कानून को धोखा देना आसान नहीं। भले ही कोई सालों तक अदालती प्रक्रिया को झूठ और चालाकी से भटकाता रहे, लेकिन सच एक दिन बेनकाब हो ही जाता है। जबलपुर में हत्या का एक ऐसा सनसनीखेज मामला सामने आया, जिसमें आरोपी ने 19 साल तक खुद को मानसिक रूप से बीमार साबित क
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कोर्ट ने जब दोबारा मेडिकल जांच कराई, तो डॉक्टरों ने महज 10 दिन में साफ कर दिया कि आरोपी पूरी तरह सामान्य है। यानी पागल नहीं है। अदालत ने इसे न्याय व्यवस्था को गुमराह करने की साजिश मानते हुए आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी। यह घटना 28 अप्रैल 2004 की है।
देश में लोकसभा चुनाव चल रहे थे। पाटन विधानसभा क्षेत्र के चंदवा गांव में भाजपा का झंडा लगाने को लेकर एक युवक की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक रवींद्र पचौरी (30) भाजपा समर्थक था और अपने घर के बाहर झंडा लगा रहा था। तभी गांव का दबंग व कांग्रेस समर्थक घनश्याम पटेल उर्फ नन्हू (32) वहां पहुंचा, जिसने पहले तो धमकी दी, फिर शाम को करीब 6:45 बजे राइफल से पेट में गोली मार दी।
हत्या से गांव में तनाव फैल गया था और दबाव के चलते पुलिस ने दो दिन बाद ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पता चला कि हत्या के बाद उसने राइफल को पास की नहर के किनारे जमीन में गाड़ दिया था। पुलिस ने आरोपी से राइफल, 20 जिंदा कारतूस और उसकी पत्नी के नाम से जारी राइफल का लाइसेंस भी जब्त किया।
हत्या के बाद नहर किनारे गाड़ी थी राइफल
कैसे चला “पागलपन’ का नाटक हत्या के 224 दिन बाद आरोपी को जमानत मिली। कोर्ट में परिवार की ओर से दस्तावेज पेश किए गए कि आरोपी मानसिक रूप से बीमार है और उसका लंबे समय से इलाज चल रहा है। उसे ग्वालियर की सेंट्रल जेल के मानसिक वार्ड में भर्ती भी कराया गया था। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने ट्रायल पर रोक लगा दी।
आरोपी की पत्नी ने कोर्ट में बताया कि उसका पति 1999 से ही मानसिक रोगी है और पिता के साथ अलग रहता है। जांच में डॉक्टरों ने “सीजोफ्रेनिया’ नामक बीमारी की पुष्टि भी की, जिससे उसे जिंदगीभर ग्रस्त बताया गया।
तथ्यों और वीडियो ने पोल खोल दी : आरोपी परिवार की दलीलें अदालत में टिक नहीं सकीं। जब जांच की गहराई बढ़ी तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। आरोपी ने 2013 में सहकारी बैंक से 1.65 लाख का लोन लिया था। 2015 में उसके नाम से गाड़ी फाइनेंस हुई। 2021 में 42 लाख रुपए का लोन लिया, जिसमें खुद दस्तखत किए।
2022 में भोपाल और जबलपुर की शादियों में शामिल हुआ, वीडियो कोर्ट में पेश किए गए । इन सबूतों के बाद कोर्ट ने दोबारा मेडिकल बोर्ड गठित किया। जबलपुर मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञों ने उसे 10 दिन तक ऑब्जर्वेशन में रखा और साफ कहा- वह पागल नहीं, सिर्फ नाटक कर रहा है।