कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति? भोले बाबा से क्या है संबंध, जानें क्या हैं इसे पहनने के लाभ..

कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति? भोले बाबा से क्या है संबंध, जानें क्या हैं इसे पहनने के लाभ..


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Importance of Rudraksha: शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है. भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष का भी विशेष महत्व है. सावन में रुद्राक्ष को विधि-विधान से धारण करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद…और पढ़ें

Rudraksha Katha: सावन का पवित्र माह शुरू हो चुका है. इस महीने भगवान शिव की भक्ति और उपासना का विशेष महत्व माना जाता है. भोलेनाथ को समर्पित यह मास भक्ति, तपस्या और श्रद्धा का प्रतीक है. इस माह भगवान शंकर की कृपा उनके भक्तों पर बरसती है. इस दौरान प्रकृति चारों ओर हरियाली से सराबोर रहती है. इस महीने में कई लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं.

रुद्राक्ष दो शब्दों से बना है “रुद्र” और “अक्ष”, जहां रुद्र का अर्थ “शिव” और अक्ष का अर्थ “भगवान शिव की आंख”. रुद्राक्ष की उत्पत्ति कथा भगवान शिव से जुड़ी है. रुद्राक्ष की उत्पत्ति को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. भगवान शिव की पूजा में रुद्राक्ष का भी विशेष महत्व है. सावन में रुद्राक्ष को विधि विधान से धारण करने से त्रिदेवों का आशीर्वाद मिलता है. उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज से जानते हैं कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति कैसे हुई? इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है.

रुद्राक्ष पहनने से मिलते हैं कई फायदे
सनातन धर्म में रुद्राक्ष को काफी पवित्र चीजों में से एक माना गया है. इसको धारण करने के कई लाभ होते हैं. साथ ही शिव शंकर का रुद्राक्ष धारण करने वालों को विशेष लाभ मिलता है. इसे धारण करने से मानसिक शांति, सुरक्षा और भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है.

जानिए कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति
एक समय भगवान शिव हजारों साल तक गहन ध्यान में चले गए थे. कहा जाता है कि शिव ने हजारों साल गहन ध्यान के बाद जब एक दिन अपनी आंखें खोलीं, तब उनके आंसुओं की बूंदें जमीन पर गिरी थीं, जिससे रुद्राक्ष के पेड़ विकसित हुए. रुद्र की आंखों से उत्पन्न होने के कारण इसे रुद्राक्ष का नाम दिया गया.

इसी तरह एक और पौराणिक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार अपने अहंकार के कारण त्रिपुरासुर नामक दैत्य ने देवताओं को परेशान करना शुरू कर दिया. इसके पश्चात सभी देवगण भगवान ब्रह्मा, विष्णु और भोलेनाथ की शरण में गए. देवताओं की पीड़ा सुनकर भगवान भोलेनाथ गहरे ध्यान में चले गए और फिर जब शिव ने अपने नेत्र खोले तब उनकी आंखों से अश्रु बहे.

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कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति? भोले बाबा से क्या है संबंध, जानें पौराणिक कथा



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