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Paddy Crop Tips: कृषि उप संचालक ने बताया कि नर्सरी स्टेज पर भी कीट और रोग लग सकते हैं. इनका हमला 14 से 22 दिन की नर्सरी पर होता है. इन्हें पहचानना मुश्किल होता है.
हाइलाइट्स
- धान की नर्सरी में कीट और रोग लग सकते हैं
- खैरा रोग जिंक की कमी से होता है, जिंक सल्फेट से निवारण करें
- तना छेदक और गालमेज कीट से बचाव के लिए बीज उपचार करें
फसल ही नहीं नर्सरी में भी लगते हैं रोग
बालाघाट जिले के कृषि उप संचालक फूल सिंह मालवीय ने लोकल 18 को बताया कि नर्सरी स्टेज पर भी कीट और रोग लग सकते हैं. जिनकी नर्सरी 14 से 22 दिन की नर्सरी पर रोग लगते हैं. लेकिन इन्हें पहचानना मुश्किल होता है.
खैरा रोग लक्षण-धान की नर्सरी के समय सबसे ज्यादा खैरा रोग लगने का खतरा होता है. इसमें कत्थई रंग के स्पॉट दिखते हैं. कृषि उप संचालक फूल सिंह मालवीय बताते हैं कि ये रोग जिंक की कमी से होता है. निवारण- इस रोग के निवारण के लिए जिंक सल्फेट उर्वरक का इस्तेमाल कर सकते हैं.
रोग ही नहीं, नर्सरी में कीट भी
स्टेम बोरर यानी तना छेदक भी नर्सरी की स्टेज पर भी अटैक रहता है. ऐसे में नर्सरी स्टेज पर ही फसल की ग्रोथ प्रभावित हो जाती है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसका उपचार करने के लिए पहले ही बीज उपचार करना चाहिए. इसके अलावा कीट का प्रकोप बढ़ जाए, तो कीटनाशक की मदद से इसे कंट्रोल कर सकते हैं.
धान की नर्सरी पर एक ऐसा भी है, जो नर्सरी को खराब कर सकता है. इसे गालमेज के नाम से जाना जाता है. इसके बचाव के लिए बीज उपचार करना चाहिए. अगर प्रकोप बढ़ जाए, तो कीटनाशक का इस्तेमाल कर नर्सरी बचा सकते हैं.