IPL सट्टे के आरोपी वकील की जमानत याचिका निरस्त: कोर्ट ने कहा- वकील के खिलाफ इतने अपराध होना आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है – Guna News

IPL सट्टे के आरोपी वकील की जमानत याचिका निरस्त:  कोर्ट ने कहा- वकील के खिलाफ इतने अपराध होना आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है – Guna News



कोर्ट ने आरोपी वकील की जमानत याचिका खारिज कर दी।

गुना में IPL सट्टेबाजी के मामले में गिरफ्तार वकील संदीप सोलंकी की जमानत याचिका एडिशनल सेशन कोर्ट ने खारिज कर दी है। कोर्ट ने कहा कि एक वकील के खिलाफ बार-बार अपराध दर्ज होना उसकी आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है।

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यह था मामला

22 मई को एसआई चंचल तिवारी को मुखबिर से मिली सूचना पर टेकरी रोड स्थित पुल के पास से अशोकनगर के सोपुर चक निवासी कौशलेंद्र को पकड़ा, जो वर्तमान में गुना की त्रिमूर्ति कॉलोनी में रहता है। आरोपी के पास से गुजरात टाइटंस और लखनऊ सुपर जायंट्स के मैच का हिसाब-किताब और IPL सट्टे की आईडी वाला मोबाइल फोन बरामद हुआ।

पूछताछ में आरोपी ने बड़े सट्टा गिरोह का खुलासा करते हुए बताया कि वह रिंकू राठौर के लिए काम करता है और गिरोह में भानू पिथौरा, सूरज शर्मा, संदीप सोलंकी और राकेश टेना भी शामिल हैं, जो सट्टा आईडी संचालित करते हैं।

कोर्ट ने याचिका खारिज की

IPL सट्टा मामले में पुलिस ने आरोपी भानू पिथौरा को गिरफ्तार कर उसका मोबाइल और स्क्रीन रिकॉर्डिंग जब्त की, साथ ही पहले से गिरफ्तार कौशलेंद्र और भानू को पुलिस कस्टडी में लिया। 3 जुलाई को एक अन्य आरोपी वकील संदीप सोलंकी ने कोर्ट में सरेंडर किया, जिसे एक दिन के पुलिस रिमांड के बाद 4 जुलाई को जेल भेज दिया गया। सोलंकी ने अन्य आरोपियों की जमानत का हवाला देते हुए जमानत याचिका दायर की, लेकिन कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी।

वकील के खिलाफ इतने अपराध, उसकी आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है

एडिशनल सेशन जज ने आरोपी वकील संदीप सोलंकी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ मारपीट, गृह अतिचार, बलात्कार, पॉक्सो एक्ट और सट्टा अधिनियम के तहत कुल 22 अपराध दर्ज हैं और 9 बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा चुकी है।

कोर्ट ने कहा कि एक वकील के खिलाफ इतने अपराध दर्ज होना उसकी आपराधिक प्रवृत्ति को दर्शाता है। साथ ही, पुलिस को अभी एक और मोबाइल जब्त करना है जिससे अपराध की अन्य कड़ियां जुड़ी हैं। इन सभी कारणों से आरोपी का मामला अन्य जमानत पर छूटे आरोपियों से अलग है और जमानत मिलने पर साक्ष्य प्रभावित करने तथा अपराध दोहराने की आशंका है।



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