एमपी में तीन साल के लिए बनेगा रोलिंग बजट: विभाग बताएंगे योजना में खर्च की वजह; फायदा किसे और क्या होगा सोशल, इकोनॉमिक इम्पैक्ट – Bhopal News

एमपी में तीन साल के लिए बनेगा रोलिंग बजट:  विभाग बताएंगे योजना में खर्च की वजह; फायदा किसे और क्या होगा सोशल, इकोनॉमिक इम्पैक्ट – Bhopal News


वित्त विभाग अब तीन साल का रोलिंग बजट तैयार करेगा। यह बजट 2025-26 से लेकर 2028-29 तक हर साल के लिए अलग-अलग होगा। दूसरी ओर वित्त विभाग ने वर्ष 2026-27 के लिए बजट तैयार करने की प्रोसेस अभी से शुरू कर दी है। बजट पर चर्चा का दौर इसी माह 28 जुलाई से शुरू ह

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वित्त विभाग ने कहा है कि अब हर योजना के लिए यह स्पष्ट करना होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा? इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि विभागों की नई योजनाओं के प्रस्ताव 31 अक्टूबर तक लिए जाएंगे।

वित्त विभाग ने पहली बार वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार करने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के पुनरीक्षित बजट अनुमान और वर्ष 2026-27 के बजट निर्माण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है।

वित्त विभाग द्वारा जारी निर्देश में कहा गया है कि इस बार भी राज्य सरकार द्वारा शून्य आधार बजटिंग (Zero Base Budgeting) की प्रक्रिया को जारी रखा जाएगा। इससे वित्तीय अनुशासन मजबूत होगा। इसके साथ ही सरकार ने पहली बार वर्ष 2027-28 एवं वर्ष 2028-29 के लिए त्रिवर्षीय रोलिंग बजट तैयार करने का निर्णय लिया है, जो प्रदेश की दीर्घकालिक विकास रणनीति ‘विकसित मध्यप्रदेश 2047’ पर केन्द्रित है।

बजट के पहले हर योजना का वेल्युएशन

वित्त विभाग ने कहा है कि अब हर योजना के लिए यह स्पष्ट करना आवश्यक होगा कि उस पर खर्च क्यों किया जा रहा है, उसका लाभ किसे होगा और उसका सामाजिक व आर्थिक असर क्या होगा। इस प्रक्रिया में गैर-प्रभावी योजनाओं को समाप्त करने और समान प्रकृति की योजनाओं को एकीकृत करने पर भी विचार किया जाएगा।

वेतन, भत्ते और स्थायी खर्च की भी अलग होगी गणना

  • विभागों को अपने स्थायी खर्चों जैसे वेतन, पेंशन, भत्तों की गणना करते समय विशेष सावधानी बरतने को कहा गया है।
  • हर वित्तीय वर्ष के वेतन में 3% वार्षिक वृद्धि जोड़ी जाएगी।
  • महंगाई भत्ते की गणना क्रमशः 74%, 84% और 94% के हिसाब से होगी।
  • संविदा कर्मचारियों के वेतन में 4% वार्षिक वृद्धि का भी प्रावधान रहेगा।

अजा-अजजा उपयोजना के लिए न्यूनतम बजट तय करना होगा

वित्त विभाग ने स्पष्ट किया है कि अनुसूचित जाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 16% और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए न्यूनतम 23% बजट सुनिश्चित किया जाना अनिवार्य रहेगा। इसके लिए सेगमेंट कोडिंग व्यवस्था लागू की जाएगी, जिससे योजनाओं में पारदर्शिता आएगी।

ऑफ-बजट व्यय और केंद्रीय योजनाओं पर भी निगरानी

जिन विभागों को भारत सरकार से सीधे फंड प्राप्त होता है, उन्हें वह राशि भी बजट प्रस्ताव में दर्शानी होगी। इसके अलावा, ऑफ-बजट ऋण, प्रोत्साहन योजनाओं का वित्तीय असर और नवीन योजनाओं की स्वीकृति की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है।

सभी प्रस्ताव तय समय पर IFMIS में होंगे दर्ज

सरकार ने कहा है कि बजट की तैयारी के लिए जो आईएफएमआईएस (IFMIS) प्रणाली अपनाई गई है, उसमें तय समय के बाद एंट्री की अनुमति नहीं दी जाएगी। विभागों को निर्देशित किया गया है कि वे सभी प्रस्ताव निर्धारित समय-सीमा में दर्ज करें और विभागीय बैठक के पूर्व पूरी जानकारी तैयार रखें। जीरो बजटिंग से यह तय किया जा सकेगा कि हर योजना के पीछे ठोस उद्देश्य हो, उसका समाज पर प्रभाव दिखे और हर खर्च राज्य की विकास प्राथमिकताओं से मेल खाता हो।



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