जबलपुर हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश के पैरामेडिकल काॅलेजों की मान्यता देने में फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की गई है। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने आवेदन को स्वीकार कर लिया है। याचिका में बताया है कि बिना एनरोलमेंट छात्रों को काॅलेजों में दाखि
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लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन द्वारा दाखिल की गई नर्सिंग मामले की जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर शुक्रवार को एक और आवेदन पेश किया गया। जहां हाईकोर्ट को बताया गया कि नर्सिंग की तरह पेरामेडिकल कोर्स को लेकर भी मध्यप्रदेश में फर्जीवाड़ा व्याप्त है। एमपी पैरामेडिकल काउंसिल के द्वारा गुजरे हुए सत्रों 2023-2024 एवं 2024-2025 की मान्यता बिना किसी जांच के प्रभाव के कारण बांट दी गई है।
इतना ही नहीं बगैर असम्बद्धता प्राप्त किए सरकारी तथा निजी पैरामेडिकल कॉलेजों के द्वारा अवैध रूप से छात्रों के प्रवेश दिए जा रहे हैं और नर्सिंग घोटाले की जांच में जिन कॉलेजों को सीबीआई ने अनसूटेबल बताया है उन्हीं बिल्डिंग में पैरामेडिकल काउंसिल अब पैरा मेडिकल कॉलेजों की मान्यता बांट रही है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आवेदन पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए अलग से दिए गए आवेदन को जनहित याचिका (PIL) के रूप में पंजीबद्ध करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने इस गंभीर विषय पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश पैरामेडिकल काउंसिल के चेयरमैन व रजिस्ट्रार को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं।
बता दें मध्यप्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ. राजेंद्र शुक्ला, पैरामेडिकल काउंसिल के पदेन चेयरमैन हैं। बहरहाल अब इस मामले की अगली सुनवाई सभी नर्सिंग मामलों के साथ 16 जुलाई को होगी।