भारतीय ज्ञान परंपरा शीर्ष समिति की बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार शामिल हुए।
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं में अध्यापन के लिए कार्ययोजना बनाई जाए और इसे विद्यार्थियों के मूल्यांकन क्रेडिट से भी जोड़ा जाए। मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषा में अध्यापन का कें
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मंत्री परमार की अध्यक्षता में शनिवार को सरोजिनी नायडू शासकीय कन्या स्नातकोत्तर (स्वशासी) महाविद्यालय भोपाल के सभाकक्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में उच्च शिक्षा विभाग अंतर्गत भारतीय ज्ञान परंपरा शीर्ष समिति की बैठक हुई।
मंत्री परमार ने अध्यादेश 14(1) एवं अध्यादेश 14(2) के परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के 10 संभागों में कार्यशाला का आयोजन कर विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों को अध्यादेशों से अवगत कराने के निर्देश दिए। परमार ने विश्वविद्यालय स्तर पर पाठ्यक्रमों के लिए कार्यशालाओं के आयोजन भी समय पर करने के लिए कहा।
उन्होंने प्रदेश के सभी भारतीय ज्ञान परम्परा प्रकोष्ठ प्रभारियों को लेकर भी कार्यशाला आयोजित करने को कहा। परमार ने कहा कि सभी विश्वविद्यालयों में भारतीय भाषाओं में अध्यापन के लिए कार्ययोजना बनाई जाए और इसे विद्यार्थियों के मूल्यांकन क्रेडिट से भी जोड़ा जाए। मंत्री परमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों को भारतीय भाषा में अध्यापन का केंद्र बनाने के लिए कार्य करें।
परंपरागत ज्ञान के अध्ययन एवं शोध को मिलेगा मौका
मंत्री परमार ने कहा कि ज्ञान बोध प्रतियोगिता में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पारंपरिक विषयों में भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण आधारित प्रश्नावली का समावेश करें ताकि विद्यार्थियों को भारतीय दृष्टि के साथ समाज में विद्यमान परंपरागत ज्ञान के अध्ययन एवं शोध का अवसर मिले।
उन्होंने कहा कि विश्व शांति दिवस पर भारतीय दृष्टिकोण वसुधैव कुटुंबकम् – विश्व एक परिवार का भाव, को मूल में रखकर कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। हिंदी पखवाड़े के अवसर पर होने वाले कार्यक्रमों में विशुद्ध हिंदी भाषा के उपयोग के साथ पूर्णता प्रदान की जाए।
परमार ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के परिप्रेक्ष्य में, मप्र हिंदी ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित कला, वाणिज्य एवं विज्ञान विषयों में उत्कृष्ट पुस्तक लेखन के लिए, ‘श्रेष्ठ लेखक पुरस्कार’ प्रदान किया जाए। कार्यशाला में प्रदेश एवं देश भर के 200 से अधिक शिक्षाविदों ने हिस्सा लिया। बैठक में स्नातक द्वितीय एवं तृतीय वर्ष के पाठ्यक्रमों में भारतीय ज्ञान परम्परा को समाहित करने के लिए प्रदेश के 27 विश्वविद्यालयों में कार्यशालाओं के आयोजन को लेकर चर्चा हुई।