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Omkareshwar Temple History: ओंकारेश्वर मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि हर रात भोलेनाथ और माता पार्वती यहां विश्राम करने आते हैं. मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग इस बात की पुष्टि करते हैं. वे बताते हैं कि मंदिर क…और पढ़ें
नर्मदा के तट पर बसा अलौकिक धाम ओंकारेश्वर का शाब्दिक अर्थ है ‘ओम के ईश्वर’ या ‘ओम का स्वामी’, जो स्वयं भगवान शिव का एक नाम है. यह पवित्र स्थल नर्मदा नदी के एक द्वीप पर स्थित है, जिसका आकार ‘ओम’ जैसा है. नर्मदा नदी को भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक माना जाता है, जो गंगा से भी प्राचीन और पवित्र कही जाती है. नर्मदा के दोनों किनारों पर दो प्रमुख मंदिर हैं, ओंकारेश्वर और ममलेश्वर. पौराणिक कथाओं के अनुसार, ये दोनों ज्योतिर्लिंग मिलकर एक होते हैं और ओंकारममलेश्वर कहलाते हैं. इस अद्वितीय संगम के कारण ही इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है.
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, विंध्य पर्वत ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की थी ताकि उन्हें सभी देवताओं में श्रेष्ठता प्राप्त हो सके. विंध्य की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव यहां प्रकट हुए और उन्हें वरदान दिया. यहीं पर ओंकारेश्वर और ममलेश्वर ज्योतिर्लिंगों की स्थापना हुई. एक अन्य लोकप्रिय कथा राजा मांधाता से जुड़ी है. पौराणिक काल में सूर्यवंशी राजा मांधाता ने यहीं पर घोर तपस्या की थी और भगवान शिव को प्रसन्न किया था. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें वरदान दिया और उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए. यह भी कहा जाता है कि देवताओं और दानवों के युद्ध के बाद भगवान शिव यहां प्रकट हुए थे और ‘ओम’ के रूप में स्थापित हुए.
ओंकारेश्वर मंदिर का सबसे बड़ा और हैरान करने वाला रहस्य यह है कि ऐसी मान्यता है कि हर रात महादेव और माता पार्वती यहां विश्राम के लिए आते हैं. मंदिर के पुजारी और स्थानीय लोग इस बात की पुष्टि करते हैं कि मंदिर के गर्भगृह को प्रतिदिन शयन आरती के बाद साफ कर दिया जाता है और बिस्तर लगाए जाते हैं. सुबह जब मंदिर के द्वार खुलते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है, मानो कोई रात भर यहां विश्राम कर रहा था. केवल सोने ही नहीं बल्कि यह भी कहा जाता है कि महादेव और माता पार्वती रात में यहां चौसर भी खेलते हैं. गर्भगृह में शयन आरती के बाद चौसर और पासे भी रखे जाते हैं और सुबह उनके स्थानों में कुछ बदलाव दिखाई देते हैं, जिससे इस मान्यता को और बल मिलता है. यह घटना अपने आप में अनोखी है और भक्तों के मन में गहरी आस्था और श्रद्धा का संचार करती है. यह दर्शाता है कि यह स्थान कितना जागृत और दिव्य है, जहां स्वयं शिव और शक्ति का वास है.
मंदिर की महिमा और धार्मिक महत्व
पंडित नवीन शर्मा लोकल 18 को बताते हैं कि ओंकारेश्वर का महत्व केवल पौराणिक कथाओं तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व भी अत्यधिक है. यहां आने वाले भक्त नर्मदा स्नान करके और ओंकार पर्वत की परिक्रमा करके स्वयं को धन्य मानते हैं. सावन के महीने में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, जो भगवान शिव का अभिषेक करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने आते हैं. इस स्थान पर की गई पूजा-अर्चना और तपस्या का फल कई गुना अधिक मिलता है, ऐसा विश्वास है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.