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Khargone News: सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटर में बसे गांवों का सड़क संपर्क वर्षभर पानी भरने से टूट जाता है. ऐसे में नर्मदा समग्र संस्था ने नदी एंबुलेंस की शुरुआत की, जो खरगोन से लगे मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी, अल…और पढ़ें
दरअसल, सरदार सरोवर बांध के बैकवॉटर में बसे गांवों का सड़क संपर्क वर्षभर पानी भरने से टूट जाता है. ऐसे में नर्मदा समग्र संस्था ने नदी एंबुलेंस की शुरुआत की, जो खरगोन से लगे मध्यप्रदेश के धार, बड़वानी, अलीराजपुर, महाराष्ट्र के नंदुरबार और गुजरात के छोटा उदयपुर जिलों के 40 से अधिक गांवों में पहुंचती है.
यहां हर सप्ताह नियमित दिन तय हैं, जिन पर यह एंबुलेंस गांव-गांव जाती है और मरीजों को घर पर ही इलाज मुहैया कराती है. एंबुलेंस में दो डॉक्टर, वार्डबॉय और एक समाजसेवी की टीम रहती है. मरीजों की जांच से लेकर दवा वितरण तक की सभी सेवाएं मुफ्त होती हैं. गंभीर मरीजों को ज़रूरत होने पर नाव या अन्य साधनों से मुख्य अस्पताल तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की जाती है.
13 साल पहले हुई शुरुआत
यह सेवा खास तौर पर बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है, जिन्हें सफर कर शहर जाना मुश्किल होता है. गौरतलब है कि, नदी एंबुलेंस की शुरुआत वर्ष 2013 में सरदार सरोवर बांध क्षेत्र में की गई थी. इससे पहले 2011 में मंडला जिले के बरगी जलाशय में पहली नदी एंबुलेंस चलाई गई थी. पर्यावरणविद और पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय अनिल माधव दवे ने इस सेवा की कल्पना की थी, जिसे अब संस्था के राज्य समन्वयक मनोज जोशी आगे बढ़ा रहे हैं.
ग्रामीणों के लिए वरदान बनी एम्बुलेंस
डॉक्टर कमलेश भावसार और उनकी टीम हर हफ्ते इस सेवा को नियमित रूप से चला रही है. ग्रामीणों के अनुसार नदी एंबुलेंस उनके लिए वरदान बन गई है. पहले इलाज के लिए नाव या दिनभर का सफर करना पड़ता था, लेकिन अब इलाज उनके घर तक पहुंच रहा है. सरकार ओर सामाजिक सामाजिक लोगो के सहयोग से चलने वाली वाली इस एंबुलेंस की हर हफ्ते गांवों में प्रतीक्षा रहती है.