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Rewa Famous Sweet: आज हम विंध्य की एक ऐसी फेमस स्वीट डिश के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसे लोग लवाबजा के नाम से जानते हैं. आज भी ये लवाबजा विंध्य क्षेत्र की रसोइयों में राज कर रहा है.
वैसे तो विंध्य का अंदाज ही अलग है, यहां का रहन-सहन, खान-पान, सब कुछ लाजवाब है. विंध्य का सुंदरजा आम जहां दुनिया भर में अपनी पहचान बना रहा है तो मिठाइयों में विंध्य की खुरचन याद आते ही लोगों के मुंह में पानी आ जाता है. आज हम विंध्य की एक ऐसी फेमस स्वीट डिश के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, जिसे लोग लवाबजा के नाम से जानते हैं. आज भी ये लवाबजा विंध्य क्षेत्र की रसोइयों में राज कर रहा है.

अगर आप खाने के शौकीन हैं और खासकर मीठा खाना पसंद करते हैं तो बिल्कुल ये आपके लिए बेहतरीन स्वीट डिश हो सकती है. आज हम विंध्य की जिस स्वीट डिश के बारे में बताने जा रहे हैं, ये खाने में तो लाजवाब है साथ ही इसे पचाना भी बहुत आसान है. सेहत के लिए ये वरदान है, इसलिए इसकी एक खास पहचान है. विंध्य क्षेत्र में लोग इसे खाना काफी पसंद करते हैं.

विंध्य की फेमस मिठाई खुरचन तो आपने जरूर खाई होगी और अगर अब तक आपने टेस्ट नहीं किया है तो एक बार जरूर टेस्ट करिएगा, क्योंकि एक बार अगर आपने खुरचन खा लिया तो फिर आप उसके दीवाने हो जाएंगे और नहीं खाया तो बहुत कुछ मिस भी कर देंगे. ठीक इसी तरह विंध्य क्षेत्र की दूसरी स्वीट डिश है लवाबजा जो आपके मुंह में पानी ला देगी. एक बार खा लिया तो बार-बार खाने का मन होगा. यह स्वाद में भी लाजवाब है और साथ ही आपके सेहत के लिए भी बहुत ही शानदार है. लवाबजा जिसे सामा या समा की खीर भी कहा जाता है. सामा एक तरह का मोटा अनाज है, जिसका औषधीय महत्व भी है. यह पाचन क्रिया में बहुत आसानी से पच जाता है.

सबसे पहले तो देसी दूध का इंतजाम कर लें कोशिश करें की पैकेट का दूध ना लेना पड़े और अगर आप 5 किलो दूध का लवाबजा बनाना चाहते हैं तो उसके लिए सबसे पहले सामा को दो से तीन बार साफ पानी से धुल लें. इसमें आधा किलो सामा लगेगा. बनाने के आधा घंटा पहले उसे भिगो दें.

इसके बाद आप ड्राई फ्रूट की कटिंग कर लें और उसे घी में फ्राई कर लें. फिर 5 किलो दूध ले लें, और उसे उबलने दें. जब 5 किलो दूध आपका गर्म हो जाए तो उसमें जो सामा आपने भिगोकर रखा है, उसे दूध में डाल दें. एक बड़े चम्मच से उसे चलाते रहें. एक बात का ध्यान रखें की शक्कर तभी डालें जब दूध और सामा पक जाए और फिर उसमें स्वाद अनुसार शक्कर ऐड कर दें. वैसे 5 किलो दूध में सवा किलो के आसपास शक्कर पड़ेगा. अब इसमें इलायची पाउडर पीसकर डालेंगे, थोड़ा सा मावा डालेंगे और इसमें थोड़ा केसर मिक्स करना है. सब कुछ ऐड करने के बाद इसे कम से कम 15 मिनट तक धीमी आंच पर चम्मच से चलाते रहें और फिर उसे ठंडा करके सर्व करें.”

लवाबजा देखा जाए तो सामा जो मोटा अनाज होता है, उससे तैयार किया जाता है. विंध्य क्षेत्र का खास स्वीट डिश है. फंक्शन में बनने वाला राजा डिश है और लोग इसे बहुत पसंद करते हैं. घरों में लोग कभी भी बना लेते हैं. ज्यादातर घरों में इसे बनाया जाता है क्योंकि यह बहुत आसानी से तैयार किया जा सकता है.

