रीवा में एक पिता ने अपने बेटे को मरा हुआ समझकर उसका अंतिम संस्कार और पिंडदान कर दिया, लेकिन वह जिंदा निकला। धार्मिक मान्यताओं के तहत प्रयागराज में गंगा में उसकी अस्थियां तक प्रवाहित कर दी गई थीं। पुलिस पड़ताल में यह मामला एक सनसनीखेज हत्याकांड से जुड़
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एक शातिर दंपती सुनील सिंह पटेल और पत्नी हेमा सिंह ने न केवल किसी प्रोफेशनल किलर की तर्ज पर हत्या की, बल्कि दो राज्यों की पुलिस और पूरे गांव को भी चकमा भी दे दिया। दरअसल, दंपती बीमा के दो करोड़ हड़पना और कर्ज से छुटकारा पाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने पहले एक दोस्त को भरोसे में लिया, फिर जिंदा कार में कैद कर सिलेंडर में आग लगाकर उड़ा दिया, ताकि उसकी अधजली लाश को खुद की बताकर बीमा क्लेम किया जा सके।
रीवा और चित्रकूट से जुड़ी यह वारदात किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। दैनिक भास्कर टीम रीवा से ढाई घंटे का सफर कर जवा थाने के कनपुरा गांव पहुंची और परिजनों से बात कर केस के बारे में जाना। पढ़िए सिलसिलेवार रिपोर्ट…
पहले पूरा घटनाक्रम जान लीजिए उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के राजापुर थाना क्षेत्र में पति-पत्नी, रीवा निवासी सुनील सिंह पटेल और उसकी पत्नी हेमा सिंह ने दोस्त विनय चौहान को शराब पिलाकर बेसुध किया, फिर कार में बंद कर गैस सिलेंडर और कपूर से जिंदा जला डाला। इसके बाद पत्नी ने शव की पहचान अपने पति के रूप में करवाई, अंतिम संस्कार किया और खुद सुनील रीवा भाग गया।
दोनों ने दो करोड़ की बीमा राशि और ब्यूटी पार्लर के लिए लिए गए 45 लाख रुपए के कर्ज से छुटकारा पाने के लिए यूट्यूब से सीखकर ये साजिश रची थी। शुरुआत में सब कुछ प्लान के मुताबिक चला, लेकिन किसी परिचित ने सुनील को जिंदा देख लिया। पुलिस को शक हुआ तो मोबाइल लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और मुखबिरों की मदद से जांच आगे बढ़ी।
आखिरकार पुलिस ने रीवा जिले के आनंदपुर गांव से सुनील और उसकी पत्नी को जिंदा पकड़ लिया। शव की पुष्टि के लिए विनय के भाई से डीएनए सैंपल लिया गया है। पुलिस ने सुनील और हेमा के खिलाफ हत्या, साजिश, धोखाधड़ी और सबूत नष्ट करने की धाराओं में मामला दर्ज किया है। मामले का पर्दाफाश करने वाली टीम को एसपी ने 10 हजार रुपए इनाम दिया।
पुलिस ने आरोपी दंपती को गिरफ्तार कर लिया है।
पिता बोले- ससुराल में मिली थी मौत की जानकारी कनपुरा गांव पहुंचने पर दैनिक भास्कर टीम की मुलाकात सुनील के पिता अवध बिहारी सिंह से हुई। उन्होंने बताया कि 30 जून को उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले की राजापुर पुलिस का कॉल मेरे बेटे के ससुराल में आया। बताया गया कि अमान गांव के पास आपके परिजन की अल्टो कार (MP19CB 3053) दुर्घटनाग्रस्त हो गई है और कार के पास से एक लाश मिली है। आप तत्काल घटनास्थल पर आ जाइए। पुलिस ने उन्होंने कार नंबर से नंबर सर्च कर फोन किया है।
इस पर बेटे के ससुराल वालों ने पुलिस को बताया कि यह कार परिजन सगमेंद्र सिंह के नाम पर रजिस्टर्ड है, जिसे दामाद ले गए थे। इसके बाद तत्काल बेटे के ससुराल वालों ने हादसे की जानकारी मुझे दी। घटना सुनकर मुझे यकीन नहीं हुआ, क्योंकि सुनील कभी कार लेकर उत्तर प्रदेश की ओर जाता ही नहीं था। उसने मुझे अपने जाने की कोई जानकारी भी नहीं दी थी। फिर भी, पुलिस के कहने पर मैं तुरंत घटनास्थल के लिए निकल पड़ा।
करीब दो घंटे के सफर के बाद मैं, बहू हेमा और कुछ अन्य परिजन वहां पहुंचे। मौके पर देखा तो कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त थी और पास में एक अधजली लाश पड़ी थी। उस शव के पास सुनील का मोबाइल, पर्स और कुछ और सामान पड़ा था, जिन्हें देखकर मुझे लगा कि यह शायद सुनील ही है। इस बीच बहू हेमा ने भी शव की पहचान सुनील के रूप में कर ली। फिर मुझे भी किसी तरह का संदेह नहीं रहा और मैंने हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार उस शव का अंतिम संस्कार कर दिया।

