क्या ‘संघ स्टाइल’ की वापसी हो रही? हेमंत खंडेलवाल के पॉलिटिकल मूव पर जमी नजरें

क्या ‘संघ स्टाइल’ की वापसी हो रही? हेमंत खंडेलवाल के पॉलिटिकल मूव पर जमी नजरें


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BJP MP Politics : मध्य प्रदेश भाजपा में संगठन को फिर से मजबूत करने की कवायद शुरू हो गई है. चार साल बाद पार्टी एक बार फिर संभाग और जिला संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की तैयारी में है. प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • BJP में संगठन को लेकर रणनीति की तैयारी
  • संभाग और जिला संगठन मंत्री बनने की चर्चा
  • पुराने फार्मूले से संगठन के अंदर हलचल बढ़ी
भोपाल. भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश में संगठन को जिलों तक और अधिक सक्रिय व अनुशासित करने के लिए चार साल बाद फिर से संभाग और जिला स्तर पर संगठन मंत्रियों की नियुक्ति की तैयारी कर रही है. प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के नेतृत्व में संगठन की नई संरचना पर मंथन शुरू हो गया है. माना जा रहा है कि जल्द ही खंडेलवाल की टीम में संभाग और जिला संगठन मंत्री शामिल किए जा सकते हैं, जिन्हें संगठनात्मक गतिविधियों की निगरानी और समन्वय की जिम्मेदारी दी जाएगी.

सूत्रों के अनुसार, यह पूरी कवायद बीजेपी के पुराने संगठनात्मक मॉडल की वापसी के रूप में देखी जा रही है. 2021 में संगठन ने इस व्यवस्था को बंद करते हुए संभागीय संगठन मंत्रियों को हटाकर उन्हें प्रदेश कार्यसमिति में सदस्य बना दिया था. अब पार्टी ने एक बार फिर जिला स्तर पर सांगठनिक अनुशासन को मजबूत करने के इरादे से इस प्रणाली को फिर से लागू करने की तैयारी की है.

संघ की पृष्ठभूमि वाले नेता होंगे प्राथमिकता में
बीजेपी के संगठन मंत्री आम तौर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि से आते हैं. ऐसे नेताओं की पहचान कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद, अनुशासनात्मक नियंत्रण और सांगठनिक रिपोर्टिंग पर विशेष ध्यान देने के लिए होती है. प्रदेश संगठन को लगता है कि जिलों में संगठनात्मक ढांचे की मजबूती के लिए इसी पद्धति को फिर से लागू करना जरूरी हो गया है.

प्रदेश प्रवक्ता बोले – संगठन को और सशक्त करने की प्रक्रिया
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता राजपाल सिंह सिसौदिया ने इस संबंध में कहा कि, “संगठन को समय-समय पर पुनर्गठित किया जाता है ताकि वह बदलते समय और राजनीतिक जरूरतों के अनुसार प्रासंगिक बना रहे. समान विचारधारा वाले संगठनों से जुड़े अनुभवी कार्यकर्ताओं को दायित्व देना हमारी परंपरा रही है. प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के शीर्ष नेतृत्व जो उचित समझेंगे, उसके अनुसार ही दायित्व तय होंगे.”

कांग्रेस का हमला – संगठन में तालमेल की कमी, जनता भुगत रही नुकसान
बीजेपी की इस सांगठनिक कवायद को लेकर कांग्रेस ने निशाना साधा है. कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरौलिया ने कहा, “बीजेपी में अब संगठन जैसा कुछ नहीं बचा है. संगठन के लोग सांसद और विधायकों की नहीं सुन रहे हैं और सांसद-विधायक अफसरों के सामने बेबस हैं. जब यह स्थिति हो, तो सबसे ज़्यादा नुकसान जनता को ही उठाना पड़ता है. हम लगातार जनता की आवाज उठा रहे हैं, लेकिन बीजेपी की सरकार समस्याओं का समाधान करने के बजाय केवल संगठन के पुनर्गठन का ढोंग कर रही है.”

राजनीतिक संकेत क्या हैं?
राजनीतिक जानकारों की मानें तो विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने संसदीय चुनाव में बड़ा प्रदर्शन किया, लेकिन जिलों में सांगठनिक सक्रियता की कमी कई जगह महसूस की गई. हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद पार्टी अब संगठन की जड़ों तक पहुंचने और ग्राउंड फीडबैक को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है. यह कदम उसी दिशा का हिस्सा माना जा रहा है. इसके जरिए बीजेपी आगामी स्थानीय निकाय और नगरीय चुनावों से पहले कार्यकर्ता स्तर पर फोकस करना चाहती है. साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि सांसद-विधायक और संगठन के बीच बेहतर तालमेल हो ताकि जनहित के मुद्दों पर फास्ट रिस्पांस और प्रभावी समाधान सुनिश्चित हो सके.

Sumit verma

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प…और पढ़ें

सुमित वर्मा, News18 में 4 सालों से एसोसिएट एडीटर पद पर कार्यरत हैं. बीते 3 दशकों से सक्रिय पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखते हैं. देश के नामचीन मीडिया संस्‍थानों में सजग जिम्‍मेदार पदों पर काम करने का अनुभव. प… और पढ़ें

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