बाबा की पादुकाएं सिर पर रखकर शाही सवारी के साथ पंडाल पहुंचे धीरेंद्र शास्त्री।
बागेश्वर धाम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत सन्यासी बाबा की पादुकाओं के पूजन से हुई। धीरेंद्र शास्त्री ने सबसे पहले बागेश्वर बालाजी की पूजा की और फिर सन्यासी बाबा की पादुकाएं सिर पर रखकर शाही सवारी के साथ पंडाल पहुंचे। वहां आचार्यों द्वारा पादुक
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इस दौरान पंडाल परिसर ‘जय श्री राम’ के नारों से गूंज उठा और हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में मौजूद रहे।
बागेश्वर महाराज बोले- आज भी हूं बाबा का शिष्य धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे आज भी सन्यासी बाबा के शिष्य हैं और उनकी कृपा से सभी संकट दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा- “कंठ की दीक्षा से गुरु-शिष्य का पवित्र रिश्ता बनता है और गुरु के वचन ही गुरु मंत्र होते हैं।”
6 राज्यों से आए सुंदरकांड मंडलों का पाठ महोत्सव में दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, उत्तराखंड, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश से आए सुंदरकांड मंडलों ने सामूहिक रूप से सुंदरकांड का पाठ किया। धीरेंद्र शास्त्री ने इन मंडलों के साथ बैठक कर उन्हें अपने क्षेत्रों में नियमित सुंदरकांड पाठ आयोजित करने को कहा और नवंबर में होने वाली पदयात्रा में भाग लेने का भी आह्वान किया। साथ ही, उन्होंने अन्य मंडलों को सनातन धर्म के प्रचार के लिए प्रेरित करने की बात कही।