सक्रिय जीवाणु भरपूर “जीवामृत” बनाया.फिर इसे सिंचाई के पानी में 20 लीटर जीवामृत मिला कर प्रति एकड़ डाला गया. इस विधि से खेतों में माइक्रोबायोलॉजिकल गतिविधि बढ़कर मिट्टी की उर्वरा शक्ति में उल्लेखनीय सुधार लाई.

मदर कल्चर – तकनीक का दूसरा आयाम
इसके अलावा यादव ने झांसी के कृषि वैज्ञानिक से मदर कल्चर भी हासिल किया. यह एक प्रकार का लिक्विड खमीर है जिसमें विशेष जीवाणु होते हैं.उन्होंने इसे 1,000 लीटर पानी वाले टैंक में 10 लीटर मदर कल्चर और 150 किलो गुड़ मिलाकर 60 दिनों तक संचालित किया. इसके बाद इसे बड़े पैमाने पर 5,000-लीटर टंकियों में शिफ्ट कर बढ़ाया और अपने खेतों में डाला.इस प्रक्रिया के बाद पौधों पर जैविक पोषण के साथ-साथ मिट्टी के सूक्ष्मजीवों की संख्या और प्रकार में वृद्धि हुई, जिससे फसल की गुणवत्ता और पैदावार में सुधार हुआ.

गौशाला व खेत में खेती-प्रसंस्कृत खाद
लखन यादव ने कृषि के साथ ही गौशाला में गीर नस्ल की 15 गायें रखी हैं, जिनके गोबर, गौमूत्र और घी का संपूर्ण उपयोग हो रहा है.
गौमूत्र से कृषि की मिट्टी में पोषण मिला रहा है.गोबर व ट्रॉली से लाया गया गोबर कंपोस्ट खाद का रूप लेकर खेतों में उपयोग किया जा रहा है.इस तरह, पौष्टिक प्राकृतिक खाद का पूर्ण चक्र तैयार हो गया है, जिससे खेत मे जैविक तटस्थता बनी रहती है और मृदा स्वास्थ्य बेहतर होता है.

-सस्टेनेबल ऊर्जा: सोलर पंप
150 एकड़ खेतों में से अब तक 70 एकड़ पर सिंचाई केवल सोलर पावर पंप से हो रही है. यह बिजली या डीज़ल आधारित पंप की जगह अधिक सस्ती और प्राकृतिक ऊर्जा पर आधारित है.
-विविध फसल-चक्र: जैविक से ड्रेगन फ्रूट
उनके फार्म पर विविध खेती की तकनीक प्रयोग में लाई जाती है –
जैविक गेहूं, अरहर, अदरक, नींबू, पपीता, टमाटर, खीरा आदि फसलों के साथ अब ड्रेगन फ्रूट की भी खेती शुरू की गई है.कृषि मंडलीयों से मिलने वाली परियोजना योजनाओं के माध्यम से जैविक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है.

दूसरों को भी सशक्त बनाना
लखन यादव का उद्देश्य सिर्फ अपने खेत का उन्नयन नहीं है, वे अन्य किसानों को भी जैविक खेती अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं. अपनी तकनीक और अनुभव साझा कर पाए तो कल्पना है की आने वाले वर्षों में खंडवा में जैविक खेती की लहर तेजी से फैल सकती है.

पांच जंगलों की मिट्टी से निर्मित जीवामृत और मदर कल्चर तकनीक से तैयार जैविक विधि, सोलर सिंचाई और गौशाला आधारित कंपोस्ट गौशाला—कृषि के सभी पहलुओं को सस्टेनेबल मॉडल में परिवर्तित कर रही है. यह नवाचार न सिर्फ खंडवा के किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि मिट्टी स्वास्थ्य और पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी वरदान साबित हो रहा है. लखन यादव द्वारा दिखाया गया यह रास्ता यह साबित करता है कि परंपरागत खेती से जैविक कृषि में रूपांतरित होकर ना सिर्फ उत्पादन बढ़ाना संभव है, बल्कि मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरा शक्ति को भी संरक्षित किया जा सकता है—यह सच में खेतों में नवाचार का प्रतीक है.



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