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Rewa Weather Update: रीवा में भारी बारिश के कारण तमाम नदी नाले उफान पर हैं. मौसम विभाग रीवा एवं पर्यटन विभाग द्वारा अलर्ट जारी किया गया है कि सैलानी किसी कीमत पर जलप्रपातों में न जाए, भारी बारिश के कारण जलप्रपात का जलस्तर बढ़ा है.
रीवा संभाग में एक जून से अब तक सर्वाधिक 505 मिलीमीटर वर्षा मऊगंज जिले में दर्ज की गई है. संभाग में इस अवधि में रीवा जिले में 171.6 मिलीमीटर, सतना में 253.6 मिलीमीटर, मैहर में 285 मिलीमीटर, सीधी में 356 मिलीमीटर और सिंगरौली जिले में 293.8 मिलीमीटर वर्षा दर्ज की गई है. वही रीवा जिले की गुढ़ विधानसभा में सर्वाधिक वर्षा दर्ज की गई है.

गत वर्ष इसी अवधि में जिले में 81.5 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई थी. यानी पिछले साल की अपेक्षा अब तक 50 मिलीमीटर बारिश अधिक हुई है. वहीं मौसम विभाग के द्वारा जारी ताजा आंकड़े के मुताबिक रीवा संभाग में एक जून से अब तक 311 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है. संभाग में 10 जुलाई को 19 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई. सर्वाधिक 46 मिलीमीटर वर्षा मैहर जिले में दर्ज की गई.

रीवा में एक जून से अब तक 171.6 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है. इस संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख महेन्द्र श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक तहसील हुजूर में 192.8 मिलीमीटर, रायपुर कर्चुलियान में 127.5 मिलीमीटर, गुढ़ में 296 मिलीमीटर, सिरमौर में 224.2 मिलीमीटर, त्योंथर में 67 मिलीमीटर, सेमरिया में 175 मिलीमीटर, मनगवां में 160 मिलीमीटर तथा जवा में 130 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई.

लगातार बारिश के कारण नदियों का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. इसका असर बकिया और बीहर बराज बांध पर भी देखने को मिला. बकिया बराज के शुक्रवार को 10 और बीहर बराज के 3 गेट खोल दिए गए थे। लगातार पानी की आवक के कारण इसके गेट और खोले जाने की संभावना है. वहीं बाणसागर बांध भी भरने की कगार पर पहुंच गया है. 339.30 मीटर तक जलस्तर पहुंच गया है.

रीवा में भारी बारिश के कारण तमाम नदी नाले उफान पर हैं. मौसम विभाग रीवा एवं पर्यटन विभाग द्वारा अलर्ट जारी किया गया है कि सैलानी किसी कीमत पर जलप्रपातों में न जाए, भारी बारिश के कारण जलप्रपात का जल स्तर बढ़ा है और जलप्रपातों के आसपास के पत्थर धंसने की अवस्था में हो सकते हैं. बारिश के रुक जाने और नदियों के जल स्तर कम होने के बाद ही पर्यटक जलप्रपात के दृश्य का अनंद लेने जाए.

यह हालात सिर्फ शहर के आसपास की कालोनियों के नहीं है. बीच शहर में शिल्पी प्लाजा के सामने बसी विकास कालोनी में भी रात को हाहाकार मच गया. बारिश का पानी यहां सरकारी आवास में घुस गया. लोगों का सारा समान ही खराब हो गया. बारिश के कारण लोगों की नींद तो टूटी ही लोग बाढ़ से बचने की जुगत में लगे रहे.

रीवा शहर का सबसे पॉस और वैध कालोनियों में एक नेहरू नगर वार्ड क्रमांक 13 फिर डूब गया. यहां अब अरबों रुपए के काम सिर्फ नाला, नाली निर्माण पर किए गए. यहां साल भर काम चलता है लेकिन बारिश में हालात बिगड़ ही जाते हैं. शुक्रवार को हुई बारिश में भी यही दंश लोगों को झेलना पड़ा. सड़कों में पानी तो भरा ही रात 2 बजे के बाद हालात और बिगड़ गए. बारिश का पानी लोगों के घरों में समा गया, लोगों की नींद उड़ गई, सभी बारिश के पानी से घर को बचाने में लगे रहे, नगर निगम मदद पहुंचाने में फेल हुआ.

