महादेव की पूजा में भूल से भी ना चढ़ाएं ये फूल, हो जाएंगे नाराज! ब्रह्मा जी की वजह से मिला था श्राप, जानें कथा

महादेव की पूजा में भूल से भी ना चढ़ाएं ये फूल, हो जाएंगे नाराज! ब्रह्मा जी की वजह से मिला था श्राप, जानें कथा


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Sawan Mahadev Puja Vidhi: सावन में भक्त भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के जतन करते हैं. लेकिन, एक फूल भूल से भी नहीं चढ़ाना चाहिए. जानें क्यों… 

हाइलाइट्स

  • भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है
  • केतकी के फूल ने झूठ बोलने पर श्राप पाया
  • भगवान शिव ने ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया
Sawan News: हिन्दू धर्म में सावन का पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. कहते हैं कि यह महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. शास्त्रों के अनुसार, इस महीने में भगवान शिव अपने परिवार के साथ पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं. इसी वजह से इस पूरे महीने भगवान शिव से जुड़ी तमाम धार्मिक यात्राएं होती हैं. लोग पूरे माह मंदिर में शिवलिंग पर जल अर्पित कर भोलेनाथ का नाम स्मरण करते हैं. उनकी प्रिय वस्तुओं के साथ प्रिय फूल भी अर्पित करते हैं. ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा करते हैं. लेकिन, हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे अगर भगवान शिव को चढ़ाया जाए, तो वे नाराज हो सकते हैं.

भगवान विष्णु ने मानी शिव के सामने हार
उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच विवाद हुआ कि इनमें से सर्वश्रेष्ठ कौन है. विवाद इतना बढ़ गया कि बात भगवान शिव तक पहुंची. तब भोलेनाथ ने एक शिवलिंग की उत्पत्ति की और कहा कि जो इसका आदि और अंत खोज लेगा, वह सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा. ऐसे में भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ने लगे. बहुत खोजने के बाद जब भगवान विष्णु को शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तो उन्होंने हार मान ली और भगवान शिव के आगे अपनी भूल स्वीकार की.

केतकी ने क्या किया?
आगे बताया, भगवान विष्णु के हार मानने के बाद ब्रह्मा जी शिव शंकर के पास पहुंचे. लाख कोशिशों के बाद भी ब्रह्मा जी को इस ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला, तो रास्ते में उन्हें केतकी का फूल मिला. ब्रह्मा जी ने उसे बहला-फुसलाकर झूठ बोलने के लिए मना लिया.

केतकी को कैसे मिला श्राप?
इसके बाद ब्रह्मा जी के कहने पर केतकी भगवान शिव शंकर के पास ब्रह्मा जी के साथ पहुंची. ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि उन्होंने अंत ढूंढ लिया है. इसका सबूत यह केतकी का फूल है. भगवान शिव को पता था कि वे झूठ बोल रहे हैं. केतकी के फूल के झूठ बोलने के बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया. केतकी के फूल को श्राप दिया कि उसका इस्तेमाल उनकी किसी भी पूजा में नहीं किया जाएगा. इसलिए भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है.

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महादेव की पूजा में भूल से ना चढ़ाएं ये फूल! ब्रह्माजी की वजह से मिला था श्राप



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