मानसून में बाघ बनते हैं अपने ही बच्चों के दुश्मन! जंगल की क्रूर सच्चाई जानकर कांप उठेंगे आप

मानसून में बाघ बनते हैं अपने ही बच्चों के दुश्मन! जंगल की क्रूर सच्चाई जानकर कांप उठेंगे आप


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मानसून का सीजन टाइगर के बच्चों के लिए भी काफी महत्वपूर्ण होता है इस दौरान बच्चे अपनी मां से अलग होकर नई टेरिटरी यानी कि अपना अलग क्षेत्र बनाते हैं लेकिन इनके लिए यह सब इतना आसान नहीं होता है 

हाइलाइट्स

  • टाइगर्स के लिए मानसून का समय चुनौती और टकराव का होता है.
  • इस मौसम में बाघों के बीच काफी लड़ाई होती है.
  • कभी-कभी ये लड़ाई जानलेवा भी साबित होती है.
अनुज गौतम, सागर: मानसून सिर्फ हरियाली ही नहीं लाता, टाइगर्स के लिए ये समय चुनौती और टकराव का होता है. जैसे ही टाइगर के बच्चे 18-20 महीने के होते हैं, वे अपनी मां से अलग होकर नई टेरिटरी की तलाश में निकलते हैं. लेकिन जंगल में हर जगह पहले से कोई न कोई टाइगर राज कर रहा होता है.

टेरिटरी का खेल बन जाता है मौत का कारण

अगर कोई नया मेल टाइगर किसी पुराने टाइगर की टेरिटरी में घुसता है, तो उसे बाहर निकालने के लिए भीषण लड़ाई होती है. कभी-कभी ये लड़ाई जानलेवा भी साबित होती है. अक्सर बड़े टाइगर खुद को सुरक्षित रखने और अपने इलाके को बचाने के लिए नए टाइगर को मार भी देते हैं.

मेल टाइगर्स के लिए मुश्किल होती है राह

फीमेल टाइगर को नई जगह बसाना थोड़ा आसान होता है क्योंकि वे उतना बड़ा क्षेत्र नहीं चाहतीं, लेकिन मेल टाइगर्स को बड़ी टेरिटरी चाहिए होती है, जिसमें शिकार, पानी और सुरक्षित क्षेत्र शामिल हों. इसीलिए उनका संघर्ष लंबा और ज्यादा खतरनाक होता है.

प्रबंधन के लिए सबसे चुनौती भरा समय

मानसून के समय घनी झाड़ियां और कम विज़िबिलिटी की वजह से वन विभाग के लिए टाइगर पर नजर रखना और शिकारियों से सुरक्षा देना भी मुश्किल हो जाता है.

वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व, जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिले में फैला है, वहां इस बार 8 नए टाइगर क्ब्स हैं जो अपनी टेरिटरी तलाश रहे हैं. रिजर्व में फिलहाल 24 टाइगर हैं, जिनकी संख्या 6 साल में 12 गुना बढ़ी है.

प्रबंधन पूरी तरह अलर्ट पर

डिप्टी डायरेक्टर डॉ. ए अंसारी ने बताया कि इस संवेदनशील समय में मानसून श्रमिक, पैट्रोलिंग टीमें और स्थानीय गार्ड्स को 2-3 के समूह में तैनात किया गया है ताकि हर मूवमेंट पर नज़र रखी जा सके और टाइगर क्ब्स की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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