कमोड-सिंक में दिखता है डरावना कनखजूरा? सिर्फ 5 चीजों से करें जड़ से सफाया, बघेलखंड की दादी माँ का नुस्खा!

कमोड-सिंक में दिखता है डरावना कनखजूरा? सिर्फ 5 चीजों से करें जड़ से सफाया, बघेलखंड की दादी माँ का नुस्खा!


सतना. मानसून के मौसम में घर की साफ-सफाई का ध्यान रखना और कीड़ों से बचाव करना बेहद जरूरी होता है. विशेषकर बाथरूम और किचन जैसी जगहों की नालियों से अक्सर ऐसे कीड़े निकलते हैं, जो देखने में डरावने होते हैं और स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदेह हो सकते हैं. इन्हीं में से एक है कनखजूरा. ये कीड़ा गंदगी, अंधेरी और ठंडी जगहों में रहना पसंद करता है इसलिए अक्सर यह किचन सिंक , टॉयलेट शीट या कमोड , बाथरूम की नालियां आदि जगह पाया जाता है.

केमिकल नहीं, घरेलू उपाय ज़्यादा असरदार
घर को इन कीड़ों से सुरक्षित रखने के लिए अक्सर लोग बाजार से महंगे और केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स खरीदते हैं. लेकिन बघेलखंड के लोग वर्षों से ऐसे घरेलू उपायों का इस्तेमाल करते आ रहे हैं जो सस्ते होने के साथ-साथ प्रभावी भी हैं. लोकल 18 से बातचीत में स्थानीय निवासी मीणा द्विवेदी ने बताया कि बघेलखंड की महिलाएं अब भी पारंपरिक घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर इनकीड़ों से छुटकारा पा रही हैं. यह घरेलू मिश्रण तैयार करना बेहद आसान है और इसके लिए ज़रूरी सभी चीजें आपके किचन में आसानी से मिल जाएंगी. इस उपाय को अपनाकर आप इन जिद्दी कीड़ों का सफाया कर सकते हैं

* सबसे पहले एक बड़ा बाउल लें और उसमें पानी भरें.
* उसमें 1 से 2 चम्मच नमक डालें.
* अब इसमें लाल मिर्च पाउडर या खड़ी मिर्च को पीसकर डाल दे और अच्छी तरह मिला लें.
* इसके बाद 2 चम्मच चूना डालें और इस घोल को करीब 5 से 10 मिनट के लिए वैसे ही छोड़ दें.
* अब इसमें 2 चम्मच रिफाइन्ड ऑइल डालें और सभी चीजों को अच्छे से मिक्स कर लें.
* मिश्रण को 2 मिनट तक यूं ही छोड़ दें, जिससे सभी तत्व एक साथ प्रतिक्रिया करें.

कैसे करें इस्तेमाल? रात में होगा ज्यादा असरदार
इस घरेलू लिक्विड को किचन सिंक, कमोड और बाथरूम आदि की नालियों में डाल दें और फिर कुछ घंटों तक वहाँ पानी न डालें. सबसे अच्छा रिजल्ट पाने के लिए इस उपाय को रात के समय अपनाएं ताकि मिश्रण ज्यादा देर तक असर कर सके.

असर दिखेगा पहली बार से ही
इस देसी उपाय को हफ्ते में तीन से चार बार दोहराने से आपको चौंकाने वाले नतीजे मिल सकते हैं. हालांकि पहली बार से घर में दिखने वाले डरावने कानखजूरों की संख्या कम हो जाती है और कुछ ही दिनों में वे पूरी तरह गायब हो जाते हैं.



Source link