अगर आप सामा की खीर बनाना चाहते हैं, तो यह आपको आसानी से किराना सामान की दुकान पर मिल जाएगा. कुछ दुकानदार जो नहीं जानते हैं वह नहीं रखते हैं लेकिन जिन्हें जानकारी है वो इसे जरूर रखते हैं. अलग अलग पैकिंग में आता है. वर्तमान में ये 120 रुपए किलो की दर से बिक रहा है. आधे किलो के पैकेट में भी ये आता है. रीवा के ग्रामीण बाहुल्य इलाकों में इसकी खेती होती है. लगभग सारे विंध्य क्षेत्र में भी इसकी अलग से खेती की जाती है.

रीवा आयुर्वेद हॉस्पिटल के डीन डाॅक्टर दीपक कुलश्रेष्ठ बताते हैं कि सामा औषधीय रूप से भी और मानव सेहत के लिए बहुत ही बेहतर है. इसे पचाना आसान होता है. इसलिए अधिकतर जो महिलाएं व्रत रहती हैं, वो इसका सेवन करती हैं. इसके अलावा सामा कैलोरी डिफिशिएंट डाइट है इसलिए डायबिटिक लोग इसका सेवन कर सकते हैं. मुख्य तौर पर सामा को विंध्य क्षेत्र के लोग कई अलग-अलग तरीके से खाते हैं लेकिन उसकी खीर लोग बहुत पसंद करते हैं और इसे बड़े चाव के साथ खाते हैं.

इसे अंग्रेजी में बार्नयार्ड मिलेट भी कहा जाता है. इस पौधे का वानस्पतिक नाम एकिनोक्लोआ कोलोना है. सामा को समाई, समा, सांवा जैसे कई नामों से जाना जाता है. अंग्रेजी में इसे सावा मिलट या जंगल राइस भी कहते हैं. इसे वराई या व्रत वाले चावल भी बोला जाता है. ये एक तरह का मोटा अनाज है.

सामा की खेती मुख्य रूप से उत्तराखंड, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु और अन्य नॉर्थ ईस्ट स्टेट में होती है. इसकी खेती के लिए विंध्य क्षेत्र में भी उपयुक्त तापमान है. इसके लिए 50 से 60% तक बारिश पर्याप्त होती है, ये 6.5 पिच वाली हल्की और दोमट मिट्टी में पैदा होता है. सामा की खेती रीवा जिले में 70 से 80 वर्ष पहले बहुत ज्यादा की जाती थी लेकिन वर्तमान में इसका रकबा घट गया है.

रीवा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अधीक्षक डाॅक्टर अक्षय श्रीवास्तव बताते हैं कि इस मोटे अनाज में पोषक तत्वों की भरमार होती है. पौष्टिक गुणों, स्वास्थ्यवर्धक चीजों से यह चावल भरपूर है. एक तरह से यह आपके लिए अमृत का कार्य करता है. इसके 100 ग्राम दाने की बात करें तो 10 ग्राम तो इसमें प्रोटीन होता है, 65 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 2 ग्राम फैट, 6 ग्राम फाइबर के साथ कैल्शियम मैग्नीशियम आयरन जिंक ये सब प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.

अगर आप सामा चावल की खेती करना चाहते हैं तो इसकी खेती बहुत आसान है. रीवा के कृषि वैज्ञानिक डॉ आर पी जोशी बताते हैं कि कम पानी की जरूरत होती है. प्रति हेक्टेयर में 8 से 10 किलो बीज की आवश्यकता होती है. बुवाई के बाद 20 से 25 दिन में पहली निंदाई करनी चाहिए. सिंचाई में अलग से व्यवस्था करने की जरूरत नहीं होती है. ये वर्षा कालीन फसल है हालांकि दाने भरते समय जरुर थोड़ा सा ध्यान रखें. आवश्यकता अनुसार अगर बारिश कम हो रही है तो उसमें सिंचाई कर दें. इसकी फसल 80 से 95 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 12 से 18 क्विंटल इसका उत्पादन है.