पत्ते भी बिकते हैं, जड़ भी कमाल की! बरसात के मौसम में करें इस फसल की खेती, 3 महीने में होगा ₹70,000 का मुनाफा

पत्ते भी बिकते हैं, जड़ भी कमाल की! बरसात के मौसम में करें इस फसल की खेती, 3 महीने में होगा ₹70,000 का मुनाफा


खंडवा. किसानों के लिए खेती अब सिर्फ परंपरा नहीं रही, बल्कि यह एक ऐसा व्यवसाय बन चुका है, जिसमें वैज्ञानिक सोच, बाजार की समझ और उपयुक्त फसल का चयन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ऐसी ही एक लाभदायक फसल है — अरबी. निमाड़ अंचल सहित खंडवा जिले में अब किसान पारंपरिक फसलों के साथ-साथ अरबी की खेती को भी प्राथमिकता देने लगे हैं, क्योंकि इससे उन्हें डबल मुनाफा मिल रहा है.

क्यों खास है अरबी की खेती?
अरबी (Colocasia) एक कंद वाली सब्जी है, जो न केवल पोषक तत्वों से भरपूर होती है, बल्कि इसके पत्तों से लेकर जड़ों तक बाजार में भारी मांग रहती है. खासकर बरसात के मौसम में इसकी पत्तियां बड़े चाव से खरीदी जाती हैं, जिनसे ‘पत्ते की सब्जी’, ‘पत्तोड़’ और ‘पटोड़’ जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं. वहीं जमीन के नीचे उगने वाली अरबी की गांठें सब्जी बाजार में अच्छी कीमत पर बिकती हैं.

खेती का अनुभव: किसान राकेश पटेल की जुबानी
खंडवा के ग्राम मलगांव के किसान राकेश पटेल बताते हैं कि “अरबी की खेती बहुत फायदेमंद है. खासकर उसके छोटे पत्तों की डिमांड तो सावन और भादौ में बहुत बढ़ जाती है. गांव के हाट बाजार से लेकर शहर की मंडियों तक, अरबी के पत्ते एक विशेष सब्जी के रूप में बिकते हैं. वहीं जब फसल पक जाती है, तब नीचे की गांठें यानी अरबी खुदरा बाजार में ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक बिकती हैं.”

राकेश कहते हैं कि “एक एकड़ खेत में अगर ठीक से सिंचाई और देखभाल हो, तो 20 से 25 क्विंटल तक अरबी की उपज मिल जाती है. वहीं पत्तों की बिक्री अलग से हो जाती है. यह फसल कम लागत और मध्यम मेहनत में बहुत लाभ देती है.”

मिट्टी और सिंचाई की आवश्यकताएं
अरबी की खेती के लिए बलुई दोमट या चिकनी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. खेत में जलनिकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए क्योंकि पानी का ठहराव जड़ों को सड़ा सकता है. सिंचाई नियमित होनी चाहिए, विशेषकर फसल के शुरुआती 30 से 45 दिनों में नमी बनाए रखना जरूरी होता है.

बीज और बुवाई का तरीका
अरबी की बुवाई जून के पहले या दूसरे सप्ताह में की जाती है. इसके लिए छोटे कंदों या टुकड़ों का उपयोग बीज के रूप में किया जाता है. प्रति एकड़ खेत में लगभग 400 से 500 किलो बीज की आवश्यकता होती है. पंक्तियों के बीच 45 से 60 सेमी और पौधों के बीच 20 से 30 सेमी की दूरी रखी जाती है.

देखभाल और खाद प्रबंधन
अरबी की अच्छी पैदावार के लिए गोबर की खाद के साथ नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उचित अनुपात में उपयोग किया जाना चाहिए. खरपतवार नियंत्रण पर भी ध्यान देना आवश्यक है. यदि रोग या कीट लगते हैं, तो जैविक कीटनाशकों या नीम के घोल का उपयोग किया जा सकता है.

बाजार और आय की संभावना
बरसात के मौसम में अरबी के पत्तों की मांग शादी, भोज, त्योहारों में बहुत बढ़ जाती है. पत्ते प्रति किलो ₹20 से ₹30, और कंद ₹40 से ₹60 प्रति किलो तक बिकते हैं. अगर किसान एक एकड़ में अरबी की खेती करते हैं तो लगभग ₹50,000 से ₹70,000 तक की कमाई संभव है, वो भी मात्र 3 से 4 महीने में.



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