Ground Report: MP के इस शहर में बारिश के बीच जलते हैं शव, भीगी लकड़ियों के साथ छलकते आंसू

Ground Report: MP के इस शहर में बारिश के बीच जलते हैं शव, भीगी लकड़ियों के साथ छलकते आंसू


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Ground Report: जबलपुर में भारी बारिश के कारण श्मशान घाटों की स्थिति दयनीय हो गई है. टूटे शेड के नीचे भीगते शवों का अंतिम संस्कार करना मजबूरी बन गया है. परिजन बारिश में भीगे लकड़ियों पर अंतिम संस्कार कर रहे हैं.

हाइलाइट्स

  • श्मशान घाटों की स्थिति दयनीय
  • बरसती बारिश के बीच जबलपुर में होती है आखिरी अलविदा
  • जबलपुर से दर्द भरी कहानी
जबलपुर. मध्यप्रदेश में तेज बारिश का दौर जारी है. जहां पुल डूबने से लेकर सड़कों और घरों में जलप्लावन जैसी तस्वीर सामने आ रही है, लेकिन अब ऐसी भी तस्वीर सामने आ रही है, जहां शवों के ऊपर बारिश हो रही है, मरने के बाद भी मुर्दे को चैन नहीं मिल रहा. परिजनों को फिर छोड़ ही दीजिए…परिजन भीगी लकड़ियों के बीच ही अपनो को भावभीनी श्रद्धांजलि दे रहे हैं.

दरअसल, मध्यप्रदेश के जबलपुर से आई यह तस्वीर मानवता को तार-तार करती हुई नजर आ रही है. जहां जबलपुर शहर के सबसे बड़े मुक्तिधाम में लोग भींगते हुए अंतिम संस्कार कर रहे हैं. जिसको लेकर लोकल 18 की टीम ग्राउंड जीरो पर श्मशान घाट पहुंची. श्मशान घाट में टूटी शेड के नीचे शव को जलाया जा रहा था. जहां टपकती शव के नीचे अंतिम संस्कार करने के लिए लोग मजबूर थे.

आखिर परिजनों का यह दर्द समझेगा कौन….?
श्मशान घाट में चर्चा सिर्फ यही हो रहीं थी…. जाते-जाते भी शमशान घाट में मृतक को मोक्ष नहीं मिलता. हम तो आकर भींग ही गए, कम से कम लकड़ियों को नहीं भीगना था, लकड़ियों तो छोड़िए शव पर ही थोड़े मेहरबान हो जाते… वो भी नहीं हो रहा तो आखिरी डिमांड ऊपरवाले से यहीं हैं कि जब अगले दिन खारी लेने आए तो राख सही सलामत मिले, जिसे बटोर सके… भीगी हुई न हो.

परिजन को भी हुआ दुख, जाते-जाते भी समस्या
शास्त्री नगर से अंतिम संस्कार करने आए हुए नितेश पटेल ने बताया यहां आकर काफी दुख हो रहा है. मौसिया रामचरण पटेल का निधन हो गया जिसके चलते शमशान घाट आए हुए थे. श्मशान घाट में जरुर लिखा हुआ है नाराज मत होना कमजोर तेरा वक्त है तू नहीं, लेकिन यह कैसा वक्त है कि जाते-जाते भी टूटी हुई शेड की नीचे भीगते हुए बारिश में अंतिम संस्कार करना पड़ता हो. उन्होंने पार्षद से लेकर क्षेत्रीय विधायक और महापौर को इसका जिम्मेदार ठहराया.

अधिकांश शमशान घाटों के यहीं हैं हाल, यही हैं विकास?
हालांकि ऐसा नहीं है कि यह हालात सिर्फ गौरीघाट शमशान घाट के हैं. इसके अलावा भी शहर के आधा दर्जन से ज्यादा शमशान घाट ऐसे हैं, जहां टूटी हुई शेड के नीचे अंतिम संस्कार किया जाता हैं. जबलपुर के गौरीघाट में ही एक दिन में करीब 15 से 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. जहां शहर भर के दूर-दराज के लोग आते हैं. हालांकि प्रश्न उन जिम्मेदारों पर ही बनता है, जो विकास के नाम पर बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं, लेकिन श्मशान घाट में जमीनी हकीकत से विकास कोसों दूर है.

Anuj Singh

Anuj Singh serves as a Content Writer for News18MPCG (Digiatal), bringing over Two Years of expertise in digital journalism. His writing focuses on hyperlocal issues, Political, crime, Astrology. He has worked …और पढ़ें

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