यह आरोपी सुनील का घर है। जहां हमारी मुलाकात उसके पिता अवध बिहारी से हुई।
आर्मी की परीक्षा पास की, लेकिन ज्वाइन नहीं किया अवध बिहारी ने बताया कि मैं पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक विभाग से रिटायर हुआ हूं। शुरुआत में तिलहन संघ में जॉइन किया था, बाद में विभाग बदलकर यहीं काम करने लगा। सुनील मेरा इकलौता बेटा है। उसने आर्मी की परीक्षा भी पास कर ली थी और ट्रेनिंग भी की, लेकिन किसी कारण से जॉइन नहीं किया।
मैंने पूछा तो बहाना बनाया कि वहां रहना बहुत मुश्किल है। इसके बाद उसने कोई स्थायी काम या नौकरी नहीं की। घर की खेतिहर जमीन में ही हाथ बंटाता रहा और उधर उसकी पत्नी हेमा ब्यूटी पार्लर चलाती रही। सुनील के दो बच्चे हैं- एक बेटा और एक बेटी, जो बेटे और बहू के जेल चले जाने के बाद अब असहाय हो गए हैं। मुझे तो यह भी नहीं पता था कि सुनील कार लेकर कब विनय को लेकर उत्तर प्रदेश निकल गया। घटना की जानकारी भी मुझे बेटे के ससुराल वालों से ही मिली।
7 जुलाई को गांव में बेटा जिंदा मिला अवध बिहारी बताते हैं कि 7 जुलाई (सोमवार) को पता चला कि बेटा सुनील रैपुरा के आनंदपुर गांव में जिंदा देखा गया है। पुलिस को सूचना मिली तो वह भी उसे देखकर हैरान रह गई। मुझे तो यकीन ही नहीं हुआ, पैरों तले जमीन सी खिसक गई।
8 जुलाई (मंगलवार) को राजापुर थाना क्षेत्र के सिकरी अमान के पास जली कार में मिले शव के मामले में बड़ा खुलासा हुआ और सच सामने आया कि बेटा मरा नहीं, बल्कि जिंदा है।

यह घटनास्थल का फोटो है। जहां विनय को कार में जिंदा जलाकर मार डाला गया।
जिंदा होने की सूचना मिली तो यकीन नहीं हुआ किसी की मृत्यु के बाद परंपरा के मुताबिक मृत व्यक्ति की आत्मा के नाम से एक घट पीपल के पेड़ पर बांधते हैं। मैंने भी बेटे के नाम से वह घट बांध दिया था। अचानक बेटे के जिंदा होने की खबर मिली तो सबसे पहले यही चिंता हुई कि उस घट का क्या करूं। मैंने गांव के महापात्र को फोन किया। उन्होंने समझाया कि इसे खुद मत उतारना, एक विशेष विधि से ही इसे उतारना चाहिए। फिर महापात्र ने खुद आकर घट को उतारा, तब मैं चित्रकूट के लिए रवाना हुआ।
चित्रकूट थाने पहुंचकर टेबल पर बेटा सुनील बैठा था। थाने में पुलिस ने मुझसे भी कई तरह के सवाल किए। पुलिस ने पूछा कि जब आपका बेटा मौके पर मौजूद नहीं था, तो आपने किसी और के शव का अंतिम संस्कार कैसे कर दिया? आपने उसकी पहचान कैसे की और इतना बड़ा कदम क्यों उठाया? पुलिस पूरे मामले में मुझे भी संदेह की नजर से ही देख रही थी। फिलहाल मैं अपने घर पर हूं।
मैं तो मृत्यु भोज की तैयारियां कर रहा था पिता अवध ने बताया कि मैं तो बेटे के मृत्यु भोज की तैयारियों में लगा था। चक्की में गेहूं पिसवाया था, सब्जी और किराना का एडवांस ऑर्डर दे दिया था। यहां तक कि दो दिन बाद शुद्धिकरण संस्कार की भी तैयारी थी। एक हफ्ते से ज्यादा हम धोखे में रहे।
अब मैं रिटायर हो चुका हूं। सुनील की मां पहले ही बीमारी के चलते गुजर चुकी हैं। बेटे और बहू जेल चले गए। घर पर मेरी बुजुर्ग बहन और पोता-पोती हैं, दोनों नाबालिग हैं और स्कूल में पढ़ते हैं। अब उनकी जिम्मेदारी भी मेरे सिर पर आ गई। उम्र भी बढ़ गई है, ताकत भी कम हो रही है, लेकिन कोशिश कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि मैं विनती करता हूं- इन बच्चों की फोटो या वीडियो मत लीजिएगा। मैं नहीं चाहता कि बेटे की करतूत की परछाई भी मेरे पोते और पोती पर पड़े, या कोई इन मासूमों से बदला लेने की सोचें।

