इस गांव में जितने श्मसान घाट इतने तो आपके शहर में भी नहीं, आबादी सिर्फ 2000!

इस गांव में जितने श्मसान घाट इतने तो आपके शहर में भी नहीं, आबादी सिर्फ 2000!


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Ajab Gajab News: मध्यप्रदेश का एक ऐसा गांव जहां जाति के हिसाब से बने हैं शमसान, क्या आपको पता है इसके बारे में.

श्मशान गांव. छतरपुर शहर से 29 किलोमीटर दूर एक ऐसा अजब-गजब गांव बसा है जिसकी पहचान जिले में अनोखे तरीके से होती है. दरअसल, महाराजपुर से लगा नेगुंवा गांव जहां सभी समाज के अलग-अलग शमशान बने हुए हैं. 2 हजार की आबादी वाले इस गांव में 21 शमशान बने हैं.

नगर निगम से भी ज्यादा गांव में बनें श्मशान 
नेगुवां गांव की आबादी भले ही 2 हजार हो लेकिन श्मशानों की संख्या, नगर पालिका और नगर पंचायत से भी अधिक है.

हर जाति का अपना अलग श्मशान
गांव के बुजुर्ग मथुरा प्रसाद तिवारी और शंभू दयाल तिवारी ने बताया कि गांव में सेन, बढ़ई, लोहार और साहू समाज के एक-एक श्मशान हैं जबकि यादव समाज के 3 हैं. कुशवाहा समाज के भी 3 हैं. अहिरवार समाज और रजक समाज के दो-दो श्मशान बने हुए हैं. वही ब्राह्मण समाज के 9 शमशान बने हैं.

गांव के बसने के समय से बनें हैं श्मशान
ग्रामीण बताते हैं कि यह सभी श्मशान गांव बसने के समय से ही बने हैं. इनमें से तीन श्मशान तो सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज हैं. बाकी के श्मशान निजी जगह में बने हुए हैं.

निजी जमीन पर बने हैं श्मशान
ग्रामीण बताते हैं कि कुछ परिवारों के तो अपने-अपने श्मशान हैं. जैसे बलराम पाठक परिवार का श्मशान ढिगपुरा निवास पर सड़क किनारे निजी जमीन पर है. वहीं देवीदीन पाठक के परिवार का श्मशान भी निजी जमीन पर बना है. ऐसे ही तमाम परिवार हैं जिनके खुद की जमीन पर श्मशान बने हुए हैं.  बता दें, नेगुवां गांव गुंदारा ग्राम पंचायत के अंतर्गत आता है और इस गुंदारा ग्राम पंचायत की आबादी लगभग 5 हजार है.
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इस गांव में जितने श्मसान घाट इतने तो आपके शहर में भी नहीं, आबादी सिर्फ 2000!



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