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Kyoti Waterfall Rewa: रीवा के जलप्रपातों में बीते कुछ समय में कुछ हादसे भी देखने को मिले हैं. जिस वजह से जिला प्रशासन ने लोगों को ऐसे स्थान पर पर्यटन के दौरान सतर्क रहने के लिए कहा है. प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि सेल्फी या स्टंटबाजी के लिए ज्यादा किनारे और खतरे वाले स्थान पर ना जाएं.
रीवा जिले के अंतर्गत सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में स्थित है प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जल प्रपात – क्योटी जल प्रपात जहां प्रति वर्ष बरसात के मौसम में हजारों की तादाद में लोग जल प्रपात देखने आते हैं लेकिन आम जनता की सुरक्षा से हर साल यहां खिलवाड़ होता है.

यहां शासन द्वारा अभी तक तो किसी तरह का कोई विकास नहीं हो पाया है. लेकिन सुरक्षा की द्रष्टि से भी प्रशासन ने यहाँ कोई कड़े कदम नहीं उठाए हैं, पिछले वर्ष मकर संक्रांति के पावन पर्व पर हजारों लोग 330फीट गहरे वाटरफॉल के मुहांने पर खड़े थे तो हजारों लोग बहती नदी पार कर रहे थे जिसमें कई महिलाएं और बच्चे भी थे. यह सुरक्षा की द्रष्टि से गंभीर चूक है, बरसात के मौसम में तो कई पर्यटक की तो जान भी चली जाती है, क्योंकि यहां आज तक कभी भी एक रेलिंग तक नहीं लगवाई जा सकी है.

दूर दराज से आने वाले पर्यटकों को पर्यटन स्थलों एवं जलप्रपात का आनंद लेने के लिए खड़े ही रहना पड़ता है अथवा बैठने के लिए फिसलन भरी चट्टानों में बैठना पड़ता है. पर्यटकों के बैठने के लिए एक सिट आउट तक नहीं लगवाई गई है.

टूरिस्ट प्लेस में सेफ्टी सिक्योरिटी भगवान् भरोसे है, जिले के जलप्रपातों में अब तक दर्जनों लोग काल के गाल में समा चुके हैं. सुरक्षा के अभाव में अक्सर असमायिक दुर्घटनाओं से रीवा पर्यटन विकास परिषद् ने कभी सबक नहीं लिया. कभी क्योटी फॉल में इलाहाबाद के ट्रिपल आईटी कॉलेज के छात्रों ने जान गँवा दी तो वहीँ पुरवा फॉल में आई बाढ़ के चलते आधा दर्जन से अधिक लोग वर्ष 2016 में जान गंवा चुके हैं, रीवा के सबसे ऊँचे जलप्रपात स्थलों में शुमार चचाई फॉल, क्योटी फॉल में कहीं भी रेलिंग नाम कि चीज तक नहीं है और न ही सुरक्षाकर्मी है. 2016 और 2022 में भी 6 लोग एक ही दिन जान गंवा चुके हैं.

पर्यटन स्थलों में पेयजल पर्यटकों के लिए सबसे जरुरी एवं मानवाधिकार भी है. लेकिन पर्यटन नक़्शे में दर्ज जिले के किसी भी पर्यटन स्थल में आने वाले पर्यटकों के लिए पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है. नतीजतन पर्यटकों को प्यासे ही इधर उधर भटकना पड़ता है और पीने का पानी नसीब नहीं हो पाता है.

कोई सुरक्षाबल तैनात न होने के कारण पर्यटक जल प्रपात के नजदीक जाकर फोटो आदि खिंचवाते हैं जिस कारण दुर्घटनाएं होती हैं. हालांकि वन विभाग द्वारा बरसात से पहले एक एडवाइजरी जारी की जाती है कि पर्यटक किसी भी जल प्रपात के नजदीक जाने का प्रयास ना करें. लेकिन कोई वोर्ड न लगे होने के कारण पर्यटक अक्सर अपनी मनमानी करते हैं.

यूँ तो जिले के चचाई फॉल एवं पुरवा फॉल में रेस्ट हाउस बने हुए हैं, लेकिन इनके ताले सिर्फ नेताओं और अफसरों के दौरे के लिए ही खुलते हैं इनके संचालन का जिम्मा उठाने वाले जिम्मेदार पर्यटकों को खुले में ही रहने देने को मजबूर किए हुए हैं. अगर बारिश के मौसम में कोई महिला अपने छोटे बच्चे के साथ जल प्रपात घूमने जाती है तो उसे भी भीगना ही पड़ता है, क्योंकि किसी भी पर्यटक को रेस्ट हाऊस में नो एंट्री होती है.

रीवा का प्रसिद्ध क्योटी जलप्रपात पर्यटकों से गुलजार हो गया है. जिले में जुलाई महीने में ही अच्छी बारिश देखने को मिल रही है. जिस वजह से जिले के जलप्रपात भी अपने पूर्ण स्वरूप में देखने को मिल रहे हैं, अब क्योटी जलप्रपात अपने रंग में नजर आ रहा है.जहां अच्छा-खासा जल स्तर देखने को मिल रहा है. जो यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को काफी पसंद आ रहा है. शनिवार और रविवार को यहां पर्यटकों की अच्छी-खासी भीड़ देखने को मिल रही है.