पति-पत्नी ने शातिर तरीके से तय किए अपने रोल इधर, पुलिस पड़ताल में सामने आया कि आरोपी दंपती ने पूरी साजिश में अपनी-अपनी जिम्मेदारियां तय कर रखी थीं। योजना के मुताबिक, पति का काम था किसी अनजान व्यक्ति से दोस्ती करना, जो कद-काठी में उसी जैसा हो। साथ ही यह भी पता करना कि उस व्यक्ति का फैमिली बैकग्राउंड क्या है ताकि उसकी मौत के बाद कोई उसे ढूंढने की कोशिश भी न करे। मकसद साफ था कि उसकी हत्या कर बाद में उसे दुर्घटना साबित करके 2 करोड़ रुपए का बीमा क्लेम हासिल करना है।
वहीं पत्नी का रोल था पुलिस, परिवार और गांववालों के सामने इस तरह एक्टिंग करना कि सबको यकीन हो जाए कि जली हुई लाश उसी के पति सुनील की है। इसके लिए उसने सबसे पहले पति की मौत के बाद अपनी मांग से सिंदूर मिटाया, मंगलसूत्र उतारा और शोक में गुमसुम रहने का नाटक किया, ठीक वैसे ही, जैसे किसी विधवा की स्थिति में होता है। ताकि किसी को सुनील के जीवित होने पर शक भी न हो सके।
साढ़ू के घर छिपे थे, दोनों गिरफ्तार यूपी के चित्रकूट एसपी अरुण सिंह ने बताया कि 29-30 जून की रात राजापुर थाना क्षेत्र के सिकरी अमान के पास एक कार में भीषण विस्फोट हुआ। मौके पर पहुंची पुलिस को कार पूरी तरह जली हालत में मिली और अंदर एक अधजला शव था।
शव की पहचान सुनील सिंह पटेल के रूप में हुई, जिसकी पुष्टि उसकी पत्नी हेमा सिंह ने की और अंतिम संस्कार भी करवा दिया। लेकिन बाद में मामला संदिग्ध लगा। जांच और मुखबिर की सूचना पर जब पुलिस ने सुनील के एक रिश्तेदार के घर छापा मारा, तो वहां सुनील अपनी पत्नी हेमा के साथ जिंदा मिला। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और मामले की तहकीकात जारी है।

आरोपी के पिता अवध बिहारी ने कहा कि बेटे-बहू ने एक हफ्ते से ज्यादा हम धोखे में रखा।
कर्ज से बचने रची साजिश, पूछताछ में कबूला राज एसपी ने बताया कि पूछताछ में दंपती सुनील और हेमा ने साजिश का खुलासा कर दिया। दोनों ने बताया कि उन्होंने ब्यूटी पार्लर और हार्वेस्टर खरीदने के लिए 45 लाख रुपए का कर्ज लिया था, जिसकी किश्तें चुकाना मुश्किल हो गया था। कर्ज से छुटकारा पाने और बीमा की रकम हासिल करने के लिए उन्होंने यूट्यूब पर वीडियो देखे और एक खौफनाक योजना बनाई।
सुनील ने अपने जैसे कद-काठी वाले व्यक्ति की तलाश शुरू की और जवा थाना क्षेत्र के कनपुरा गांव में विनय चौहान नाम का युवक मिला, जो पिता की मौत के बाद नशे का आदी हो चुका था। सुनील ने विनय से दोस्ती की, उसे शराब और खाना खिलाकर भरोसे में लिया। 29 जून को विनय को फिर बुलाया गया और इतनी शराब पिलाई गई कि वह बेसुध हो गया। पहले हत्या की योजना शंकरगढ़ के रास्ते में थी, लेकिन बारिश के कारण हेमा के सुझाए सिकरी गांव के सुनसान इलाके को चुना गया।

