70 साल पहले नेहरू को मिला तोहफा, किसानों के लिए बना नासूर, जमीन को बंजर कर रही कांग्रेस घास 

70 साल पहले नेहरू को मिला तोहफा, किसानों के लिए बना नासूर, जमीन को बंजर कर रही कांग्रेस घास 


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Congress Grass ke Nuksan: कांग्रेस ग्रास जिसे गाजर घास भी कहते हैं इसका सबसे बड़ा नुकसान यही है कि खेती के साथ-साथ इंसानों और जानवरों के लिए भी जहरीला माना जाता है.

हाइलाइट्स

  • कांग्रेस ग्रास के पौधे बहुत खतरनाक माने जाते हैं.
  • पर्यावरण के साथ-साथ इंसानों को भी पहुंचाते नुकसान.
  • किसानों के लिए है सबसे बड़ा सिर-दर्द.

अनुज गौतम, सागर: आजादी के बाद देश में खाने के लाले पड़े थे. तब इस भीषण खाद्य संकट से उबरने के लिए प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अमेरिका से मदद मांगी, और अमेरिका ने 20 लाख टन गेहूं भारत भेज भी दिया. जिससे देशवासियों को राहत मिली लेकिन इस राहत के साथ आफत भी मिल गई. जिसने आज भी पीछा नहीं छोड़ा है पर इस आफत को पार्थेनियम वीड, गाजर घास या कांग्रेस ग्रास के नाम से जाना जाता है. इस कांग्रेस ग्रास के पौधे इतने खतरनाक माने जाते हैं, जो पर्यावरण तो छोड़ो जानवर और इंसानों के लिए भी बेहद जहरीले होते हैं. यह घास किसानों के लिए परेशानी बनी हुई है.

क्यों कहा जाता है कांग्रेस ग्रास?

बताया जाता है कि साल 1955 में अमेरिका के मेक्सिको से गेहूं के साथ इस घास के बीज आ गए थे, और सबसे पहले दक्षिण में फैलना शुरू हुए जो महाराष्ट्र तक पहुंचे और फिर धीरे-धीरे पूरे देश में इसने अपना साम्राज्य फैला लिया. जिसकी वजह से भारी नुकसान हो रहा है क्योंकि यह पौधा जहां भी हो जाता है वह अपने आसपास कोई पौधे पनपने नहीं देता है, और जमीन को बंजर बना देता है. कांग्रेस सरकार के समय आए और उसी के कार्यकाल के दौरान इस घास ने अपनी जड़ें जमाई जिसकी वजह से इसे कांग्रेस ग्रास कहा जाता है. 

सागर कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉक्टर के एस यादव बताते हैं कि वे पार्थेनियम नाम से इस घास को जानते हैं इसे गाजर घास या कांग्रेस घास भी कहा जाता है. यह 1955 के आसपास आई थी जो महाराष्ट्र में गेहूं के बीजों के साथ अमेरिका और मेक्सिको से आई थी. शुरुआती दौर में यह दक्षिण के इलाकों और महाराष्ट्र में फैली थी धीरे-धीरे वर्तमान में पूरे देश में फैल चुकी है एक तरह से हमारी जमीन के लिए यह नासूर बन चुकी है और काफी नुकसान भी कर रही है.

एक गाजर घास के पौधे में 10000 से 25000 तक बीज होते हैं, इसका सबसे अच्छा उपाय तो यह माना जाता है कि वर्तमान सीजन में बीज पकने से पहले हाथों में दस्ताने पहन कर इसके पेड़ों को उखाड़ कर नष्ट कर देना चाहिए. खास तौर पर देखा होगा कि सड़क के किनारे रेलवे स्टेशन के किनारे खेतों की मेढ़ो के साथ किसानों के खेतों में भी फैल गया है जो हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है. सबसे खतरनाक बात ये है कि यह हमारी स्किन को डैमेज करता है और कई बार चकत्ता जैसे निशान भी बन जाते हैं , खुजली होने लगती है इंफेक्शन होने लगता है, स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां होने लगते हैं. इसके साथ ही पैरों में उसका असर देखने को मिलता है. डॉक्टर यादव बताते हैं कि घास के बीज पकने से पहले दस्ताने पहन कर इनको खेत से उखाड़ लें और फिर गोबर की खाद में मिलाकर वर्मीकंपोस्ट में मिला दे. 

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