मिर्च की फसल में कीटों का कहर? ये देसी घोल बनेगा आपका सबसे बड़ा हथियार, हर 15 दिन पर करें छिड़काव

मिर्च की फसल में कीटों का कहर? ये देसी घोल बनेगा आपका सबसे बड़ा हथियार, हर 15 दिन पर करें छिड़काव


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Mirch Ki Kheti: खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी के अनुसार मिर्च की फसल को कीटों से बचाने के लिए देसी जुगाड़ बताया है, जो किटों के लिए बहुत ही असरदार है.

हाइलाइट्स

  • जैविक स्प्रे और बचाएं लाखों की फसल
  • रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा देता है
  • सरल और लागत शून्य है
खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन सहित अन्य जिलों में मिर्च की खेती करने वाले किसानों को अक्सर पत्तियां खाने वाले और रस चूसने वाले कीटों से फसल को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. इन कीटों के प्रभाव से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है. कीटनाशकों के लगातार उपयोग से मिट्टी की गुणवत्ता भी खराब होती है. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि किसान रासायनिक दवाओं की बजाय देशी जैविक घोल का उपयोग करें, जो न सिर्फ असरदार है, बल्कि मिट्टी और फसल दोनों के लिए सुरक्षित भी है.

खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र में पदस्थ उद्यानिकी वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी बताते हैं कि मिर्च की फसल को कीटों से बचाने के लिए नीम की निंबोली से बना घोल अत्यंत लाभकारी होता है. यह घोल पत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों और रस चूसने वाले कीटों दोनों पर असर करता है. खास बात ये है कि इसे किसान बिना पैसे खर्च किए खुद अपने घर पर भी आसानी से तैयार कर सकते हैं, और इसका छिड़काव हर 15 दिन में करने से कीटों पर नियंत्रण बना रहता है.

देशी घोल बनाने की विधि
वैज्ञानिक बताते है कि, घोल बनाने के लिए सबसे पहले 5 किलो नीम की निंबोली लें और उसे अच्छी तरह से कूट या पीस लें. अब 20 लीटर की बाल्टी में 10 लीटर साफ पानी भरें और उसमें यह निंबोली चूर्ण डालकर दो दिन तक ढंककर गलने के लिए रख दें. दो दिन बाद इस मिश्रण को छान लें और जो गाढ़ा नीम निंबोली सत (घोल) तैयार होगा, उसे छिड़काव के लिए इस्तेमाल करें.

छिड़काव का समय और मात्रा
छिड़काव के लिए 15 लीटर के पंप में 13.5 लीटर पानी लें और उसमें 1 लीटर नीम निंबोली का तैयार घोल मिलाएं. इस मिश्रण को फसल पर अच्छी तरह से छिड़कें. डॉ. त्यागी का कहना है कि यह प्रक्रिया हर 15 दिन में एक बार दोहरानी चाहिए. इससे कीटों की संख्या नियंत्रित रहेगी और फसल को नुकसान नहीं पहुंचेगा.

जैविक और सस्ता उपाय
बता दें कि, यह घरेलू देशी उपाय पूरी तरह से जैविक और सस्ता है. इससे न केवल मिर्च की फसल सुरक्षित रहती है, बल्कि लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है. किसान अगर समय-समय पर इस जैविक उपाय का पालन करें, तो कीटनाशकों पर निर्भरता भी घटेगी और उत्पादन में वृद्धि भी देखने को मिलेगी.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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