अपने परिवार के साथ विनय इसी घर में रहता था।
कपूर जलाकर कार में आग लगा दी थी रात के अंधेरे में सुनील ने विनय को कार में बिठाकर गैस सिलेंडर की पिन निकाली, कार के दरवाजे और खिड़कियां बंद कीं और कपूर जलाकर आग लगा दी। विस्फोट में विनय की मौके पर मौत हो गई। सुनील बस से प्रयागराज होते हुए रीवा पहुंच गया, जबकि हेमा ने शव को सुनील का बताकर अंतिम संस्कार करवा दिया।
पुलिस को शक हुआ तो मोबाइल की लोकेशन, सीसीटीवी फुटेज और मुखबिर की सूचना के आधार पर 6 जुलाई की देर रात सुनील और हेमा को रीवा के आनंदपुर गांव से गिरफ्तार कर लिया। शव की असली पहचान के लिए विनय के भाई विकास का डीएनए सैंपल लिया गया है, जिसकी रिपोर्ट के बाद सच्चाई पूरी तरह सामने आएगी। पुलिस ने बताया कि मृत समझे जा रहे सुनील सिंह मूल रूप से रीवा के अनंतपुर का रहने वाला है, और इस पूरी साजिश में उसकी पत्नी हेमा सिंह भी बराबर की साझेदार थी।
यूट्यूब से सीखा तरीका; पत्नी ने रचा मौत का ड्रामा सुनील ने पुलिस पूछताछ में कबूल किया कि उसने हत्या से पहले यूट्यूब पर अपराध से जुड़े वीडियो देखे और उसी के आधार पर पूरी साजिश रची। सुनील किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में था, जिसकी कोई खोज-खबर न ले। इस सिलसिले में उसने विनय चौहान पिता शंभू चौहान निवासी नेहरू नगर, रीवा (मध्यप्रदेश) को चुना, जो 29 जून से लापता था और जिसकी गुमशुदगी की जानकारी परिजनों ने दी थी।
यूट्यूब से सीखा तरीका अपनाकर सुनील ने पहले विनय से दोस्ती की, फिर उसे कार में अपने साथ ले जाकर इतनी शराब पिलाई कि वह बेसुध हो गया। इसके बाद कार में ही उसे जिंदा जलाकर फरार हो गया। उधर, सुनील की पत्नी हेमा सिंह भी प्लानिंग के तहत पति की मौत का ड्रामा करने लगी।

हत्या से एक दिन पहले खरीदा था सिलेंडर विनय की हत्या के आरोपी दंपती की साजिश में कार में गैस सिलेंडर रखना भी शामिल था, जिसे उन्होंने वारदात से एक दिन पहले बाजार से खरीदा था। बड़ी मात्रा में कपूर भी खरीदा गया, जिसे घर से निकलते वक्त कार में रख लिया गया।
पुलिस के मुताबिक, पत्नी हेमा ने पूछताछ में बताया कि सिलेंडर उसने ब्यूटी पार्लर में काम करने वाली अपनी सहेली के बहाने खरीदा था। साथ ही कार में आग को तेजी से फैलाने के लिए बॉडी स्प्रे और खराब टायर भी रखे थे। रास्ते में सुनील ने विनय को शराब पिलाई, जिससे वह बेसुध हो गया था।
10 साल पहले हुई थी शादी, महंगे शौक रखते थे चित्रकूट के राजापुर थाना क्षेत्र के कंधवनिया गांव की हेमा सिंह की शादी करीब 10 साल पहले रीवा जिले के जवा कनपुरा गांव निवासी सुनील पटेल से हुई थी। परिजनों ने यह रिश्ता इसलिए तय किया था क्योंकि सुनील के पास 15 बीघा खेती की जमीन थी, वह एमबीए पास था और परिवार को उम्मीद थी कि वह जल्दी किसी बड़ी कंपनी में नौकरी करेगा।
पुलिस के मुताबिक, हेमा भी ठीक-ठाक परिवार से ताल्लुक रखती थी और दोनों के शौक भी उसी हिसाब से बड़े थे। लेकिन सुनील ने नौकरी नहीं की और शराब समेत दूसरे महंगे शौक बढ़ते गए। घर की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी तो सुनील ने जनवरी 2024 में पत्नी के लिए ब्यूटी पार्लर का कोर्स कराया और बैंक से 45 लाख रुपए का लोन लेकर पार्लर खुलवाया। कुछ किश्तें चुकाने के बाद जब किस्त भरना मुश्किल हुआ तो हेमा ताने देने लगी कि कमाते कुछ नहीं, सब लोन पर ही चला रहे हो।

