भानपुर खंती में इनर्ट वेस्ट का 27 मीटर ऊंचा पहाड़ भी हट सकता है
.
आदमपुर छावनी में बने कचरे के पहाड़ से सूखे कचरे का निष्पादन दिसंबर से जोर पकड़ सकता है। चार साल पहले सूखे कचरे से टोरिफाइड चारकोल (कोयला) बनाने को लेकर एनटीपीसी से अनुबंध हुआ था। 400 मीट्रिक टन क्षमता वाला यह प्लांट अगले चार महीने में तैयार हो जाएगा, दिसंबर में यहां प्रोडक्शन शुरू हो सकता है।
बताया जा रहा है कि मार्च तक प्लांट पूरी क्षमता से काम करने लगेगा। वाराणसी के बाद भोपाल दूसरा ऐसा शहर होगा, जहां कचरे से टोरिफाइड चारकोल बनेगा। टोरिफाइड चारकोल का उपयोग पॉवर प्लांट में बिजली उत्पादन के लिए होता है।
आदमपुर छावनी में लगभग 4 लाख टन कचरा डम्प है। इसमें से लगभग डेढ़ लाख टन सूखा कचरा है। इस पुराने कचरे की कैलोरिफिक वैल्यू की जांच कराई जा चुकी है और एनटीपीसी ने इसे टोरिफाइड चारकोल के लिए उपयुक्त पाया है। भोपाल में रोजाना इकट्ठा होने वाले कुल 800 टन कचरे में से 400 टन सूखा कचरा होता है। इस प्लांट से टोरिफाइड चारकोल का उत्पादन शुरू होने पर नगर निगम को कम से कम 4.86 करोड़ रुपए की बचत होगी। निगम अभी ड्राय वेस्ट के निष्पादन पर 4.86 करोड़ खर्चा करता है।
एनटीपीसी के अफसरों ने किया साइट का निरीक्षण
एनटीपीसी के अफसरों ने गुरुवार को आदमपुर छावनी में प्लांट की साइट का निरीक्षण किया। निगम ने एनटीपीसी को 15 एकड़ जमीन दी है। एनटीपीसी इस पर 220 करोड़ रुपए खर्चा करेगा। निगम कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने कहा कि एनटीपीसी यहां तीन मशीनें लगाएगी। पहली मशीन दिसंबर में इंस्टॉल होगी। बाकी दो मार्च तक इंस्टॉल होंगी।
अयोध्या बायपास निर्माण में इस्तेमाल होगा इनर्ट वेस्ट
अयोध्या बायपास निर्माण में एनएचएआई 15 लाख टन इनर्ट वेस्ट का उपयोग करेगा। आदमपुर की साइंटिफिक लैंडफिल साइट से वेस्ट लिया जा रहा है। साथ ही भानपुर खंती में 15.87 एकड़ में बने 27 मीटर ऊंचे कचरे के पहाड़ को लेने पर भी एनएचएआई राजी है। भोपाल के प्रोजेक्ट ऑफिसर देवांश नुवाल ने कहा कि सीपीसीबी की अनुमति मिलने पर इसका उपयोग संभव है। कमिश्नर हरेंद्र नारायण ने बताया कि अनुमति मिली तो मियावाकी पद्धति से जंगल भी बनेगा।