भिंड के वनखंडेश्वर मंदिर की कहानी, इस राजा ने की थी शिवलिंग की स्थापना

भिंड के वनखंडेश्वर मंदिर की कहानी, इस राजा ने की थी शिवलिंग की स्थापना


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Bhind News: मध्य प्रदेश के भिंड जिले में वनखंडेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है. माना जाता है कि राजा पृथ्वीराज सिंह चौहान ने यहां भोलेनाथ के शिवलिंग की स्थापनी की थी. सावन महीने में मंदिर में भक्तों का तांता ल…और पढ़ें

भिंड में है वनखंडेश्वर महादेव मंदिर.

हाइलाइट्स

  • भिंड में है वनखंडेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर
  • राजा पृथ्वीराज सिंह चौहान ने की थी शिवलिंग की स्थापना
  • सावन महीने में मंदिर पहुंचते हैं हजारों भक्त
भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड शहर में भोलेनाथ का ऐसा प्राचीन मंदिर है, जिसमें स्वयंभू भोलेनाथ के शिवलिंग की स्थापना राजा पृथ्वीराज सिंह चौहान ने 11वीं सदी में की थी. वनखंडेश्वर महादेव मंदिर से कई मान्यता भी जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि राजा पृथ्वीराज सिंह चौहान भोलेनाथ के अनन्य भक्त थे. जब पृथ्वीराज सिंह चौहान महोबा के चंदेली राजाओं से युद्ध करने के लिए जा रहे थे. तब रास्ते में वह भिंड क्षेत्र में रूके थे. रात को विश्राम के दौरान उन्हें सपना आया कि जिस जगह वह विश्राम कर रहे हैं उस जगह स्वयंभू भोलेनाथ का शिवलिंग है, जिसे स्थापित किया जाए तो विजय पताका लहराएगा. उन्होनें ठान किया अगर मैं युद्ध में विजय हासिल करता हूं तो भोलेनाथ के शिवलिंग की स्थापना जरूर करूंगा.

चंदेली राजाओं पर विजय हासिल करने के बाद वे वापस लौट कर आए और उन्होंने खुदाई करवाकर शिवलिंग हासिल की. फिर मठ का निर्माण करवाया तो भोलेनाथ के शिवलिंग को स्थापित किया. जिस इलाके में भोलेनाथ को स्थापित किया गया वहां घनघोर वन खंड था. इसी कारण भोलेनाथ के इस शिवलिंग का नाम वनखंडेश्वर महादेव पड़ा.

पृथ्वीराज सिंह चौहान ने स्थापित किया था शिवलिंग
शिव भक्त पृथ्वीराज सिंह चौहान ने 1175 वीं सदी में इस शिवलिंग की स्थापना करवाई गई थी. उसी समय पूजा करने के दौरान घी के 2 दीपक प्रज्वलित किए जो हजारों साल बीत जाने के बाद आज भी लोगों की मनोकामनाएं पूरी कर प्रज्वलित है. इन दो दीपों को भोले बाबा के आंखों के समान माना जाता है. कामनाएं पूरी होने के बाद लोग दीपक को घी से भरते हैं. सिंधिया शासनकाल में इन दोनों दीपों की देखरेख करने के लिए मंदिर में 2 पुजारियों की नियुक्ति की गई थी, जो कि मंदिर की देखरेख करने का काम आज भी कर रहे हैं. वनखंडेश्वर मंदिर के पुजारी राजकुमार उर्फ राजू शर्मा और गुड्डू शर्मा का कहना है कि कोरोना काल में भी जब मंदिर के पट बंद करवा दिए गए थे. उस समय भी बनखंडेश्वर महादेव की कृपा से घी की कोई भी कमी नहीं आई.

मंदिर के पुजारी गुड्डू शर्मा ने बताया कि सावन महीने के पहले सोमवार में भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए मंदिर के पट रात 12 बजे के बाद से ही श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. सावन महीने में भोलेनाथ के भक्त सिंगी रामपुर से कावड़िए गंगाजल भरकर लाकर भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं. सावन महीने में भक्तों की ज्यादा भीड़ को ध्यान में रखकर प्रशासन की ओर से साफ सफाई से लेकर सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए जाते हैं. भक्तों को कोई असुविधा ना हो इसलिए पुलिस के जवान भी व्यवस्था में तैनात किए जाते हैं.

वनखंडेश्वर महादेव से जुड़ी है कई मान्यता

शिव महापुराण में बताया जाता है कि सावन महीने में भोलेनाथ की पूजा अर्चना के दौरान बेलपत्र, फूल माला, भंग, धतूरा के साथ-साथ गंगाजल से अभिषेक करने से भक्तों की हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सावन के पहले सोमवार पर दर्शन के लिए आने वाले भक्तों ने वनखंडेश्वर महादेव से जुड़ी हुई धार्मिक और ऐतिहासिक मान्यता के बारे में बताया. वनखंडेश्वर मंदिर से जुड़े शिवभक्त वीरेंद्र बघेल , रिंकू तोमर, जीतू सिंह का कहना है कि साल में ऐसा ही कोई दिन होगा जिस दिन वह मंदिर ना पहुंच पाए. वह हर दिन मंदिर पहुंचकर श्रमदान करने के साथ-साथ भोलेनाथ का पूजा-पाठ करके ही अपने काम पर पहुंचते है.

Preeti George

Preeti George is lead content writer at hindi.news18.com having experience of more than 5 years in digital media. After completing her masters from Kushabhau Thakre Journalism university, she worked in various …और पढ़ें

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