विनय के गांव वालों ने आरोपी दंपती को सख्त से सख्त सजा देने की मांग की।
तानों से तंग आकर रहता था पति तानों से परेशान होकर सुनील ने हार्वेस्टर लेने के लिए और लोन लिया और अक्तूबर 2024 में दो करोड़ की बीमा पॉलिसी भी कराई, लेकिन हार्वेस्टर की किश्त भी नहीं भर सका। घर की बढ़ती परेशानियों और पत्नी की तानों से तंग आकर सुनील ने बीमा की रकम पाने के लिए साजिश रची।
सुनील ने कबूला कि योजना के तहत उसने अपने जैसा कद-काठी वाला विनय चौहान तलाशा, उसे घर लाकर शराब पिलाई और खाना खिलाया। पत्नी हेमा ने जब पूछा तो सुनील ने कहा कि यही वह शख्स है जो हमें हर मुश्किल से बचाएगा। इसके बाद विनय को कार से लेकर निकला। इस दौरान पड़ोस में रहने वाली बुआ ने देख लिया था और हेमा से पूछा कि सुनील किसे लेकर गया है, लेकिन हेमा चुप रही। बाद में पुलिस ने पूछताछ में बुआ का बयान लिया, जिसके बाद रीवा से राजापुर तक के रास्तों और टोल नाकों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए और साजिश का सच सामने आ गया।
साउथ की फिल्मी की तरह रची थी साजिश मामले की जांच में पुलिस को कई बार सुनील की चालाकी के चलते चकमा खाना पड़ा। आरोपी की चालें इतनी शातिर थीं कि पुलिस भी उलझती रही। इसी बीच सीओ फहाद अली ने एसपी अरुण सिंह को बताया कि दक्षिण भारत की एक फिल्म की कहानी इस घटना से काफी मेल खाती है। फिल्म देखने के बाद पुलिस की जांच की दिशा बदली और कई अहम सुराग हाथ लगे।
पुलिस जांच में सामने आया कि विनय चौहान के पिता की करीब एक माह पहले मौत हो गई थी। सुनील ने उसी का फायदा उठाया और खुद को उसका सहारा दिखाते हुए उसे अपने जाल में फंसाया था।

विनय का भाई बोला- उसके अलावा दुनिया में कोई नहीं था दैनिक भास्कर टीम मृतक विनय चौहान के घर रीवा शहर के नेहरू नगर स्थित वार्ड 14 में भी पहुंची। दो बार किसी से मुलाकात नहीं हो सकी। लेकिन तीसरी बार में हमारी मुलाकात विनय के भाई विकास से हो गई। उसने बताया, भाई की मौत के बाद ये छोटा सा घर अब काटने को दौड़ता है। एक महीने पहले ही पिता शंभू चौहान की मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद मेरे लिए भाई ही सहारा था।
हम बहुत गरीब घर से हैं, पिता एक छोटी सी गुमटी चलाते थे, जिससे दिन भर का खर्च निकल आता था। लेकिन पिता की मौत के बाद हालात और बिगड़ गए। भाई विनय कहीं स्थायी नौकरी नहीं करता था, लेकिन फुटकर काम की तलाश में था। पिता के जाने के बाद वो अंदर से पूरी तरह टूट गया था। इसी का फायदा सुनील ने उठाया। उसने भाई को बड़े काम दिलाने का झांसा दिया, कई बार गाड़ी में घुमाया और पिछले छह महीने में भाई का भरोसा जीत लिया था।
जैसे सुनील ने मेरे भाई को जिंदा जलाकर मारा, वो दरिंदगी से भी बढ़कर था। मैं चाहता हूं कि सुनील को ऐसी सजा मिले कि दोबारा कोई इस तरह की साजिश करने की सोचे भी नहीं।

पड़ोसियों ने यह कहा-