श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में करोड़ों रुपए का नया अकादमिक भवन बना हुआ है लेकिन यह अव्यवस्था का शिकार हो गया है, यहां बारिश में पार्किंग बेसमेंट में पानी भर जाता है, इस बार भी यहां पार्किंग में पानी भर गया, पानी निकासी के लिए पंप लगाया गया था, वह काम नहीं आया, पानी कई फीट भर गया, गनीमत रही कि यहां छात्राओं और शिक्षकों के वाहन पार्क नहीं थे रात को वर्ना सब कुछ डूब जाता.

बारिश के कारण पूरे बोदाबाग का पानी मुक्तिधाम के पास एकत्र होता रहा. सुबह पानी की आवक बढने से पानी पूरे रास्ते में भर गया. मंदिर से लेकर पेट्रोल पंप तक पानी ही पानी हो गया. 10 फीट से अधिक पानी सड़क पर आ गया. इससे बोदाबाग से करहिया मंडी का संपर्क टूट गया. इसकी वजह अवैध प्लाटिंग मानी जा रही है. बोदाबाग से करहिया तक बनी सड़क पहली मर्तबा डूब में आई है. इसके पीछे वजह नालों को पाट कर प्लाटिंग करना माना जा रहा है. अब पानी निकाली के लिए जगह ही नहीं बचा है. मुनाफा के चक्कर में नालों को सकरा कर दिया गया. नालों की जमीन पर ऊंचे ऊंचे मिट्टी के पहाड़ खड़ा कर दिया गया है. इसके कारण पानी का नदी तक का संपर्क ही टूट गया. अब यही पानी वापस शहर की तरफ बढ़ेगा.

रीवा में बाढ़ का ऐसा मंजर नहीं देगा होगा. रीवा में हुए अव्यस्थित विकास ने सब को तबाह कर दिया. चारों तरफ सिफ पानी ही पानी है. बीहर नदी के किनारे बनाया गया रिवर फ्रंट भी डूबा गया. बीहर नदी के टापू पर बना ईको पार्क फिर से डूब गया. बाढ़ का मुआयना करने डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला भी ईको पार्क पहुंचे. उन्होने हालात का जायजा लिया और बाढ़ से लोगों को राहत पहुंचाने के निर्देश दिए. यह पहला मामला नहीं है जब ईको पार्क पानी पानी हुआ हो. यहां हर साल तेज बारिश होते ही ईको पार्क सबसे पहले डूबता है. यह बीहर नदी के बीच में टापू पर बना हुआ है. यही वजह है कि इसके डूबने की संभावना भी बढ़ जाती है. इस बार भी ईको पार्क डूब गया. वहीं बीहर नहीं के किनारे बना रिवर फ्रंट ने भी पहली बार बाढ़ में डूबने का अनुभवन लिया है. अब बाढ़ का पानी उतरने के बाद रिवर फ्रंट के बचने की संभावनाओं पर ही सबकी नजर रहेगी.

मध्यप्रदेश के रीवा जिले में स्थित एयरपोर्ट की हकीकत पहली ही बारिश में सामने आ गई. बीती रात हुई भारी बारिश में एयरपोर्ट की बाउंड्रीवॉल भरभराकर गिर गई, जिससे एयरपोर्ट परिसर में पानी भर गया. हैरानी की बात यह है कि इस एयरपोर्ट का उद्घाटन महज 9 महीने पहले, 20 अक्टूबर 2024 को किया गया था. यह प्रदेश का छठा एयरपोर्ट है, जिसका लोकार्पण खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल तरीके से किया था.

मौसम विज्ञान केंद्र की ताजा पूर्वानुमान रिपोर्ट के अनुसार, इस हफ्ते मध्यप्रदेश के कई जिलों में अत्यधिक बारिश की आशंका जताई गई है. जबलपुर, नर्मदापुरम, बैतूल, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, पांढुर्णा, सिवनी, दमोह, मंडला, बालाघाट, डिंडौरी, उमरिया, शहडोल और अनूपपुर जिलों में अति भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है. इन क्षेत्रों में अगले 24 घंटों के भीतर 8 इंच तक बारिश होने की संभावना जताई गई है, जिससे स्थानीय प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी गई है.