पुजारी ने बताया, 14 जुलाई को धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग रहा।
हरदा में सावन के पहले सोमवार को शिवालयों में हर-हर महादेव के जयघोष गूंजे। सुबह से ही सभी शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगीं। महिलाओं की संख्या विशेष रूप से अधिक रही।
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जिले के कमताड़ा की तीस महिलाएं नेमावर स्थित नर्मदा तट से कांवड़ में जल लेकर आईं। उन्होंने 35 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। शाम को गांव में स्थापित भगवान पशुपतिनाथ का नर्मदा जल से अभिषेक करेंगी।
इधर, अजनाल नदी के तट पर स्थित प्राचीन गुप्तेश्वर, चारुवा के गुप्तेश्वर मंदिर, सिराली के तिलभांडेश्वर और हंडिया के रिद्धनाथ मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में पुजारियों ने रुद्राभिषेक किया। दोपहर बाद मंदिरों में विशेष श्रृंगार किया गया।
पंडित गणेश शर्मा के अनुसार, शिव पुराण में सावन के सोमवार को विशेष महत्व दिया गया है। मान्यता है कि इसी माह में माता पार्वती ने उपवास कर भोलेनाथ को पति रूप में प्राप्त किया था। इसलिए कुंवारी कन्याएं मनपसंद वर की प्राप्ति के लिए सावन के सोमवार को व्रत रखती हैं।
14 जुलाई को धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र के साथ आयुष्मान और सौभाग्य योग रहा। इस दिन गजानन संकष्टी चतुर्थी भी है। शिव पुराण का पठन-पाठन और रुद्राष्टकम का पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
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लोगों ने परिवार के साथ मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना की।

शिवभक्त कांवड़ भरकर भोलेनाथ का अभिषेक करने पहुंचे।